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    खाना खिलाने वालों का एहसान नहीं भूलते कौवे, बालकनी पर मिलने वाली छोटी-छोटी चीजें हैं दोस्ती का सबूत

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 12:03 PM (IST)

    दुनिया भर में कई लोगों ने ऐसे किस्से शेयर किए हैं, जहां कौवों को खाना खिलाने के बाद उन्हें बदले में छोटी-छोटी अजीबोगरीब चीजें मिली हैं। जी हां, ये नन् ...और पढ़ें

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    चेहरा पहचानने से लेकर गिफ्ट देने तक, विज्ञान ने माना- कौवे होते हैं बेहद होशियार (Image Source: AI-Generated) 

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि एक पक्षी आपके किए गए एहसान को याद रख सकता है? यह पढ़ने में किसी फिल्म की कहानी लग सकती है, लेकिन दुनिया भर में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें अपनी खिड़की या बालकनी पर कौवों से अजीबोगरीब 'गिफ्ट' मिले हैं। कभी एक चमकदार कंकड़, तो कभी बोतल का ढक्कन और कभी-कभी तो सोने की अंगूठी भी। दरअसल, ये नन्हीं चीजें बहुत सलीके से उन जगहों पर रखी जाती हैं जहां आपकी नजर उन पर जरूर पड़े।

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    जिन लोगों के साथ ऐसा होता है, उनके लिए यह पल किसी जादू से कम नहीं होता। ऐसा लगता है मानो वह पक्षी आपसे एक खास रिश्ता जोड़ रहा है या अपना 'आभार' व्यक्त कर रहा है, लेकिन क्या यह सिर्फ इत्तेफाक है? जी नहीं! वैज्ञानिकों ने जब कौवों के दिमाग का अध्ययन किया, तो हैरान कर देने वाली बात सामने आई (Why Do Crows Bring Gifts To Humans)। यह जादुई दिखने वाला बरताव असल में उनकी जबरदस्त होशियारी और याददाश्त का नतीजा है।

    why crows leave gifts for humans

    (Image Source: AI-Generated) 

    चेहरे याद रखने की हैरतअंगेज क्षमता

    कौवे पृथ्वी पर मौजूद सबसे बुद्धिमान पक्षियों में से एक हैं। वे न केवल समस्याओं को सुलझा सकते हैं, बल्कि चेहरों को पहचान भी सकते हैं। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि अमेरिकी कौवे उन इंसानी चेहरों को कई सालों तक याद रख सकते हैं जो उनके लिए खतरनाक थे या दयालु थे।

    शोधकर्ताओं ने विशेष मास्क पहनकर कौवों को पकड़ा था। बाद में, जब भी कोई व्यक्ति वही मुखौटा पहनकर आया, तो कौवों ने उसे पहचान लिया और उस पर चिल्लाने लगे, भले ही काफी समय बीत चुका था। यह साबित करता है कि कौवे लंबी अवधि की सामाजिक यादें बनाते हैं। यही कारण है कि जो इंसान नियमित रूप से उन्हें खाना खिलाते हैं या उनसे प्यार से पेश आते हैं, उन्हें कौवे याद रखते हैं और उन्हें "गिफ्ट" देते हैं।

    क्या यह सच में 'गिफ्ट' है या कुछ और?

    कौवे 'कॉर्विड' परिवार से आते हैं, जो अपनी होशियारी और औजारों के इस्तेमाल के लिए मशहूर हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इंसानों के लिए छोड़ी गई ये वस्तुएं रैंडम नहीं होतीं, बल्कि यह 'सीखने की प्रक्रिया' का हिस्सा हो सकती हैं।

    कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह 'गिफ्ट देने' की प्रक्रिया शायद गलती से शुरू होती है। कौवे अक्सर जिज्ञासावश अपनी चोंच में चीजें लेकर उड़ते हैं। जब वे खाना लेने के लिए किसी इंसान के पास आते हैं, तो कभी-कभी अनजाने में अपनी चोंच में फंसी चीज (जैसे कंकड़ या ढक्कन) गिरा देते हैं। अगर इसके तुरंत बाद इंसान उन्हें इनाम के तौर पर खाना दे देता है, तो कौवे को लगता है कि यह एक तरह का "लेन-देन" है। वे सीख जाते हैं कि कोई वस्तु लाने पर उन्हें खाना या प्यार मिलेगा।

    crows and humans relationship

    (Image Source: AI-Generated)

    कौवे किस तरह की चीजें लाते हैं?

    कौवे द्वारा छोड़े गए ये छोटे गिफ्ट अक्सर ऐसी चीजें होती हैं जो:

    • चमकदार और अनोखी होती हैं: कौवों को स्वाभाविक रूप से चमकने वाली चीजें इकट्ठा करना पसंद है।
    • टिकाऊ और लाने में आसान होती हैं: कंकड़, धातु के टुकड़े या अंगूठियां मजबूत होती हैं और उड़ते समय ले जाने में हल्की होती हैं।
    • खोजबीन के दौरान मिली होती हैं: जब वे अपने आस-पास की दुनिया को एक्सप्लोर करते हैं, तो उन्हें ये चीजें मिलती हैं।

    कौवों के साथ कैसे बढ़ाएं दोस्ती?

    अगर आप भी इन बुद्धिमान पक्षियों के साथ एक पॉजिटिव रिश्ता बनाना चाहते हैं, तो एक्सपर्ट्स ने कुछ सुझाव दिए हैं:

    • उन्हें हर दिन एक ही समय और एक ही जगह पर खाना खिलाएं।
    • उन्हें बिना नमक वाले नट्स या अनाज दें।
    • प्रोसेस्ड फूड, बचा हुआ खाना या प्लास्टिक वाली चीजें न दें।
    • शांत रहें और उन्हें छूने या पकड़ने की कोशिश न करें।

    कौवे द्वारा कंकड़, बोतल के ढक्कन या अन्य चीजें छोड़ना उनकी बुद्धिमत्ता और सामाजिक जुड़ाव की क्षमता को दर्शाता है। भले ही वैज्ञानिक यह पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि ये 'उपहार' हैं या नहीं, लेकिन यह तय है कि कौवे दयालुता को पहचानते हैं और उस पर प्रतिक्रिया देते हैं। चाहे यह एक सीखा हुआ व्यवहार हो या दोस्ती की निशानी, यह हमें याद दिलाता है कि इंसानों और जानवरों के बीच के छोटे-छोटे पल भी कितने खास हो सकते हैं।

    Source: Proceedings of the National Academy of Sciences

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