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    National Endangered Species Day: राजकीय पक्षी पर संकट, तीन साल में तीन सौ सारस विलुप्त, यह आंकड़ा देख रह जाएंगे हैरान

    By Jagran NewsEdited By: Vivek Shukla
    Updated: Fri, 17 May 2024 01:58 PM (IST)

    लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम 1973 वन्यजीवों और संकटग्रस्त प्रजातियों की सुरक्षा पर केंद्रित है। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) के अनुसार पिछले दो दशकों में लुप्तप्राय प्रजातियों की संख्या पूरी दुनिया में दोगुणा से अधिक हो गई है। संस्था के आकड़ों के अनुसार दुनिया में वन्य जीव की 31000 से अधिक प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा है।

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    तीन सौ तीन सारस अपने कुनबे के साथ गायब हो गए हैं।

    रितेश द्विवेदी, जागरण कानपुर। उप्र के राजकीय पक्षी सारस की प्रजाति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस प्रजाति को बचाने के लिए वन विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इनकी संख्या नहीं बढ़ पा रही है। बीते तीन वर्षों में जिले से तीन सौ तीन सारस अपने कुनबे के साथ गायब हो गए हैं।

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    सारस की घटती संख्या को लेकर वन विभाग के अफसर भी चिंतित हैं। वन्य जीव संरक्षण के लिए पूरी दुनिया मई माह के तीसरे शुक्रवार को राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस के रूप में मनाती है। इस दिवस पर सभी संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए वन्यजीव संरक्षण और बहाली के प्रयासों के महत्व के बारे में जानकारी देने के साथ ही जागरूक किया जाता है।

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    लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम 1973, वन्यजीवों और संकटग्रस्त प्रजातियों की सुरक्षा पर केंद्रित है। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) के अनुसार पिछले दो दशकों में लुप्तप्राय प्रजातियों की संख्या पूरी दुनिया में दोगुणा से अधिक हो गई है।

    संस्था के आकड़ों के अनुसार दुनिया में वन्य जीव की 31,000 से अधिक प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा है। यह सभी वन्य जीव प्रजातियों का 27 प्रतिशत है। इसी कड़ी में अब प्रदेश के राजकीय पक्षी सारस पर खतरा मंडराने लगा है।

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    हालांकि वन विभाग के अफसरों का कहना है कि गर्मी के मौसम में सारस दलदली जगह, तालाब या नदी किनारे चले जाते हैं, जिसके कारण उनकी संख्या कम हो जाती है। जिले में वर्ष 2020 तक सारस की संख्या 426 थी लेकिन 2023 में हुई गणना में यह संख्या घटकर 123 पहुंच गई। जून माह में वन विभाग ग्रीष्मकालीन गणना का कार्य शुरू करेगा।

    कानपुर मंडल के मुख्य वन संरक्षक केके सिंह ने कहा कि जिलास्तर पर केवल सारस की गणना का कार्य वर्ष में दो बार किया जाता है। इस प्रजाति के साथ ही अन्य जीव, पशु और पक्षियों के संरक्षण को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। लुप्त प्राय परियोजना के तहत राज्य सरकार वन्य जीव संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर कार्य कर रही है।