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    क्यों शादी में दूल्हा घोड़े की जगह चढ़ता है घोड़ी? जानिए इसके पीछे की कहानी

    Updated: Wed, 05 Mar 2025 07:33 PM (IST)

    शादी एक व्यक्ति के जीवन का अहम दिन होता है और इस दिन के लिए तैयारियां काफी समय पहले ही शुरू हो जाती है। इस दौरान कई सारी रस्मों और रिवाजों (Indian Wedding Traditions) को निभाया जाता है। बारात के लिए घोड़ी चढ़ना (Grooms Mare Indian Wedding) इन्हीं में से एक है जो एक आम और लोकप्रिय परंपरा है। हालांकि इसके पीछ की वजह कम लोग भी जानते हैं।

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    शादी के दिन क्यों घोड़ी पर बैठता है दूल्हा (Picture Credit- Freepik/AI)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। शादी हर किसी के जीवन का एक अहम पड़ाव होता है। यह जन्मों-जन्मों का रिश्ता होता है, जिसे दो लोग साथ मिलकर निभाते हैं। शादी हर धर्म और समुदायों में खास महत्व रखती है और इससे जुड़े कई ऐसे रीति-रिवाज (Indian Wedding Traditions) है, जिनका अपना महत्व होता है। खासकर हिंदुओं में शादी से जुड़ी कई रस्मों और परंपराओं को निभाया जाता है।

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    शादी के दौरान और शादी के बाद कई तरह की रस्में निभाई जाती है, इन्हीं में से एक है, दूल्हे का घोड़ी पर बैठकर बारात निकालना। हम सभी ने कई बार दूल्हे को घोड़ी चढ़ते (Grooms Mare Indian Wedding) देखा होगा, लेकिन क्या आप इसकी पीछे की वजह जानते हैं। क्या आपको पता है कि शादी के दिन अपनी बारात पर दूल्हा घोड़ी पर ही क्यों बैठता है। अगर नहीं आज इस आर्टिकल में हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं। आइए जानते हैं शादी में घोड़ी पर क्यों बैठता है दूल्हा-

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    समझदारी का प्रतीक

    यूं तो दूल्हे के घोड़ी पर बैठने के पीछे कई सारी मान्यताएं और धारणाएं शामिल हैं, लेकिन इनमें सबसे प्रमुख मान्यता के मुताबिक घोड़ी पर चढ़ना दूल्हे के अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक होता है। साथ ही घोड़ी की लगाम को पकड़कर थामे रखना, यह बताता है कि दूल्हा यानी लड़का परिवार की डोर को संभालने के लिए काबिल है और समझदार है।

    जिम्मेदारियों को निभाने के तैयार

    ऐसी भी मान्यता है कि घोड़ी पर बैठना एक तरह से दूल्हे की परीक्षा होती है। दरअसल, छोड़ी स्वाभाव में काफी चंचल होती है। ऐसे मएं अगर लड़का सफलता से घोड़ी पर चढ़ जाती है, तो यह माना जाता है कि वह अपनी पत्नी के चंचल मन को प्रेम और संयम से संभाल सकता है। साथ ही ऐसा कहा जाता है कि जो घोड़ी चढ़ गया, वह सारी जिम्मेदारियां भी बखूबी निभा लेगा।

    घोड़े की जगह घोड़ी ही क्यों?

    अब सवाल यह उठता है कि इसके घोड़ी को ही क्यों चुना गया। घोड़े पर क्यों नहीं बैठा जाता है। दरअसल, इसके पीछे तर्क यह है कि घोड़ा स्वाभाव में काफी आक्रामक होता है और इसे सिर्फ ट्रेनिंग के बाद भी कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसे में घोड़े पर बैठना हर किसी के लिए आसान नहीं है। साथ ही बैंड-बाजे की आवाज से घोड़े बिदक सकता है, जो सभी के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए शांत स्वाभाव की होने की वजह से घोड़े की जगह घोड़ी का इस्तेमाल किया जाता है।

    वीरता का प्रतीक

    ऐसा माना जाता है कि पुराने में समय शादी के लिए वरों को अपनी वीरता दिखानी पड़ती थी और इसलिए वह योद्धा घोड़े पर सवार होकर जाते थे। इतना ही नहीं इतिहास में कई ऐसा प्रमाण हैं, जो बताते हैं कि दूल्हे को शादी के लिए लड़ाई करनी पड़ी थी। ऐसे में उस समय में घोड़े को वीरता को प्रतीक माना जाने लगा और समय के साथ घोड़े की जगह घोड़ी का इस्तेमाल होने लगा है।

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