Survey: मां-बाप को डिप्रेशन में धकेल रहा जिम्मेदारियों का बोझ, बढ़ते खर्च से आ रहे आत्महत्या के ख्याल
माता-पिता की जिंदगी हमेशा से ही जिम्मेदारियों से भरी रही है लेकिन आज के दौर में यह जिम्मेदारियां उनके लिए बोझ बनती जा रही हैं। बढ़ते खर्च अपनों की देखभाल सोशल प्रेशर और बच्चों की उम्मीदों के बीच वे खुद को खोते जा रहे हैं। हालिया सर्वे (Survey On Parental Well-Being) बताता है कि इन परेशानियों के चलते कई माता-पिता आत्महत्या के ख्यालों का सामना कर रहे हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Survey On Parental Well-Being: आज के दौर में जिंदगी इतनी तेज हो गई है कि जिम्मेदारियों का बोझ (Burden of Responsibilities) भी बढ़ता जा रहा है। खासकर माता-पिता के लिए, जिन्हें न केवल अपने बच्चों की परवरिश और शिक्षा का ध्यान रखना होता है, बल्कि घर चलाने, बढ़ते खर्चों को पूरा करने और भविष्य की चिंताओं से भी जूझना पड़ता है।
हाल ही में हुए केयर डॉट कॉम के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि माता-पिता पर पड़ने वाला यह बोझ उन्हें मानसिक रूप (Mental Health) से बीमार बना रहा है और कई मामलों में तो आत्महत्या के विचार (Suicidal Thoughts) तक ले जा रहा है। यह सर्वे न सिर्फ एक चिंताजनक स्थिति को उजागर करता है, बल्कि समाज और सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती भी पेश करता है। आइए विस्तार से जानें इसके बारे में।
माता-पिता को आ रहे आत्महत्या के ख्याल
माता-पिता पर देखभाल की जिम्मेदारियों का इतना ज्यादा बोझ है कि उनकी नींद उड़ गई है, सेहत खराब हो गई है, और वे भावनात्मक रूप से टूट गए हैं। एक नए सर्वे से पता चला है कि तनाव के कारण 90% माता-पिता को नींद नहीं आती, 80% रोते हैं, और माताओं में तो ये आंकड़ा 90% तक है। 85% माता-पिता ने अपने निजी लक्ष्यों को छोड़ दिया है, 73% ने गुस्से में अपने करीबियों पर गुस्सा किया, और 71% को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो गईं। यहां तक कि 29% माता-पिता ने आत्महत्या के बारे में भी सोचा।
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मानसिक परेशानियों से जूझ रहे मां-बाप
केयरगिविंग के बढ़ते दबाव के कारण आजकल परिवार आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। 'कॉस्ट ऑफ केयर' नामक एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 3,000 अमेरिकी माता-पिता पर किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि परिवार, उनके बूढ़े होते माता-पिता और पालतू जानवरों की देखभाल करने में तनाव का अनुभव कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि देखभाल के इस बोझ से लोग गंभीर मानसिक और आर्थिक दबाव में हैं।
केयरडॉटकॉम के सीईओ ब्रेड विल्सन ने कहा कि माता-पिता अपने प्रियजनों की देखभाल में अपनी सारी ऊर्जा, समय और पैसा खर्च करते हैं और इस वजह से वे खुद को थका हुआ और टूटा हुआ महसूस करते हैं। 'मोस्ट पावरफुल वुमेन समिट' में भी इस संकट पर चर्चा हुई थी, जहां 'मम्स फर्स्ट' और 'गर्ल्स हू कोड' की संस्थापक रेशमा सौजानी ने कहा कि माताएं पूरी तरह से टूट चुकी हैं। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 87% माता-पिता ने सरकार से मांग की है कि देखभाल खर्च के लिए टैक्स क्रेडिट को बढ़ाया जाए। वहीं, 79% लोगों का यह भी मानना है कि कंपनियों को भी सब्सिडी वाली देखभाल सेवाएं उपलब्ध करानी चाहिए।
परिवारों पर बढ़ता आर्थिक बोझ और तनाव
तनाव बढ़ने का एक मुख्य कारण परिवारों का अपने बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च करना है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक परिवार अपनी आय का 40% हिस्सा सिर्फ देखभाल पर खर्च करता है, जिसमें से 22% बच्चों की देखभाल पर खर्च होता है। एक मां-बाप ने 2024 में औसतन 12.5 लाख रुपये देखभाल पर खर्च किए, जिसमें से 8.3 लाख रुपये बच्चों के लिए थे। हर तीन में से एक परिवार को इस खर्च के लिए अपनी बचत का इस्तेमाल करना पड़ा।
इतना ही नहीं, माता-पिता को सही देखभाल का समाधान ढूंढने में भी बहुत समय लगता है। आधे से ज्यादा मां-बाप को सही समाधान मिलने में दो महीने या उससे ज्यादा का समय लग जाता है। बच्चों की बदलती जरूरतों और बजट की वजह से सही समाधान ढूंढना और भी मुश्किल हो जाता है।
इन सब कारणों से मां-बाप के पास अपने लिए बहुत कम समय बचता है। एक सामान्य माता-पिता के पास दिन में सिर्फ 3 घंटे अपने लिए होते हैं, जबकि मांओं के लिए ये समय और भी कम, यानी सिर्फ 2 घंटे रह जाता है। अपने लिए समय नहीं निकाल पाने की वजह से भी माता-पिता तनाव में रहते हैं।
Source:
- केयर डॉट कॉम: https://www.care.com/about/press/new-care-com-report-uncovers-the-troubling-state-of-parental-well-being-amid-americas-care-crisis/
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