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    क्या AI भी माप सकता है इंसान का दर्द? चेहरे के हाव-भाव से मिलेगा आपकी तकलीफ का स्कोर

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 03:25 PM (IST)

    क्या आपने कभी सोचा है कि एआई भी अब इंसानों के दर्द की तीव्रता को माप सकता है? जी हां, हाल ही में एक ऐसा एआई ऐप विकसित किया गया, जो व्यक्ति के हाव-भाव की मदद से दर्द की तीव्रता को माप सकता है और उसे कम, मध्यम और ज्यादा जैसी श्रेणियों में भी बांट सकता है।  

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    अब एआई भी माप सकता है दर्द की तीव्रता (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दर्द एक बेहद ही पर्सनल एक्सपीरिएंस है। एक चोट जो किसी व्यक्ति को असहनीय लग सकती है, वहीं किसी दूसरे व्यक्ति के लिए मामूली हो सकती है। हालांकि, इसे हर कोई महसूस कर सकता है, लेकिन इसे ठीक तरीके से मापना लगभग नामुमकिन है। 

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    लेकिन अब दर्द को समझने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद ली जा रही है। हाल ही में एक एआई ऐप विकसित किया गया, जो व्यक्ति के दर्द की तीव्रता को मापने की कोशिश करता है। आइए जानें इस बारे में। 

    कैसे काम करता है यह एआई ऐप?

    यह एआई ऐप स्मार्टफोन या टैबलेट के कैमरे से व्यक्ति के चेहरे के फेशियल एक्शन यूनिट्स यानी छोटे हाव-भावों को स्कैन करता है। जैसे होंठ सिकुड़ना, भौंहें चढ़ाना, आंखों का सिकुड़ना या चेहरे पर तनाव के भाव- ये सभी संकेत दर्द के स्तर का अनुमान लगाने में मदद करते हैं। 

    इसके बाद एक डिजिटल चेकलिस्ट भरी जाती है, जिसमें मरीज की आवाज, शरीर की हलचल और गतियों जैसी जानकारियां शामिल होती हैं। ऐप इन आंकड़ों के आधार पर 0 से 42 के बीच एक स्कोर देता है, जिसे चार श्रेणियों- ‘कोई दर्द नहीं’, ‘हल्का दर्द’, ‘मध्यम दर्द’ और ‘तेज दर्द’- में बांटा जाता है।

    AI can measure Pain (1)

    किसके लिए कारगर है यह तकनीक?

    यह ऐप खासतौर पर उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है जो अपनी तकलीफ को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते, जैसे डिमेंशिया या स्ट्रोक के मरीज, या नवजात शिशु। डॉक्टरों और केयरगिवर्स के लिए यह टूल पेन मैनेजमेंट की दिशा में काफी मददगार साबित हो सकता है। इसके जरिए न केवल दर्द का अंदाजा लगाया जा सकता है, बल्कि इलाज का असर भी मापा जा सकता है।

    क्या पहले भी दर्द मापने की कोशिश हुई थी?

    दर्द मापने की कोशिश नई नहीं है। 1940 के दशक में युद्ध के दौरान घायल सैनिकों पर किए गए अध्ययनों से यह सामने आया था कि सैनिक आम नागरिकों की तुलना में कम पेन किलर दवाएं मांगते थे। इसके पीछे की वजह या तो बहादुरी हो सकती है या जिंदा बचने की राहत। इससे यह समझ आया कि दर्द केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्थितियों से भी प्रभावित होता है।

    2010 में लंदन के वैज्ञानिकों ने ब्रेन स्कैन के जरिए दर्द मापने की कोशिश की थी, लेकिन दिमाग के कॉम्प्लेक्स रिएक्शन के कारण यह प्रयोग सफल नहीं हो सका।

    क्या यह ऐप पूरी तरह भरोसेमंद है?

    हालांकि यह ऐप तकनीकी रूप से काफी आगे है, फिर भी इसकी अपनी सीमाएं हैं। चेहरे के हाव-भाव कई बार अन्य भावनाओं- जैसे तनाव, भूख, डर या थकान- के कारण भी बदल जाते हैं। ऐसे में यह ऐप हमेशा सही रिजल्ट नहीं दे सकता।