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    बंदरों से इंसानों में फैल सकता है Monkey Fever, यहां पढ़ें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

    Updated: Sun, 06 Jul 2025 08:01 AM (IST)

    हर साल 6 जुलाई को World Zoonoses Day मनाया जाता है। इस दिन जानवरों से इंसानों में फैलनी वाली बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। मंकी फीवर भी ऐसी ही एक बीमारी है। यह बंदरों और चूहों के जरिए इंसानों में फैल सकता है। आइए जानें इस बीमारी के लक्षण (Monkey Fever Symptoms) और बचाव के तरीके।

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    कैसे होते हैं Monkey Fever के लक्षण? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Kyasanur Forest Disease (KFD), जिसे मंकी फीवर (Monkey Fever) के नाम से भी जाना जाता है, एक जूनोटिक बीमारी है। यह एक गंभीर वायरल बीमारी है जो इन्फेक्टेड टिक्स के काटने से फैलती है।

    इस बीमारी का पहली बार 1957 में कर्नाटक के क्यासनुर जंगल में पता चला था, इसलिए इसे क्यासनुर फॉरेस्ट डिजीज कहा जाता है। इसलिए इसके मामले जंगल के आस-पास के इलाकों में ज्यादा पाए जाते हैं। आइए वर्ल्ड जूनोसिस डे (World Zoonoses Day 2025) पर जानें कैसे होते हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके।

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    KFD क्या है?

    KFD एक जूनोटिक वायरल बीमारी है। यह बीमारी मुख्य रूप से जंगली जानवरों (खासकर बंदरों और चूहों) और टिक्स के जरिए फैलती है। जब संक्रमित टिक्स इंसानों को काटते हैं, तो वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है और बीमारी का कारण बनता है।

    यह भी पढ़ें: क्या रेबीज की वैक्सीन लेने के बाद भी हो सकती है मौत? जानें क्या हो सकते हैं कारण और लक्षण

    KFD के लक्षण

    इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर 3 से 8 दिन के भीतर दिखाई देते हैं, जो कुछ ऐसे नजर आ सकते हैं-

    • तेज बुखार
    • सिरदर्द
    • मांसपेशियों में दर्द
    • कमजोरी और थकान
    • उल्टी और दस्त
    • नाक या मसूड़ों से खून आना (कुछ मामलों में)

    लगभग 10-20% मरीजों में दूसरे स्टेज के लक्षण भी दिखाई देते हैं, जैसे-

    • मेंटल डिस्टर्बेंस
    • हाथ-पैरों में कंपन
    • आंखों से जुड़ी समस्या

    KFD कैसे फैलता है?

    • इसका सबसे मुख्य कारण है टिक्स का काटना।
    • संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से।
    • संक्रमित जानवरों, जैसे- गाय, भैंस का दूध पीना। हालांकि, ऐसा बहुत कम होता है।
    • यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता है।

    KFD से बचाव के उपाय

    टिक्स के काटने से बचें

    • जंगल या झाड़ी वाले इलाकों में जाने से पहले पूरे कपड़े पहनें।
    • DEET युक्त मॉस्किटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें।
    • घर लौटने पर शरीर और कपड़ों की अच्छी तरह जांच करें।

    टीकाकरण

    • KFD का टीका उपलब्ध है, जो इस बीमारी से बचाव में मदद करता है।
    • जो लोग जंगल या कृषि क्षेत्रों में काम करते हैं, उन्हें वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए।

    स्वच्छता का ध्यान रखें

    • संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से बचें।
    • पशुओं का दूध उबालकर पिएं।

    सरकारी सलाह का पालन करें

    • KFD प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।

    KFD का इलाज

    • KFD का पता ब्लड टेस्ट (PCR या एंटीबॉडी टेस्ट) से किया जाता है।
    • अभी तक इस बीमारी का कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों के आधार पर दवाएं दी जाती हैं, जैसे- पैरासिटामोल (बुखार और दर्द के लिए)।
    • हाइड्रेशन का ध्यान रखना।
    • गंभीर मामलों में हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत हो सकती है।

    यह भी पढ़ें: जानवरों से इंसानों तक: भारत में जूनोटिक संक्रमणों की खामोश दस्तक

    Source: 

    CDC: https://www.cdc.gov/kyasanur/about/index.html

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