सदियों से लोगों को जोड़ रहा है मध्य पूर्व का 'डाबके' नृत्य, संस्कृति और एकता की मिलती है अनूठी मिसाल
डाबके सिर्फ एक नृत्य नहीं है बल्कि यह मध्य पूर्व के लोगों की जिंदगी का एक अहम हिस्सा है। इस डांस (Dabke Dance) के जरिए वे अपनी खुशी गम त्योहार और जीवन के और भी कई पहलुओं को दिखाते हैं। ये नृत्य बताते हैं कि वह कैसा महसूस करते हैं और उनके जीवन में क्या-क्या होता है। आइए इस आर्टिकल में इसके इतिहास और महत्व के बारे में जानते हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। डाबके एक बहुत ही मशहूर नृत्य है जो मध्य पूर्व के देशों में किया जाता है। यह नृत्य (Dabke Dance) सीरिया, फिलिस्तीन, लेबनान और आसपास के कई देशों में बहुत पसंद किया जाता है। जब शादियां, त्योहार या कोई खास मौका होता है, तो लोग डाबके नृत्य करते हैं। "डाबके" शब्द का मतलब है "पैरों को जोर से पटकना"। इस नृत्य को बहुत पुराना माना जाता है, लेकिन यह कैसे शुरू हुआ, इसके बारे में कोई ठीक से नहीं जानता। डाबके नृत्य में लोग एक गोल घेरा बना लेते हैं और एक दूसरे का हाथ पकड़ लेते हैं। फिर वे सब मिलकर एक साथ ताल पर पैर पटकते हैं और शरीर को हिलाते हैं। इस नृत्य में हाथों से कुछ खास तरह के इशारे भी किए जाते हैं और चेहरे पर अलग-अलग भाव दिखाए जाते हैं।
डाबके का अर्थ और उत्पत्ति
'डाबके' शब्द की उत्पत्ति अरबी शब्द 'डबक' से हुई है, जिसका अर्थ है 'ज़ोर से पैर कुचलना'। यह नृत्य अपने तेज गति और ऊर्जावान कदमों के लिए जाना जाता है। डाबके की उत्पत्ति के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। कुछ का मानना है कि यह नृत्य कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है, जबकि अन्य का मानना है कि इसका संबंध युद्ध से है।
डाबके के प्रकार
डाबके के विभिन्न प्रकार हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों में थोड़े बहुत भिन्न होते हैं। हालांकि, सभी प्रकारों में कुछ मूल तत्व समान होते हैं।
- लाइन डांस: यह डाबके का सबसे आम प्रकार है, जिसमें नर्तक एक लाइन में खड़े होकर नृत्य करते हैं।
- सर्कल डांस: इस प्रकार के डाबके में नर्तक एक घेरे में खड़े होकर नृत्य करते हैं।
- फ्री स्टाइल डांस: यह डाबके का एक आधुनिक रूप है, जिसमें नर्तकों को अपनी रचनात्मकता दिखाने की ज्यादा स्वतंत्रता होती है।
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डाबके का सांस्कृतिक महत्व
डाबके मध्य पूर्व की संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। यह नृत्य विभिन्न अवसरों पर किया जाता है, जैसे कि शादियों, उत्सवों और राष्ट्रीय दिवसों पर। डाबके लोगों को एक साथ लाता है और उनकी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है। यह नृत्य युवा पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आधुनिक समय में डाबके
आजकल, डाबके को दुनिया भर में लोकप्रियता मिल रही है। कई अंतरराष्ट्रीय नृत्य समूह डाबके का प्रदर्शन करते हैं। डाबके को आधुनिक संगीत और नृत्य शैलियों के साथ भी मिलाया जा रहा है, जिससे यह एक नया रूप ले रहा है।
डाबके एक ऐसा नृत्य है जो मध्य पूर्व की संस्कृति और लोगों के जीवन को दर्शाता है। यह नृत्य न केवल मनोरंजन का एक साधन है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक विरासत भी है। डाबके की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जो इस बात का प्रमाण है कि यह नृत्य सदियों से लोगों को जोड़ता रहेगा।
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