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    कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मा: रोजाना इस्तेमाल के लिए क्या है ज्यादा सुरक्षित? डॉक्टर ने दिया जवाब

    आजकल स्क्रीन के बहुत ज्यादा इस्तेमाल और गलत खानपान के कारण कमजोर विजन एक आम समस्या है। लोग अक्सर चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करते हैं। डॉ. पवन गुप्ता के अनुसार लेंस सुविधाजनक और फैशनेबल होते हैं लेकिन जोखिम भी होते हैं। आइए जानते हैं दोनों में से क्या है ज्यादा बेहतर।

    By Harshita Saxena Edited By: Harshita Saxena Updated: Sat, 23 Aug 2025 01:50 PM (IST)
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    कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मा आंखों के लिए क्या है बेहतर विकल्प (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों नजरों का कमजोर होना आम बात हो चुकी है। लगातार स्क्रीन का इस्तेमाल और खानपान में लापरवाही अक्सर इसकी वजह बनती है। ऐसे में आंखों की कम होती रोशनी के लिए लोग अक्सर कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मे का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, इसे लेकर अक्सर बहस होती रहती है कि इन दिनों में से क्या ज्यादा बेहतर है।

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    कई लोग चश्मे का सपोर्ट करते हैं, तो वहीं कुछ लैंस को बेहतर मानते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर दोनों में से ज्यादा बेहतर क्या है। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने आई 7 हॉस्पिटल लाजपत नगर और विजन आई क्लिनिक, नई दिल्ली में सीनियर मोतियाबिंद एवं रेटिना सर्जन डॉ. पवन गुप्ता से बातचीत की। आइए जानते हैं क्या कहते हैं डॉक्टर-

    कॉन्टैक्ट लेंस पहनें या नहींं?

    डॉक्टर ने बताया कि कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने वाले लोग लेंस को सुविधाजनक और फैशनेबल होने की वजह से पसंद करते हैं, लेकिन कुछ जोखिम भी हैं। कॉन्टैक्ट लेंस इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को सही हाइजीन के नियमों का पालन करने में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। सोने से पहले लेंस उतारना जरूरी है; अगर इन्हें पहनकर सोया जाए, तो संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। सभी सही तरीकों के बावजूद, आंखों में कोई बाहरी चीज के जाने से कभी-कभी कुछ देर जलन या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

    कॉन्टैक्ट लेंस के नुकसान

    कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल की वजह से कॉर्निया को समस्या हो सकती है। कॉर्निया एक पारदर्शी परत है, जो आंख के सामने होती है। यह आंख की एकमात्र परत है, जिसे हवा से ऑक्सीजन मिलती है और जब कॉन्टैक्ट लेंस इस पर लगाए जाते हैं, तो यह ऑक्सीजन कम हो जाती है।

    लंबे समय तक कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से कॉर्निया में इस्केमिया या ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऑक्सीजन की इस लगातार कमी की वजह कॉर्निया के किनारों पर नई ब्लड वेसल्स विकसित हो सकती हैं, जिससे विजन कम हो जाती है और आंखों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।

    इसलिए चश्मा है बेहतर!

    भले ही कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से कॉर्निया में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, लेकिन चश्मे से ब्लड वेसल्स बनने का कोई खतरा नहीं होता। कांच (और अन्य पारदर्शी लेंस) साफ विजन देते देते हैं और इससे कॉर्निया तक ऑक्सीजन पहुंचने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भले ही अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो कॉन्टैक्ट लेंस का सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है।

    कैसे करें कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल?

    हालांकि, लोग सावधानियों का पालन करते हुए कॉन्टैक्ट लेंस पहनकर सुरक्षित रूप से काम कर सकते हैं। कॉन्टैक्ट लेंस पहनने के लिए जरूरी है कि पूरी तरह से स्वच्छता बनाए रखें। उन्हें लगाने से पहले हाथ साफ करें, उन्हें अच्छी तरह से साफ करके रखें, और दूसरों को उन्हें इस्तेमाल करने से रोकें। साथ ही घर से बाहर निकलते ही कॉन्टैक्ट लेंस उतार देने चाहिए और लेंस पहनकर नहीं सोना चाहिए।

    कुल मिलाकर चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस दोनों ही विजन सुधारने के प्रभावी साधन हैं, फिर भी रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए चश्मा ही सुरक्षित विकल्प है। अगर कोई कॉन्टैक्ट लेंस पहनना पसंद करता है, तो उसे लंबे समय बाद होने वाले नुकसान से बचने के लिए स्वच्छता और उपयोग संबंधी दिशानिर्देशों का ध्यान रखते हुए जिम्मेदारी से पहनना चाहिए।

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