पुरुषों को अपनी बात बोलने के लिए ब्रिटेन में दे रहे हैं 8 मिनट, जानें क्या है यह अनोखा एक्सपेरिमेंट
पुरुष अगर अपनी भावनाएं जाहिर करते हैं तो आज भी कई लोग उनकी तुलना स्त्रियों से करने लगते हैं। इसकी वजह से वे मन ही मन घुटते रहते हैं और अपने मन की बात किसी के साथ शेयर नहीं कर पाते। कई पुरुष किसी इस वजह से खुद को बहुत अकेला मानते हैं और आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लेते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Men's Mental Health: अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में पुरुषों को काफी झिझक होती है। सोसायटी और परवरिश का इसमें अहम योगदान है। पुरुषों को बचपन से ही कठोर बनने की शिक्षा दी जाती है।
अपने दुख और आंसू दिखाना उनके लिए कमजोरी की निशानी मानी जाती है। इसलिए पुरुष अपनी भावनाओं को बेहद कम ही जाहिर करते हैं। इसके कारण उनकी मेंटल हेल्थ काफी प्रभावित होती है। इसी को दूर करने के लिए ब्रिटेन में एक खास प्रयोग हुआ। आइए जानें इसके बारे में।
ब्रिटेन में पुरुषों की भावनाओं को समझने और उन्हें व्यक्त करने का एक अनूठा तरीका निकल रहा है। यहां, पुरुषों को अपनी बात कहने के लिए 8 मिनट का समय दिया जाता है। इस प्रयोग से पुरुषों की मानसिक सेहत में सुधार हो रहा है। वे डिप्रेशन से उबरकर चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो रहे हैं।
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क्यों जरूरी है यह प्रयोग?
ब्रिटेन में 13% पुरुष मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में आत्महत्या करने की दर तीन गुना अधिक है। इस समस्या का मुख्य कारण है कि पुरुष अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में हिचकिचाते हैं।
मेन्स सर्कल: एक नई शुरुआत
ब्रिटेन में मेन्स सर्कल जैसे समूह तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इन समूहों में पुरुष अपनी समस्याओं को खुलकर साझा करते हैं। एक ऐसे ही समूह के संस्थापक, एलेन रॉबर्ट बताती हैं कि उनके बेटे की आत्महत्या के बाद उन्होंने यह समूह शुरू किया। आज, उनके समूह में हर हफ्ते 4500 से ज्यादा पुरुष जुड़े हैं।
कैसे काम करते हैं ये समूह?
ये छोटे समूह पुरुषों को एक सुरक्षित माहौल प्रदान करते हैं, जहां वे बिना किसी डर के अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। एक फैसिलिटेटर बातचीत को आगे बढ़ाता है और सुनिश्चित करता है कि सभी को बोलने का मौका मिले। इन समूहों में मिलकर, पुरुषों को यह एहसास होता है कि वे अकेले नहीं हैं।
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
ब्रिटेन के एक प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. ल्यूक सुलिवन का मानना है कि पुरुषों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में शर्म महसूस होती है। हमें पुरुषों को सुनना चाहिए और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
आगे का रास्ता
यह प्रयोग दिखाता है कि पुरुष भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करना चाहते हैं। हमें उन्हें सुनने और समर्थन करने की जरूरत है। हमें अपने बेटों से उसी तरह बात करनी चाहिए जैसे हम अपनी बेटियों से करते हैं।
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