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    दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों को 'हरी' झंडी, जानिए दूसरे पटाखों से कितने अलग होते हैं ये

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 01:57 PM (IST)

    ग्रीन पटाखे, जो SWAS, SAFAL और STAR जैसे प्रकारों में आते हैं, पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। ये पटाखे धूल को सोखने वाली पानी की बूंदें छोड़ते हैं, कम एल्यूमीनियम का उपयोग करते हैं, और कम धुआं उत्पन्न करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत दी है, जबकि अन्य पटाखों पर रोक लगाई है, और नकली ग्रीन पटाखे बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है।

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    ग्रीन पटाखे पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त नहीं हैं।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में 18 से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। दीवाली से एक दिन पहले और दीवाली के दिन सुबह 6-7 बजे और रात 8 से 10 बजे के बीच इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा। लेकिन ग्रीन पटाखे आखिर हैं क्या? और ये पारंपरिक पटाखों से कितने अलग हैं?

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    CSIR-NEERI के द्वारा विकसित ये पटाखे पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं और स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर हैं। आइए, इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

    ग्रीन पटाखों को कम कच्चे माल और छोटे शेल साइज के साथ बनाया जाता है। इनमें जहरीले भारी धातुओं की जगह कम हानिकारक यौगिकों (Compounds) का इस्तेमाल होता है। धूल दमन (Dust Suppression) करने वाले एडिटिव्स और कम रासायनिक सामग्री के साथ ये पटाखे हवा में पार्टिकुलेट मैटर, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करते हैं।

    ग्रीन पटाखों और पारंपरिक पटाखों में अंतर?

    CSIR-NEERI के एक शोध पत्र के अनुसार, पारंपरिक पटाखों में भारी धातु-आधारित यौगिकों का उपयोग होता है, जो प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं और स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करते हैं। वहीं, ग्रीन पटाखों में जिओलाइट और आयरन ऑक्साइड जैसे मल्टीफंक्शनल एडिटिव्स का इस्तेमाल होता है। ये उत्सर्जन को नियंत्रित करते हैं। इसके साथ ही इनमें रसायनों का इस्तेमाल भी कम होता है, जिससे पर्यावरण पर बोझ घटता है।

    हालांकि, ग्रीन पटाखे पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त नहीं हैं। CSIR-NEERI के अनुसार, ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30% कम वायु प्रदूषण या पार्टिकुलेट मैटर (PM) पैदा करते हैं।

    PM को हवा में मौजूद कणों के समूह के रूप में जाना जाता है, जो आकार के आधार पर चार श्रेणियों में बंटा है: PM10, PM2.5, PM1 और अल्ट्रा-फाइन पार्टिकुलेट मैटर। छोटे कण शरीर में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता है।

     

    ग्रीन पटाखे कितने तरह के होते हैं?

    ग्रीन पटाखें

    नाम विशेषता
    SWAS Safe Water and Air Releaser महीन पानी की बूंदें छोड़ता है, जो धूल सोख लेती हैं।
    SAFAL Safe Minimal Aluminium सुरक्षित मात्रा में एल्यूमीनियम, कम शोर।
    STAR Safe Thermite Cracker पोटैशियम नाइट्रेट या सल्फर नहीं, कम धुआं।

    इन पटाखों का डिजाइन पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, ताकि दीवाली का उत्साह कम न हो, लेकिन नुकसान भी कम हो।

    सुप्रीम कोर्ट का क्या है रुख?

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-NCR के बाहर से लाए गए पटाखे दीवाली के दौरान ग्रीन पटाखों से ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, कोर्ट ने पर्यावरण से समझौता किए बिना संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए ग्रीन पटाखों की अनुमति दी है। कोर्ट ने दिल्ली-NCR के बाहर से पटाखों की खरीद और उपयोग पर रोक लगा दी है। साथ ही, अगर कोई निर्माता नकली ग्रीन पटाखे बनाता पाया गया, तो उसका लाइसेंस रद्द करने का आदेश भी दिया गया है।

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