Diwali 2025: सिर्फ नाम हरा या प्रदूषण भी कम? पढ़ें आम पटाखों से कितने अलग हैं Green Crackers
दीवाली के बीच प्रदूषण की चिंता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बार दिल्ली-एनसीआर में Green Crackers के इस्तेमाल को मंजूरी दी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये ग्रीन पटाखे होते क्या हैं और ये आम पटाखों से कितने अलग हैं? आइए, इस आर्टिकल में आपको विस्तार से इसके बारे में बताते हैं।

क्या सच में 'ईको-फ्रेंडली' हैं ग्रीन पटाखे? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल, रोशनी का यह त्योहार (Diwali 2025) अपने पीछे धुंध और जहरीली हवा छोड़ जाता है। बता दें, पिछले कुछ सालों से मार्केट में एक नया नाम गूंज रहा है- Green Crackers, जिन्हें देखकर लगता है कि ये पर्यावरण को बचाने आए हैं, लेकिन क्या यह सिर्फ एक 'हरा छलावा' है, या फिर वैज्ञानिकों ने सच में ऐसा 'जादू' किया है जो प्रदूषण को कम कर सकता है?
इस दीवाली अगर आप भी जानना चाहते हैं कि ये 'ग्रीन' पटाखे हमारे फेफड़ों को सच में राहत देंगे या नहीं, और ये आपके पुराने बम-पटाखों से कितने अलग हैं (Green Crackers vs Regular Crackers), तो यह आर्टिकल खास आपके लिए ही है।
क्या हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखे ऐसे ईको-फ्रेंडली पटाखे हैं जिन्हें सीएसआईआर–नीरी (CSIR–NEERI) यानी नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है। बता दें, इन पटाखों की खासियत यह है कि इनमें पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम कच्चा माल, छोटा शेल आकार, और राख रहित सामग्री का इस्तेमाल होता है।
इसके अलावा, इनमें ऐसे विशेष तत्व मिलाए जाते हैं जो धूल को दबाते हैं और सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड व पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक उत्सर्जन को कम करते हैं।
ग्रीन पटाखों और आम पटाखों में फर्क
- सामान्य पटाखों में भारी धातुओं (जैसे सीसा, एल्युमिनियम, बेरियम आदि) के यौगिक इस्तेमाल होते हैं, जो जलने पर हवा और सेहत दोनों के लिए बेहद हानिकारक होते हैं।
- वहीं, ग्रीन पटाखों में जियोलाइट और आयरन ऑक्साइड जैसे मल्टी-फंक्शनल पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो रासायनिक मात्रा को घटाकर उत्सर्जन नियंत्रण में मदद करते हैं।
यानी साधारण पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे कम प्रदूषण फैलाते हैं और सेहत के लिए ज्यादा सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं।
क्या ग्रीन पटाखे पूरी तरह प्रदूषण–मुक्त हैं?
नहीं, ग्रीन पटाखे पूरी तरह प्रदूषण–मुक्त नहीं हैं, लेकिन सीएसआईआर–नीरी के अनुसार, ये सामान्य पटाखों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत कम वायु प्रदूषण फैलाते हैं।
- यह प्रदूषण मुख्य रूप से पार्टिकुलेट मैटर (PM) से होता है।
- यह वह सूक्ष्म धूलकण हैं जो हवा में तैरते रहते हैं।
इनके आकार के आधार पर इन्हें चार श्रेणियों में बांटा गया है- PM10, PM2.5, PM1 और अल्ट्रा–फाइन पार्टिकुलेट मैटर।
कण जितने छोटे होते हैं, वे शरीर में उतनी ही गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
ग्रीन पटाखों के प्रकार
1. SWAS (Safe Water and Air Releaser):
ये बहुत बारीक जलकण छोड़ते हैं जो धूल को सोख लेते हैं, जिससे हवा में उड़ने वाले कण घटते हैं।
2. SAFAL (Safe Minimal Aluminium):
इनमें सीमित मात्रा में एल्युमिनियम होता है, जिससे ये कम शोर और कम धुआं छोड़ते हैं।
3. STAR (Safe Thermite Cracker):
इनमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे इनसे निकलने वाला धुआं बहुत कम होता है।
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