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    International Tiger Day: बाघ संरक्षण की मिसाल बना राजगीर जू सफारी, 'स्वर्णा' बनी पर्यटकों की रानी

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 11:17 PM (IST)

    29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया। राजगीर जू सफारी बाघों के संरक्षण का अनूठा उदाहरण है जहां स्वर्णा नामक सफेद बाघिन आकर्षण का केंद्र है। यहां एक्स-सीटू संरक्षण के माध्यम से बाघों की आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। सफारी में बाघों के प्राकृतिक व्यवहार को ध्यान में रखते हुए उन्हें रखा जाता है।

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    बाघ संरक्षण की मिसाल बना राजगीर जू सफारी। (जागरण)

    मनोज मायावी, राजगीर। 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर दुनियाभर में बाघों की घटती संख्या और उनके संरक्षण की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है।

    बाघ केवल एक आकर्षक और राजसी जीव नहीं, बल्कि वन्य पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन का आधार भी हैं। भारत सहित एशियाई देशों में बाघों की संख्या में पिछले सौ वर्षों में भारी गिरावट आई है।

    कभी एक लाख से अधिक की संख्या में पाए जाने वाले बाघों की आज हालत संकटग्रस्त प्रजातियों जैसी हो चुकी है।

    राजगीर जू सफारी बना संरक्षण का उदाहरण

    राजगीर वाइल्ड लाइफ जू सफारी आज बाघों के संरक्षण की एक सार्थक मिसाल बनकर उभर रहा है। यहां वर्तमान में चार बाघ मौजूद हैं- दो नर और दो मादा।

    इनमें सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है सफेद बाघिन स्वर्णा, जिसे पटना जू से लाया गया था। अपनी नीली आंखों और चमकते सफेद रंग के कारण स्वर्णा को देखने के लिए देशभर से पर्यटक पहुंचते हैं। यह रंग दरअसल एक दुर्लभ जेनेटिक म्यूटेशन का परिणाम है।

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    स्वर्णा की बेटी देवी भी सफारी का हिस्सा है। देवी अभी युवा है और अपने चंचल स्वभाव व जिज्ञासा के लिए पहचानी जा रही है। दो नर बाघों में एक का नाम अर्जुन है, जबकि दूसरे का नाम अभी नहीं रखा गया है।

    एक्स-सीटू संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण

    जू सफारी में बाघों को एक्स-सीटू संरक्षण (प्राकृतिक आवास से बाहर, कृत्रिम वातावरण में संरक्षण) के तहत रखा गया है। इसका उद्देश्य संकटग्रस्त प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाना और आनुवांशिक विविधता को बनाए रखना है। इसका लाभ न केवल बाघों, बल्कि शेर, तेंदुआ, भालू और हिरण जैसी प्रजातियों को भी मिल रहा है।

    जू सफारी निदेशक रामसुंदर एम के अनुसार, बाघ एकांतप्रिय होता है। इसलिए एक समय में एक ही बाघ को खुले बाड़े में छोड़ा जाता है। गर्मियों में ये पानी में तैरते हैं जबकि बरसात में खुले बाड़ों में घूमना पसंद करते हैं। यह उनके स्वाभाविक व्यवहार का हिस्सा है।

    स्वस्थ और मजबूत शावकों का जन्म

    राजगीर जू सफारी में प्रयास हो रहा है कि जंगली और असंबंधित बाघों के मेल से अनुवांशिक रूप से मजबूत शावकों का जन्म कराया जा सके। जिससे आने वाले वर्षों में बाघों की संख्या बढ़े और उनकी प्रजाति संरक्षित रह सके।