घर और काम के बीच बैलेंस बनाने में हो रही है मुश्किल, तो Work Life Balance के लिए फॉलो करें ये टिप्स
बच्चों को सही परवरिश देने और उनके अच्छे विकास के लिए उन्हें टाइम देना बेहद जरूरी है। हालांकि इन दिनों काम के बढ़ते प्रेशर की वजह से अक्सर पेरेंट्स बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं जिससे रिश्ते में दूरियां आने लगती हैं। ऐसे में वर्क लाइफ बैलेंस करने के लिए आप कुछ आसान और कारगर तरीके अपना सकते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल की बदलती लाइफस्टाइल में लोगों को अक्सर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऑफिस का प्रेशर और परिवार को समय देने की टेंशन अक्सर शारीरिक और मानसिक सेहत को प्रभावित करती है। इसलिए वर्क लाइफ बैलेंस समय बेहद जरूरी है।
पिछले कुछ समय से वर्क लाइफ बैलेंस एक अहम मुद्दा बनकर सामने आ रहा है। जितना जरूरी काम करना है, उतना ही जरूरी बच्चों के साथ समय बिताना भी है। इन दोनों के बीच बैलेंस बिठाने के चक्कर में अक्सर पेरेंट्स अपनी मेंटल हेल्थ को ताक पर रख देते हैं और परिणामस्वरूप न तो काम अच्छे से कर पाते हैं और न ही बच्चे के साथ अच्छा समय व्यतीत कर पाते हैं।
क्या है वर्क लाइफ बैलेंस?
वर्क लाइफ बैलेंस शब्द में बैलेंस का मतलब ये नहीं है कि जितना वर्क को समय दिया जाए उतना ही लाइफ के अन्य दूसरे पहलू को भी दिया जाए। यहां बैलेंस का सही अर्थ है कि कितना ज्यादा और क्वालिटी से भरा समय आप अपने बच्चे के साथ बिता पाते हैं, यह उतना ही जीवन में संतुलन बनाने में मदद करता है। इसलिए अगर आप भी खुद को इस मझधार में फंसा हुआ महसूस करते हैं और वर्क लाइफ बैलेंस का सही तालमेल नहीं बना पा रहे हैं, तो अपनाएं ये कारगर टिप्स-
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फ्लेक्सिबल रूटीन बनाएं
अपनी रूटीन को फ्लेक्सिबल रखें। काम ज्यादा है, तो उस दिन बच्चे को कम समय देने का गिल्ट न पालें। लेकिन कुछ दिन ऐसे भी रखें जिस दिन बच्चों को प्राथमिकता दें। इससे बच्चे भी भावनात्मक रूप से फ्लेक्सिबल बनते हैं और हर स्थिति में वे आपको समझते हैं।
अपनी उम्मीदें कम करें
अक्सर जरूरत से ज्यादा उम्मीद परेशानी का कारण बनती है। इसलिए परफेक्शन की चाह में खुद को न झोंकें और अपनी उम्मीदों को कम करें।
रेगुलर ब्रेक लेते रहें
अगर आपका काम ऐसा है कि बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम बिताने में आप असमर्थ हैं, तो हफ्ते, दस दिन या बीस दिन में एक ऐसा ब्रेक लें, जिसमें आप अपने बच्चों के साथ समय बिता कर सकें। फिर वह चाहे घर में एकसाथ खेलना हो, मूवी देखना हो या फिर बाहर कहीं छोटी ट्रिप या पार्क जैसी जगह पर जाना हो। इससे आपका भी मूड फ्रेश होगा और बच्चे भी क्वालिटी टाइम के महत्व भी समझेंगे।
सेल्फ केयर पर ध्यान दें
अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें और इसके लिए अलग से समय निकालें। स्पा ट्रीटमेंट लें, मसाज थेरेपी करवाएं, मेडिटेशन करें। हफ्ते में एक दिन ऐसा कोई भी काम जरूर करें जो कि सेल्फ केयर की कैटेगरी में आता हो। इस बात को समझें कि पूरी तरह से हेल्दी पेरेंट ही हेल्दी बच्चे का विकास करने में सक्षम होते हैं।
मदद लें
अगर आप काम से बुरी तरह थक जाते हैं और घर जा कर आराम करने की जगह जबरदस्ती अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने के दबाव में अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं, तो ये गलत है। ऐसे स्थिति में उनकी मदद लें, जो आपको समझते हों जैसे घर के सदस्यों की, पड़ोसी की, किसी करीबी रिश्तेदार की या फिर खास दोस्तों की। मानसिक रूप से ज्यादा थकान महसूस हो तो प्रोफेशनल की मदद लें।
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