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    50 शब्द, जो बना देंगे आपकी हिंदी को और भी दमदार; बोलने में अटक जाती है कई लोगों की जुबान

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 07:28 AM (IST)

    क्या आप भी हिंदी बोलते हुए अक्सर अटक जाते हैं या सही शब्द नहीं मिलते? क्या आप चाहते हैं कि आपकी हिंदी दूसरों पर गहरी छाप छोड़े? अगर हां तो आज 14 सितंबर को मनाए जा रहे हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2025) के मौके पर इन 50 शब्दों को अपनी डिक्शनरी में शामिल कर लीजिए।

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    Hindi Diwas 2025: आपकी हिंदी को दमदार बनाएंगे ये 50 शब्द (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपकी जुबान भी हिंदी बोलते वक्त अटक जाती है? क्या आप भी चाहते हैं कि जब आप बोलें तो सामने वाला आपकी बात ध्यान से सुने? अगर इन सवालों के जवाब 'हां' में हैं, तो यह आर्टिकल खास आपके लिए ही है।

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    दरअसल, आपकी इस समस्या का हल हमारे पास है। बता दें, हिंदी को सिर्फ व्याकरण से नहीं, बल्कि सही और प्रभावशाली शब्दों के इस्तेमाल से भी दमदार बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं ऐसे कुछ शब्द (50 Words To Improve Hindi) जिनके उच्चारण में अक्सर लोगों की जुबान अटक जाती है।

    हिंदी के 50 कठीन शब्द 

    • प्रत्युत्पन्नमति - जिसकी बुद्धि तुरंत काम करे।
    • अनिर्वचनीय - जिसे शब्दों में व्यक्त न किया जा सके।
    • यत्किंचित - थोड़ा-बहुत।
    • दुरुपयोक्ता - दुरुपयोग करने वाला।
    • क्षीणवपु - कमजोर शरीर वाला।
    • वात्याचक्र - बवंडर या चक्रवात।
    • औदासीन्य - उदासीनता।
    • अंतर्राष्ट्रीयकरण - अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाना।
    • पुनरुत्थान - फिर से उठना या जागृत होना।
    • सौंदर्यानुभूति - सुंदरता का अनुभव।
    • दुर्भेद्य - जिसे भेदना कठिन हो।
    • किंकर्तव्यविमूढ़ - यह न समझ पाना कि अब क्या करना चाहिए।
    • निर्निमेष - बिना पलक झपकाए।
    • क्षमाशील - क्षमा करने वाला।
    • विप्रलब्ध - धोखा खाया हुआ।
    • अक्षण्णु - जिसके टुकड़े न किए जा सकें।
    • विशिष्टता - विशेष होने का भाव।
    • जिजीविषा - जीने की इच्छा।
    • अतिश्योक्ति - बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
    • आश्रयदाता - आश्रय देने वाला।
    • दृष्टिगोचर - जो दिखाई दे।
    • अनुदैर्घ्य - लंबाई के अनुसार।
    • उच्छ्वास - सांस को बाहर निकालना।
    • संश्लेषण - कई चीजों को मिलाकर एक करना।
    • विग्रह - अलग-अलग करना।
    • तटस्थता - किसी भी पक्ष में न होना।
    • श्रुतिसमभिन्नार्थक - सुनने में एक जैसे पर अर्थ में भिन्न।
    • सर्वांगीण - सभी अंगों से संबंधित।
    • अकिंचन - जिसके पास कुछ भी न हो।
    • संप्रभुत्वशाली - पूरी तरह से स्वतंत्र और शक्तिशाली।
    • अभिज्ञानशाकुंतलम् - कालिदास का एक प्रसिद्ध नाटक।
    • अंतरंग - अंदर का, गहरा संबंध।
    • बहिरांग - बाहरी।
    • कक्षाध्यापक - कक्षा का अध्यापक।
    • परिशीलन - किसी विषय को ध्यान से पढ़ना।
    • सर्वोपरि - सबसे ऊपर।
    • क्षुधा - भूख।
    • पुनरावलोकन - फिर से देखना।
    • अधोमुख - नीचे की ओर मुंह करके।
    • मर्मस्पर्शी - दिल को छू लेने वाला।
    • अन्यायोचित - जो अन्यायपूर्ण हो।
    • दुर्भिक्ष - अकाल।
    • सर्वव्यापी - सब जगह मौजूद।
    • अभिवादन - नमस्कार या सम्मान करना।
    • परस्पर - आपस में।
    • स्वच्छंदता - मनमानी।
    • निर्भीक - निडर।
    • व्यतिक्रम - क्रम का उल्टा-सीधा होना।
    • निस्संशय - बिना किसी शक के।
    • प्रणयिनी - प्रेमिका।

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