हफ्ते में एक बार खाना और 30 घंटे सोना… बाघों से जुड़ी ये 9 रोचक बातें कर देंगी आपको हैरान
बाघ एक ऐसा जानवर है जिसकी खूबसूरती और ताकत का कोई मुकाबला नहीं है। हालांकि इनकी घटती आबादी चिंता का विषय है। बाघों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे (International Tiger Day 2025) मनाया जाता है। इसी मौके पर आइए जानें बाघों से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बाघ धरती के सबसे खूबसूरत और शक्तिशाली जीवों में से एक हैं, लेकिन उनका अस्तित्व खतरे में है। ये झुंड में रहना पसंद नहीं करते, बल्कि अकेले ही रहते हैं (Interesting Facts About Tiger)। इसके कारण बाघों का स्वाभाव और ज्यादा रहस्यमयी और आकर्षक लगता है।
लेकिन दुनिया में बाघों की घटती संख्या चिंता का एक विषय है। इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे (International Tiger Day 2025) मनाया जाता है।
इस दिन बाघों के संरक्षण के बारे में जागरूक बनाया जाता है। आइए इसी मौके पर जानते हैं बाघों से जुड़ी कुछ रोचक बातें (Surprising Facts About Tigers), जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे।
बाघों की धारियां यूनीक होती हैं
क्या आप जानते हैं कि हर बाघ की धारियां उंगलियों के निशान की तरह अलग-अलग होती हैं? जी हां, आम आदमी को ऐसा लगता है कि हर बाघ के शरीर पर एक जैसी पट्टियों के निशान होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। दो बाघों के शरीर पर एक जैसी पट्टियां नहीं होतीं। इनकी मदद से अलग-अलग बाघों की पहचान की जाती है। ये धारियां न सिर्फ उनकी पहचान हैं, बल्कि जंगल में छिपने में भी मदद करती हैं।
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भारत में दुनिया के आधे से ज्यादा बाघ रहते हैं
भारत में दुनियाभर में सबसे ज्यादा बाघ पाए जाते हैं। नेशनल टाइगर कनजर्वेशन अथॉरिटी के अनुसार भारत में बाघों की संख्या लगभग 2,967 है।
बाघ अपने कानों से भी संवाद करते हैं
बाघों के कान बहुत ही सेंसिटिव होते हैं। वे न सिर्फ आवाजें सुन सकते हैं, बल्कि वे इनके जरिए संवाद भी कर सकते हैं। बाघिन अपने कानों के पीछे के सफेद धब्बों का इस्तेमाल अपने शावकों से संवाद करने के लिए करती है। कानों के जरिए वे खतरे का संकेत भी देती हैं। किसी भी तरह के खतरे का आभास होने पर बाघिन अपने कानों को फ्लैट करके शावकों को संकेत देती है।
एक हफ्ते में सिर्फ एक बार भोजन
बाघ एक बार में 18-20 किलो तक मांस खा सकते हैं। अगर उन्हें बड़ा शिकार मिल जाए, तो वे एक हफ्ते तक दोबारा शिकार नहीं करते। यह उनके शरीर की प्राकृतिक अनुकूलन क्षमता का हिस्सा है। अगर बाघ भरपेट खा ले, तो वह इसके बाद वह लगभग 30 घंटों तक सो सकता है।
अलग-अलग तरह की आवाजें निकालते हैं
बाघ सिर्फ दहाड़ते ही नहीं, बल्कि कई तरह की आवाजें निकालते हैं। वे गुर्राते हैं, फुफकारते हैं, और यहां तक कि म्याऊं जैसी आवाज भी निकाल सकते हैं। इन आवाजों का इस्तेमाल वे संचार, मेटिंग और टेरिटरी मार्क करने के लिए करते हैं।
बाघ एनडेंजर्ड प्रजाति है
पिछले 100 सालों में बाघों की आबादी 97% कम हो चुकी है। अवैध शिकार, वनों की कटाई और ह्युमन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट इसकी मुख्य वजहें हैं।
हर हफ्ते दो बाघ तस्करों से जब्त किए जाते हैं
हर हफ्ते औसतन दो बाघों को तस्करों से बचाया जाता है। बाघों के अंगों की तस्करी एशिया में एक बड़ा काले बाजार है, जहां इनके शरीर के अंगों का इस्तेमाल पारंपरिक दवाइयों में किया जाता है।
बाघ 20 लाख साल से अस्तित्व में हैं
बाघ धरती पर लगभग 20 लाख साल से मौजूद हैं। यह प्रजाति इतनी पुरानी है कि इसने कई जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं को झेला है, लेकिन अब यह मानवीय गतिविधियों के कारण खतरे में है। इंसानों की वजह से इनकी संख्या लगभग 97% कम हो चुकी है।
कैद में जंगल से ज्यादा बाघ हैं
एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि आज दुनिया में जितने बाघ जंगलों में रहते हैं, उससे ज्यादा बाघ चिड़ियाघरों और निजी मालिकों के पास कैद में हैं। अमेरिका में ही लगभग 5,000 बाघ कैद में पाले जाते हैं, जबकि जंगल में इनकी संख्या केवल 4,500 के आसपास है।
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Source:
WWF: https://tigers.panda.org/news_and_stories/stories/wwfs_top_10_facts_about_tigers/
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