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    विज्ञान का अनोखा चमत्कार! लौट आए 13 हजार साल पहले विलु्प्त हुए Dire Wolves; पढ़ें क्या है इनकी खासियत

    अगर आपने गेम ऑफ थ्रोन्स देखा है तो Dire Wolf का नाम तो जरूर सुना होगा। हालांकि अब ये सिर्फ फैंटसी वर्ल्ड में ही नहीं बल्कि असल जिंदगी में भी आ चुके हैं। साइंस की मदद से भेड़ियों की इस विलुप्त हो चुकी प्रजाति को फिर से वापिस लाया गया है (Dire Wolves Return)। आइए जानते हैं कि यह कैसे हुआ और इन वुल्फ्स की खासियत क्या है।

    By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Wed, 09 Apr 2025 09:24 AM (IST)
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    13000 साल बाद फिर लौटे Dire Wolves (Picture Courtesy: Instagram)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। विलुप्त हो चुके डायर वूल्फ (Dire Wolf) को जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से वापस लाने में उन्हें कामयाबी मिली है। ये भेड़िए 'गेम ऑफ थ्रोन्स' सीरीज के कारण दुनियाभर में मशहूर हुए थे, जहां इन्हें 'डायरवूल्फ' के नाम से दिखाया गया था। लेकिन अब ये सिर्फ फैंटसी नहीं, बल्कि रिएलिटी बन चुके हैं (Dire Wolves Return)। आइए जानते हैं कि यह अद्भुत वैज्ञानिक उपलब्धि कैसे हासिल की गई और क्यों यह तकनीक भविष्य के लिए अहम साबित हो सकती है।

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    डायर वूल्फ क्या थे और कैसे विलुप्त हुए?

    डायर वूल्फ (Canis dirus) एक विशालकाय भेड़िया प्रजाति थी, जो आज से लगभग 13,000 साल पहले विलुप्त हो गई। ये आज के ग्रे वूल्फ (Gray Wolf) से 25% बड़े और ज्यादा शक्तिशाली थे, जिनका वजन लगभग 140 पाउंड तक होता था। इनकी खासियत थी- मजबूत जबड़े, घने फर और बर्फीले मौसम में जिंदा रहने की क्षमता।

    क्यों विलुप्त हो गए थे डायर वूल्फ?

    वैज्ञानिकों के अनुसार, इनके विलुप्त होने के दो मुख्य कारण थे-

    • शिकार की कमी- डायर वूल्फ मुख्य रूप से बड़े शिकार जैसे बाइसन और मैमथ पर निर्भर थे, जो खुद विलुप्त हो गए। इसलिए शिकार की कमी की वजह से ये धीरे-धीरे विलुप्त हो गए।
    • मानव शिकार-  इंसानों के बढ़ते दबाव ने इनकी आबादी को खत्म कर दिया।

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    कैसे वापस लाए गए डायर वूल्फ?

    इस असंभव-सी लगने वाली बात को को कोलोसल बायोसाइंसेज (Colossal Biosciences) नाम की बायोटेक कंपनी ने सफल बनाया। उन्होंने 'डी-एक्सटिंक्शन' (De-Extinction) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 2021 में डायर वूल्फ के जीवाश्मों से प्राचीन डीएनए निकाला। आधुनिक ग्रे वूल्फ के 20 जीनों में बदलाव करके डायर वूल्फ की विशेषताएं जैसे बड़ा आकार, घना फर और मजबूत हड्डियां शामिल की गईं। मॉडिफाइड एंब्रोज को सरोगेट कुत्तों में डाला गया, जिसके बाद तीन स्वस्थ डायर वूल्फ शावक पैदा हुए। इनके नाम रोमुलस, रेमुस और खलीसी रखे गए।

    नए डायर वूल्फ की खासियतें

    • ये आम ग्रे वूल्फ से 20% बड़े हैं।
    • इनका फर सफेद और घना है, जो ठंडे मौसम के अनुकूल है।
    • हालांकि, ये 100% डायर वूल्फ नहीं हैं, क्योंकि इनमें केवल 20 जीन ही बदले गए हैं, जबकि असली डायर वूल्फ में 80 अलग जीन होते थे।

    यह तकनीक क्यों खास और जरूरी है?

    यह तकनीक विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने में मदद कर सकती है, जैसे रेड वूल्फ और टस्कनी लायन। इससे इकोसिस्टम को संतुलित करने में भी मदद मिल सकती है। कंपनी अब 2028 तक वूली मैमथ को वापस लाने की योजना बना रही है।

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