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    खुशियां छीनकर जिंदगी को पीछे धकेल देता है Self Guilt, ऐसे बदलें हर गलती में खुद को दोष देने की आदत

    जिंदगी में कई बार ऐसे पल आते हैं जब हम गलतियां करते हैं या असफल हो जाते हैं। ऐसे में कुछ लोग होते हैं जो हर गलती के लिए खुद को ही दोषी ठहराते हैं। अगर आप भी बीती बातों को लेकर खुद को कोसते रहते हैं तो यहां हम आपके लिए इस Self Guilt से छुटकारा पाने के कुछ खास टिप्स लेकर आए हैं।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Wed, 05 Feb 2025 05:58 PM (IST)
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    Self Guilt गिल्ट से छुटकारा दिलाने में मदद करेंगे ये टिप्स (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Self Guilt: जिंदगी एक सफर है, जिसमें हर कदम पर हमें नए अनुभव मिलते हैं। कभी हम सही फैसले लेते हैं, तो कभी गलतियां हो जाती हैं। यह मानवीय स्वभाव है कि हम गलतियों से सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हर छोटी-बड़ी गलती के लिए खुद को दोष देने लगते हैं।

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    यह आदत, जिसे हम Self Guilt या आत्म-दोष कहते हैं, व्यक्ति की मानसिक शांति और खुशियों को छीन लेती है। यह न केवल उनके आत्मविश्वास को कमजोर करता है, बल्कि जीवन को पीछे की ओर धकेल देता है। आइए, इस विषय पर गहराई से चर्चा करें और जानें कि कैसे हम इस आदत को बदल सकते हैं (Tips To Overcome Self Guilt)।

    Self Guilt क्या है और यह क्यों खतरनाक है?

    सेल्फ गिल्ट यानी आत्म-दोष, एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति हर गलती के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराता है। चाहे वह गलती उसकी हो या न हो, वह खुद को ही दोषी मानने लगता है। यह आदत धीरे-धीरे व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचारों को जन्म देती है, जो उसकी मानसिक और भावनात्मक सेहत के लिए हानिकारक होती है।

    सेल्फ गिल्ट के कारण व्यक्ति अपनी क्षमताओं पर शक करने लगता है, जिससे उसका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है। यह न केवल उसके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि पेशेवर जीवन में भी उसे पीछे धकेल देता है।

    सेल्फ गिल्ट का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह व्यक्ति को खुशियों से दूर कर देता है। जो लोग हर छोटी-बड़ी गलती के लिए खुद को दोष देते हैं, वे अक्सर तनाव, चिंता और अवसाद का शिकार हो जाते हैं। उनका मन हमेशा अतीत की गलतियों में उलझा रहता है, जिससे वे वर्तमान के सुख और भविष्य के सपनों को पूरी तरह से जी नहीं पाते। यह आदत उन्हें एक ऐसे चक्रव्यूह में फंसा देती है, जहां से निकलना मुश्किल हो जाता है।

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    क्यों होता है सेल्फ गिल्ट?

    सेल्फ गिल्ट की आदत कई कारणों से पनपती है। आइए जानें।

    • परफेक्शनिस्ट मानसिकता: कुछ लोगों को लगता है कि उन्हें हर काम परफेक्ट करना चाहिए। जब वे अपने मानकों पर खरे नहीं उतरते, तो वे खुद को दोष देने लगते हैं।
    • अतीत की गलतियों को लेकर पछतावा: कुछ लोग अतीत में की गई गलतियों को भूल नहीं पाते और उन्हें लेकर हमेशा पछताते रहते हैं।
    • दूसरों की राय का ज्यादा प्रभाव: कुछ लोग दूसरों की राय को इतना महत्व देते हैं कि वे खुद की सोच और भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे में, वे हर गलती के लिए खुद को दोषी मानने लगते हैं।
    • कम आत्मविश्वास: जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है, वे अक्सर खुद को दोष देते हैं। उन्हें लगता है कि वे किसी भी काम को सही तरीके से नहीं कर सकते।
    • बचपन का असर: कई बार बचपन में मिली सख्त परवरिश या डांट-फटकार का प्रभाव व्यक्ति के मन में गहराई तक बैठ जाता है, जो बड़े होकर सेल्फ गिल्ट का कारण बनता है।

    सेल्फ गिल्ट से कैसे निकलें बाहर?

    सेल्फ गिल्ट से निकलने के लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि गलतियां मानवीय हैं और हर कोई उनसे सीखता है। नीचे कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप इस आदत को बदल सकते हैं:

    • खुद को माफ करना सीखें: सबसे पहले यह समझें कि आप भी इंसान हैं और गलतियां होना स्वाभाविक है। खुद को माफ करना सीखें और अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढ़ें।
    • परफेक्शनिस्ट मानसिकता को छोड़ें: यह समझें कि कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता। हर किसी से गलतियां होती हैं। इसलिए, खुद पर अत्यधिक दबाव डालने की बजाय, अपनी कोशिशों को सराहें।
    • सकारात्मक सोच विकसित करें: नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए सकारात्मक सोच विकसित करें। हर गलती से सीखने की कोशिश करें और उसे अपने विकास का हिस्सा बनाएं।
    • दूसरों की राय को कम महत्व दें: यह समझें कि आपकी जिंदगी आपकी है और आपको दूसरों की राय से ज्यादा अपनी खुशी और संतुष्टि पर ध्यान देना चाहिए।
    • मेडिटेशन और सेल्फ-रिफ्लेक्शन: मेडिटेशन और सेल्फ-रिफ्लेक्शन की मदद से आप अपने मन को शांत कर सकते हैं और अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
    • प्रोफेशनल की मदद लें: अगर सेल्फ गिल्ट की भावना आपके जीवन को गहराई से प्रभावित कर रही है, तो मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की मदद लेना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

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