सिर्फ वक्त नहीं, 'इतिहास' भी बताती है यह घड़ी; वर्ल्ड वॉर-II से है खास कनेक्शन
बेल्जियम की घड़ी कंपनी Col&MacArthur, दूसरे विश्व युद्ध की यादों को ताजा रखने वाली घड़ियां बना रही है। इन घड़ियों में अमेरिकी सैनिकों के हेलमेट, बैग औ ...और पढ़ें

वर्ल्ड वॉर-II के हेलमेट और समुद्री रेत से बनी है यह खास घड़ी (All Image: Maroussia Productions for Col&MacArthur)
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लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के दौर में जब समय देखने के लिए हमारी जेब में फोन और हर स्क्रीन पर घड़ियां मौजूद हैं, एक कंपनी ऐसी है जो सिर्फ 'वक्त' नहीं, बल्कि अपनी बिक्री के साथ एक दिलचस्प 'इतिहास' को भी हमारे जेहन में ताजा कर रही है।
जी हां, बेल्जियम की घड़ी बनाने वाली कंपनी 'Col&MacArthur' ने एक अनोखी पहल की है। यह कंपनी अब ऐसी घड़ियां बना रही है जिनमें दूसरे विश्व युद्ध (World War II) के दौरान अमेरिकी सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए गए हेलमेट, बैग और नॉर्मंडी के समुद्र तट की रेत का इस्तेमाल किया गया है।

इतिहास को जिंदा रखने की कोशिश
कंपनी के सीईओ सेबेस्टियन कोलेन का कहना है कि लोग ये घड़ियां सिर्फ समय देखने के लिए नहीं खरीद रहे हैं, बल्कि इसलिए खरीद रहे हैं क्योंकि यह उन्हें अतीत की याद दिलाती हैं। इस खास घड़ी का नाम 'नॉर्मंडी 1944' रखा गया है। इसे बनाने के लिए कंपनी ने अमेरिका के टेक्सास स्थित एक नीलामी घर से 'M-1 हेलमेट' खरीदे हैं। ये वही हेलमेट हैं जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना का मानक हिस्सा थे।
कैसे बनती हैं ये खास घड़ियां?
इन घड़ियों को बनाने की प्रक्रिया बहुत दिलचस्प है। हेलमेट को हथौड़े से तोड़ने के बजाय एक प्रेस से चपटा किया जाता है ताकि उस पर मौजूद पुराने निशान और खरोंचें सुरक्षित रहें। इसके बाद, उस धातु की शीट से छोटे गोल टुकड़े काटे जाते हैं, जिन्हें घड़ी के डायल में लगाया जाता है। कंपनी के अनुसार, एक हेलमेट से लगभग 20 घड़ियां बनाई जा सकती हैं।
घड़ी के डायल पर 'ओमाहा बीच' का एक ऐतिहासिक नक्शा बना हुआ है, जो उन पांच जगहों में से एक था जहां D-Day पर मित्र देशों की सेना उतरी थी। इसके अलावा, घड़ी के स्ट्रैप को बनाने के लिए अमेरिकी सेना के पुराने 'M-1928' बैग का इस्तेमाल किया गया है।
नॉर्मंडी की रेत और कानूनी चुनौतियां
घड़ी के डिजाइन में नॉर्मंडी की रेत का एक छोटा कैप्सूल भी शामिल है, लेकिन इसे हासिल करना आसान नहीं था। फ्रांस में समुद्र तट से रेत ले जाना गैर-कानूनी है और इसके लिए भारी जुर्माना हो सकता है। इस समस्या को सुलझाने के लिए, कोलेन ने वहां के स्थानीय मेयर से अनुमति ली और सड़क पर उड़कर आई 'स्वोर्ड बीच' की रेत को इकट्ठा किया, ताकि कानून का उल्लंघन भी न हो और इतिहास भी सुरक्षित रहे।

कीमत और खासियत
यह घड़ी दो अलग-अलग एडिशन्स में उपलब्ध है। पहला 'लेगेसी' एडिशन है, जिसकी कीमत $1,749 (लगभग डेढ़ लाख रुपये) है और इसमें स्विस मशीनरी लगी है। इसे केवल 1,944 यूनिट्स तक ही सीमित रखा गया है। दूसरा 'मानक' संस्करण है, जिसकी कीमत $699 है और इसमें जापानी मूवमेंट का इस्तेमाल किया गया है। इन घड़ियों को अभी 'किकस्टार्टर' अभियान के जरिए ऑर्डर पर बनाया जा रहा है।
नैतिक सवाल और कंपनी का जवाब
ऐतिहासिक चीजों को काट-छांट कर घड़ी बनाने पर कुछ नैतिक सवाल भी उठते हैं। क्या इतिहास को नष्ट करना सही है? इस पर कोलेन का तर्क है कि गोदामों में पड़े रहने से बेहतर है कि इन चीजों को नया रूप दिया जाए, ताकि ये लोगों को हर दिन अतीत की घटनाओं की याद दिला सकें। उन्होंने विंस्टन चर्चिल की उस बात को भी दोहराया कि "जो लोग इतिहास से नहीं सीखते, वे उसे दोहराने के लिए अभिशप्त होते हैं।"
कलाई पर सजेगा 'जंग के मैदान' का इतिहास
'Col&MacArthur' इससे पहले भी अनोखी घड़ियां बना चुकी है, जिनमें अपोलो 11 मिशन की याद में 'उल्कापिंड की धूल' और पर्ल हार्बर के समुद्री पानी का इस्तेमाल किया गया था। अब अगर उनका वर्तमान अभियान सफल रहता है, तो कंपनी की योजना 'बैटल ऑफ द बल्ज' की याद में अगली घड़ी बनाने की है, जिसमें बेल्जियम के शहर बास्तोन पर गिराए गए गोले के टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा।

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