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    5 संकेत बताते हैं Overthinking के लपेटे में आ चुके हैं आप, खुशियों में सेंध लगने से पहले कर लें सुधार

    क्या आप भी छोटी-छोटी बातों को लेकर घंटों सोचते रहते हैं? क्या आपके दिमाग में विचारों का बवंडर चलता रहता है? अगर हां तो यह Overthinking यानी जरूरत से ज्यादा सोचने का संकेत हो सकता है। ओवरथिंकिंग हमारी मानसिक शांति और खुशियों में सेंध लगा सकती है। इसलिए जरूरी है कि इसके शुरुआती संकेतों (Overthinking Signs) को पहचाना जाए और समय रहते इस पर काबू पाया जाए।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sun, 11 May 2025 03:44 PM (IST)
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    5 लक्षण जो चीख-चीख कर कह रहे हैं- आप हैं Overthinking के शिकार! (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप भी छोटी-छोटी बातों पर घंटों सोचते रहते हैं? क्या किसी बात को लेकर बार-बार मन में सवाल उठते हैं? अगर हां, तो सावधान हो जाइए, हो सकता है आप ओवरथिंकिंग यानी "अति-चिंतन" के जाल में फंस चुके हों। यह आदत न सिर्फ मानसिक शांति छीन लेती है, बल्कि आपकी खुशियों में भी सेंध लगा देती है।

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    ओवरथिंकिंग एक ऐसा मानसिक जाल है जिसमें व्यक्ति खुद को अनजाने में ही उलझा लेता है। इसका असर आपकी नींद, रिश्तों, काम की गुणवत्ता और यहां तक कि आत्मविश्वास पर भी पड़ता है। अगर आप समय रहते इसके संकेत पहचान लें, तो इससे छुटकारा पाना मुमकिन है। आइए जानते हैं ऐसे 5 स्पष्ट संकेत (Overthinking Signs), जो बताते हैं कि आप ओवरथिंकिंग के शिकार हो चुके हैं।

    एक ही बात को बार-बार सोचते रहना

    आपने कभी कोई छोटी-सी गलती की और उसके बाद घंटों, यहां तक कि कई दिनों तक उसे याद करके पछतावा करते रहे? यह ओवरथिंकिंग का पहला और सबसे सामान्य लक्षण है। चाहे किसी मीटिंग में कुछ गलत बोल दिया हो या किसी दोस्त से हल्की-सी बहस हो गई हो- आपका दिमाग उस बात को बार-बार दोहराता है और खुद को दोषी ठहराता रहता है।

    सुधार कैसे करें: हर बार जब आप किसी पुरानी बात को सोचते हुए खुद को पाएं, तो खुद से पूछें कि "क्या इससे अब कुछ बदल सकता है?" अगर जवाब 'नहीं' है, तो खुद को टोकें और अपने दिमाग को किसी सकारात्मक दिशा में लगाएं।

    फ्यूचर को लेकर हमेशा चिंता में रहना

    क्या आप हमेशा यह सोचते रहते हैं कि "अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा?", "अगर मैं फेल हो गया तो?" — तो यह संकेत है कि आप ओवरथिंकिंग के अगले स्तर पर हैं। भविष्य की चिंता करना स्वाभाविक है, लेकिन हर वक्त अनिश्चितता में जीना मानसिक थकान को जन्म देता है।

    सुधार कैसे करें: भविष्य की अनिश्चितता को स्वीकार करना सीखें। हर चीज को कंट्रोल में रखने की कोशिश छोड़ें और वर्तमान पर ध्यान दें।

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    फैसले लेने में ज्यादा समय लगाना

    आपको कोई सामान खरीदना है या कहीं घूमने जाना है, लेकिन आप इतने विकल्पों के बीच उलझ जाते हैं कि आख़िर में कुछ भी तय नहीं कर पाते। यह "Decision Paralysis" कहलाता है, और यह भी ओवरथिंकिंग का ही हिस्सा है। यह आदत धीरे-धीरे आत्मविश्वास को खत्म कर देती है।

    सुधार कैसे करें: हर फैसले पर ज्यादा सोचने के बजाय समय सीमा तय करें। जैसे, "मैं इस पर 10 मिनट सोचूंगा और फिर निर्णय ले लूंगा।"

    नींद में खलल पड़ना

    क्या आपको रात में देर तक नींद नहीं आती? या सोते वक्त दिमाग लगातार चलता रहता है? यह संकेत है कि आपका मस्तिष्क आराम नहीं कर पा रहा। ओवरथिंकिंग का सीधा असर नींद पर पड़ता है, जिससे अगले दिन थकावट और चिड़चिड़ापन महसूस होता है।

    सुधार कैसे करें: सोने से पहले फोन दूर रखें, कोई हल्की किताब पढ़ें या ध्यान लगाएं। एक डायरी रखें जिसमें आप अपने दिनभर के विचार लिखें, इससे मन हल्का होता है।

    खुद पर ही शक करना

    ओवरथिंकिंग का सबसे खतरनाक पहलू ये है कि ये धीरे-धीरे आपकी सोच को नकारात्मक बना देता है। आप खुद को कम आंकने लगते हैं, "मैं अच्छा नहीं हूं", "मुझसे नहीं होगा", जैसे विचार लगातार सताते हैं।

    सुधार कैसे करें: हर नकारात्मक सोच को चुनौती दें। जब भी ऐसा कोई विचार आए, तो उसे लिखें और पूछें — "क्या यह सच में सही है या बस मेरा डर है?" अपने छोटे-छोटे सफलताओं को याद करें, और खुद को उस नजर से देखें जैसे आप अपने किसी अच्छे दोस्त को देखते हैं।

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