हफ्ते में 90 घंटे काम किया तो क्या होगा सेहत का हाल? डॉक्टर से जानें 'वर्क लाइफ बैलेंस' क्यों है जरूरी
सेहतमंद रहने के लिए हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज तो बहुत जरूरी है ही लेकिन साथ ही एक बैलेंस वर्क लाइफ भी जरूरी है। हालांकि बीते कुछ दिनों से 90 घंटे काम करने को लेकर हर तरफ बहस छिड़ी हुई है। ऐसे में आइए डॉक्टर से जानते हैं कि सेहत पर क्या असर होगा अगर हफ्ते में करेंगे 90 घंटे काम (Overworking Side effects)।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बीते कुछ समय से सोशल मीडिया पर लगातार 90 घंटे काम (90 hours work week) करने को लेकर बहस छिड़ी हुई है। दरअसल, यह बहस तब शुरू हुई जब लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन हफ्ते में 90 घंटे काम करने पर अपनी सहमति जताई।
अपने एम्प्लॉइज के साथ ऑनलाइन बातचीत करते हुए उन्होंने न सिर्फ एक हफ्ते में 90 घंटे काम करने की वकालत की थी, बल्कि यह तक कह दिया था कि सभी को संडे के दिन भी काम करना चाहिए। उनके इस बयान के बाद से ही लोग मशूहर हस्तियों से लेकर आम आदमी तक, हर कोई इस पर अपनी राय दे रहा है। ऐसे में इस मुद्दे पर हमने भी डॉक्टर्स की राय ली और जाना कि अगर हम 90 घंटे काम (Overworking side effects) करते हैं, तो इससे हमारी फिजिकल (physical health risks) और मेंटल हेल्थ कैसे प्रभावित हो सकती है।
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फिजिकल हेल्थ पर असर
इस बारे में जानने के लिए हमने तुलसी हेल्थकेयर के सीईओ और सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ. गौरव गुप्ता से बातचीत की। उन्होंने बताया कि हफ्ते में 90 घंटे काम करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भारी दबाव हो सकता है। फिजिकली, लंबे समय तक काम करने से आपको भारी थकान हो सकती है, जो धीरे-धीरे आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकती है, जिससे इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
यही नहीं डॉक्टर ने यह भी बताया कि लंबे समय तक बिना ब्रेक के बैठे रहने से आपका पोश्चर खराब हो सकता है, जिससे पीठ और गर्दन में दर्द हो सकता है और यहां तक कि आंखों पर भी दबाव पड़ सकता है। अगर किसी व्यक्ति को ज्यादा काम करने के कारण पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, तो हाई बीपी, हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
मेंटल हेल्थ पर असर
डॉक्टर बताते हैं कि मानसिक रूप से, इतने लंबे समय तक काम करने से बहुत ज्यादा तनाव हो सकता है, जिसकी वजह से बर्नआउट हो सकता है। ज्यादा काम करने से लगातार दबाव बना रहता है और आराम करने का कोई समय नहीं होता, जिससे एंग्जायटी, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन होता है।
इसके अलावा, लंबे समय तक काम करने से लोगों से मिलने-जुलने और शौक पूरा करने के लिए समय कम हो जाता है, जिससे व्यक्ति अलग-थलग महसूस करता है और उसकी लाइफ क्वाविटी कम हो जाती है। साथ लगातार काम करने की वजह से एकाग्रता और फैलसा लेने की क्षमता भी कम हो जाती है।
वर्क लाइफ बैलेंस है जरूरी
नई दिल्ली के लाइटहाउस काउंसलिंग सेंटर की को-फाउंडर डॉ. गीता श्रॉफ इस बारे में बताती हैं कि 90 घंटे तक काम करने से हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज जैसी जरूरी सेल्फ केयर रूटीन के लिए समय नहीं मिल पाएगा, जो सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसे में कुछ ब्रेक, सही एक्सरसाइज और पर्याप्त आराम के साथ काम पर संतुलन बनाए रखने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ सही रास्ते पर है।
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