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World Sleep Day 2024: अकेले सोना या बेड शेयर करना, जानें किसमें मिलती है सुकून की नींद

अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी है। नींद की इसी अहमियत और इससे जुड़े विकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल मार्च के तीसरे शुक्रवार को World Sleep Day मनाया जाता है। हमारे सोने का तरीका हमारी नींद को प्रभावित करता हैं। ऐसे में आज जानेंगे अकेले सोने और बेड शेयर करने में से क्या ज्यादा बेहतर है।

By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Published: Fri, 15 Mar 2024 03:23 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2024 03:23 PM (IST)
World Sleep Day 2024: अकेले सोना या बेड शेयर करना, जानें किसमें मिलती है सुकून की नींद
अकेले या पार्टनर के साथ, कैसे सोना है ज्यादा बेहतर

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। तेजी से बदलती लाइफस्टाइल इन दिनों लोगों को कई समस्याओं का शिकार बना रही है। काम का बढ़ता प्रेशर और खानपान की गलत आदतों का असर हमारी सेहत पर ही नहीं, बल्कि नींद पर भी पड़ता है। इन दिनों कई लोग अनिद्रा यानी इनसोम्निया का शिकार है। यह एक आम समस्या बन चुकी है, जो किसी को भी अपनी चपेट ले सकती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। तनाव से लेकर लंबे समय तक स्क्रीन का इस्तेमाल हमारी नींद को काफी प्रभावित करता है।

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हेल्दी रहने के लिए अच्छी और पूरी नींद जरूरी है। यही वजह है कि नींद के महत्व और इससे जुड़े डिसऑर्डर के बारे में जारूकता फैलाने के मकसद से हर साल मार्च के तीसरे शुक्रवार को वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है।

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नींद को प्रभावित करती सोने का तरीका

हमारी नींद को कई चीजें प्रभावित करती है, जिसमें से एक हमारे सोने का तरीका भी है। हम कैसे सोते हैं, इसका आपके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा भी प्रभाव पड़ सकता है। इतना ही नहीं अकेले सोने या बेड शेयर करने का भी हमारी सेहत पर असर पड़ता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे अकेले सोने और बेड शेयर करने में से ज्यादा बेहतर क्या और क्यों हैं।

बेड शेयर करने के फायदे

एरिजोना विश्वविद्यालय में हुई एक स्टडी में यह पता चला कि अपने साथी या जीवनसाथी के साथ बिस्तर साझा करते हैं, वे अकेले सोने वालों की तुलना में बेहतर सोते हैं। अध्ययन के अनुसार, अकेले सोने वालों की तुलना में पार्टनर के साथ बिस्तर शेयर करने वालों को अनिद्रा, थकान और ज्यादा सोने की समस्या कम होती है।

इतना ही नहीं अध्ययन में यह भी पता चला कि अपने साथी के साथ सोना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर हो सकता है, क्योंकि जो कपल एक साथ सोते हैं, उनमें अवसाद, चिंता और तनाव कम होता है और जीवन और रिश्तों को लेकर अधिक संतुष्टि मिलती है।

अकेले सोने के फायदे

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बेड शेयर करने से लोगों की नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। खासकर उन लोगों की, जो अपने पार्टनर के खर्राटों या बार-बार करवट बदलने के कारण गहरी नींद नहीं ले पाते हैं। अगर आप पार्टनर नींद से जुड़ी समस्या से जूझ रहा है, तो उसे बार-बार करवटें बदलने की समस्या होती है, जिसका असर दूसरे साथी की नींद पर भी पड़ सकता है।

वहीं, इसके विपरीत अगर आप अकेले सोते हैं, तो पार्टनर से एसी के तापमान, पंखे की स्पीड आदि को लेकर होने वाले झगड़ों से बचने में मदद मिल सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि 'स्लीप डिवोर्स' (जिसमें कपल अलग-अलग सोते हैं) नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, लेकिन अगर रात के समय अलग रहने की वजह से कम्युनिकेशन और इंटिमेसी प्रभावित होती है, जो रिश्ते की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आप भले ही अकेले सोएं या अपने पार्टनर के साथ, दोनों के लिए अपने अलग फायदे और नुकसान हैं। ऐसे में आप अपनी सुविधा के अनुसार यह तय कर सकते हैं कि आपके लिए किस तरह सोना ज्यादा बेहतर है।

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Picture Courtesy: Freepik


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