Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    World Retina Day 2025: डायबिटीज भी छीन सकता है आंखों की रोशनी, डॉक्टर से जानें बचाव के सही तरीके

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 10:00 AM (IST)

    हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को वर्ल्ड रेटिना डे (World Retina Day 2025) मनाया जाता है। रेटिना से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। रेटिना से जुड़ी एक गंभीर समस्या डायबिटीज की वजह से होती है जिसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। आइए जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके।

    Hero Image
    डायबिटीज के कारण आंखों को भी हो सकता है नुकसान (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। डायबिटीज (Diabetes) एक ऐसी लाइलाज बीमारी है, जो धीरे-धीरे हमारे पूरे शरीर को खोखला कर देती है। इसका असर शरीर के लगभग हर अहम हिस्से पर होता है, जिसमें आंखें भी शामिल हैं। जी हां, डायबिटीज के दुष्परिणाम हमारी आंखों को भी भुगतना पड़ सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दरअसल, ब्लड शुगर बढ़ने की वजह से आंखों के रेटिना को नुकसान पहुंचता है। इसे डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy) कहा जाता है। अगर इस पर वक्त रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह आपकी आंखों की रोशनी भी छीन सकता है। आइए डॉ. रिंकी आनंद गुप्ता (ऑप्थैमोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियेलिटी हॉस्पिटल, वैशाली) से जानें कैसे डायबिटीज आंखों को नुकसान पहुंचाता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।

    रेटिना क्या है और डायबिटीज उसे कैसे नुकसान पहुंचाती है?

    रेटिना आंख के पिछले हिस्से में स्थित एक पतली, लाइट सेंसिटिव परत होती है, जो कैमरे के फिल्म की तरह काम करती है। यह रोशनी को सिग्नल में बदलकर दिमाग तक पहुंचाती है, जिससे हमें दिखाई देता है। डायबिटीज में शरीर में बढ़ा हुआ ब्लड शुगर लंबे समय तक शरीर की छोटी ब्लड वेसल्स, खासकर रेटिना की वेसल्स को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।

    इस नुकसान के दो मुख्य चरण होते हैं-

    • नॉन-प्रोलिफरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी- यह शुरुआती स्टेज है, जिसमें ब्लड वेस्लस कमजोर होकर लीक करने लगती हैं। इनसे ब्लड या फ्लूएड का रिसाव होता है, जिससे रेटिना में सूजन आ जाती है। इस सूजन के कारण धुंधला दिखाई देने लगता है। इसे डायबिटिक मैक्युलर एडिमा कहते हैं, जो विजन लॉस का एक सामान्य कारण है।
    • प्रोलिफरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी- जब ब्लड वेसल्स बंद हो जाती हैं और रेटिना को ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, तो शरीर असामान्य, नए ब्लड वेसल्स बनाने लगता है। ये नई वेसल्स बहुत नाजुक होती हैं और आसानी से फटकर रेटिना में हेमरेज कर सकती हैं। यह ब्लीडिंग विजन लॉस का कारण बनता है। साथ ही, इन वेसल्स के साथ स्कार टिश्यू भी बनते हैं, जो रेटिना को खींचकर उसके अलग होने का कारण बन सकते हैं, जो एक गंभीर स्थिति है।

    डायबिटिक रेटिनोपैथी के प्रमुख लक्षण क्या हैं?

    शुरुआती चरणों में अक्सर कोई लक्षण नजर नहीं आते, इसलिए इसे "साइलेंट थिफ" कहा जाता है। जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती है, ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं-

    • धुंधला दिखाई देना।
    • देखने के क्षेत्र में काले धब्बे या तैरते हुए धागे दिखना।
    • रात के समय देखने में कठिनाई होना।
    • रंगों को पहचानने में परेशानी होना।
    • दृष्टि में अचानक उतार-चढ़ाव होना।
    • आंखों के आगे अंधेरा छा जाना या दिखाई देना बंद हो जाना।

    बचाव और उपचार के तरीके क्या हैं?

    अच्छी खबर यह है कि उचित देखभाल और समय रहते इलाज से दृष्टि हानि को रोका जा सकता है।

    • नियमित आंखों की जांच- डायबिटीज के हर मरीज को साल में कम से कम एक बार अपनी आंखों की पूरी जांच करवानी चाहिए, भले ही उसे कोई लक्षण न हो। इस जांच में डॉक्टर रेटिना की जांच करके शुरुआती नुकसान को पहचान सकते हैं।
    • ब्लड शुगर नियंत्रण- शुगर को कंट्रोल करना रेटिनोपैथी के जोखिम को कम करने का सबसे असरदार तरीका है।
    • ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण- हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल रेटिनोपैथी के खतरे को बढ़ा देते हैं। इन्हें कंट्रोल करना जरूरी है।
    • हेल्दी लाइफस्टाइल- पौष्टिक खाना, नियमित एक्सरसाइज और स्मोकिंग छोड़ना आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

    यह भी पढ़ें- लगातार मोबाइल और लैपटॉप चलाने से कमजोर हो रही है नजर? अपनाएं ये 5 टिप्स; आंखें रहेंगी हेल्‍दी

    यह भी पढ़ें- कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मा: रोजाना इस्तेमाल के लिए क्या है ज्यादा सुरक्षित? डॉक्टर ने दिया जवाब