Slow Living है जिंदगी जीने का नया तरीका, तनाव रहेगा दूर और प्रोडक्टिविटी में भी होगा इजाफा
भाग-दौड़ भरी जिंदगी में आराम के दो पल निकालना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में स्लो लिविंग जीवन को एक नए तरीके से देखने का जरिया बन सकता है। इसमें हम जल्दबाजी या कॉम्पीटिशन को छोड़कर सुकून से जिंदगी जीते हैं। इसलिए स्लो लिविंग के कई फायदे (Slow Living Benefits) भी हैं। यहां हम इस बारे में ही जानने की कोशिश करेंगे।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज की भागदौड़ भरी दुनिया में जहां कोई भी थमना नहीं चाहता, ऐसे में स्लो लिविंग का कॉन्सेप्ट काफी अनोखा नजर आता है। आजकल लोग कम समय में ज्यादा हासिल करने के लिए खुद को हमेशा जल्दी-जल्दी काम करने और दूसरों से आगे निकलने की कोशिश में रहते हैं, जिसे रैट रेस भी कहा जाता है। हालांकि, कई बार इसके चक्कर में हम रुककर छोटी-छोटी खुशियों को भी एन्जॉय नहीं करते हैं। वहीं इसके बिल्कुल उल्टा स्लो लिविंग, हर पल को महसूस करने और छोटा-छोटी खुशियों का आनंद लेने का मौका देती है (Slow Living Benefits)। आइए जानते हैं कि क्या है स्लो लिविंग (What is Slow Living) और कैसे यह आपके जीवन को और बेहतर बना सकती है।
स्लो लिविंग क्या है?
स्लो लिविंग का मतलब है जीवन को जल्दबाजी में न जीना। यह जीवन जीने का एक ऐसा तरीका है, जिसमें हम हर काम धीरे-धीरे करते हैं, बिना किसी जल्दबाजी के। इसमें हम काम के बजाय रिश्तों पर ध्यान देते हैं, चीजों के बजाय एक्सपीरिएंस पर ध्यान देते हैं। इसलिए इसे स्लो लिविंग कहा जाता है।
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स्लो लिविंग अपनाने के फायदे
स्लो लिविंग के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं-
- तनाव कम होता हैं- जब हम धीरे-धीरे काम करते हैं और किसी तरह की होड़ में नहीं रहते, तो हमारे ऊपर कम दबाव होता है। इससे तनाव कम होता है और हम ज्यादा शांत महसूस करते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है- स्लो लिविंग में छोटी-छोटी खुशियों पर ध्यान देते हैं। इसलिए इससे डिप्रेशन और चिंता जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा कम होता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है- तनाव कम होने की वजह से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। साथ ही, इसमें आपको अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज करने का भी समय मिलता है, जो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
- रिश्ते मजबूत होते हैं- जब हम धीरे-धीरे काम करते हैं, तो हमारे पास अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए ज्यादा समय होता है। इससे हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं।
- क्रिएटिविटी बढ़ती है- जब हम धीरे-धीरे काम करते हैं तो हमारे पास नए विचारों को विकसित करने के लिए ज्यादा समय होता है। इससे हमारी क्रिएटिविटी बढ़ती है।
स्लो लिविंग कैसे अपनाएं?
स्लो लिविंग को अपनाना बहुत मुश्किल नहीं है। आप कुछ छोटे-छोटे बदलाव करके स्लो लिविंग की शुरुआत कर सकते हैं, जैसे कि-
- डिजिटल डिटॉक्स- हर समय फोन पर लगे रहने के बजाय, कुछ समय के लिए फोन को बंद कर दें और नेचर में समय बिताएं।
- मेडिटेशन- मेडिटेशन करने से आप अभी के समय में रहना सीखेंगे और तनाव कम होगा।
- धीरे-धीरे खाएं- खाने को जल्दी-जल्दी निगलने के बजाय, धीरे-धीरे चबाएं और खाने का स्वाद लें।
- कम सामान खरीदें- आपको जिन चीजों की जरूरत नहीं है, उन्हें खरीदने से बचें। मिनिमल लिविंग से आपका खर्च भी बचता है और आपको घर में शांति का भी अनुभव मिलता है।
- हॉबी विकसित करें- कोई नया शौक विकसित करें, जैसे कि पढ़ना, गार्डनिंग, या म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट बजाना सिखें।
- नेचर में समय बिताएं- प्रकृति में समय बिताने से आप तनाव कम कर सकते हैं और खुश रह सकते हैं।
- अपनी गति से चलें- दूसरों से तुलना न करें और अपने हिसाब से अपनी गति से चलें।
- लक्ष्य बनाएं- छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं और उन्हें धीरे-धीरे पूरा करें।
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