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    World Obesity Day: भारत में बढ़ रहे हैं मोटापे के मामले, जानें क्या है इस मेटाबॉलिक डिजीज की वजह

    Updated: Mon, 04 Mar 2024 02:15 PM (IST)

    मोटापे के बारे में लोगों को जागरूक बनाने और इससे पीड़ित व्यक्तियों की संख्या को कम करने के लिए हर साल 4 मार्च को वर्ल्ड ओबेसिटी डे मनाया जाता है। मोटापे की एक बहुत बड़ी वजह है लाइफस्टाइल से जुड़े कुछ अनहेल्दी बदलाव। लोगों के रहन-सहन और खान-पान में काफी बदलाव आए हैं। जानें क्या है मोटापे के मामले बढ़ने की वजहें।

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    इन वजहों से बढ़ रहा है मोटापे का खतरा

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। World Obesity Day: वर्ल्ड ओबेसिटी डे हर साल 4 मार्च को मनाया जाता है। मोटापा एक ऐसी बीमारी है, जिससे दुनियाभर में करोड़ों लोग पीड़ित हैं। इसलिए इस दिन को मनाने का मकसद, इस मेटाबॉलिक बीमारी से जुड़े मिथकों और स्टिग्मा को दूर करने के साथ-साथ लोगों को इससे जुड़े खतरों और बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक करना भी है।

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    हाल ही में, द लांसेट ने कुछ आंकड़े साझा किए, जिससे पता चलता है कि साल 2022 में भारत में कुल 1.25 करोड़ बच्चे, जिनकी उम्र 5-19 वर्ष के बीच थी, मोटापे का शिकार थे। इसके अलावा, 2.6 करोड़ पुरुष और 4.4 करोड़ महिलाएं मोटापे से जूझ रहे थे।

    यह संख्या वयस्कों में 1990 के मुकाबले दो गुणा अधिक और बच्चों में चार गुणा अधिक हो चुकी है। मोटापे के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए इसके कारण और इसकी वजह से होने वाली सेहत से जुड़ी परेशानियों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं क्यों लोगों में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है।

    क्या होता है मोटापा?

    मोटापे को बीएमआई की मदद से नापा जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, 18-25 बीएमआई हेल्दी माना जाता है, 25-30 ओवर वेट और 30 से अधिक बीएमआई होने पर आप ओबीस की श्रेणी में आ जाते हैं।

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    क्यों बढ़ रहे हैं मोटापे के मामले?

    प्रोसेस्ड फूड्स की बढ़ती डिमांड

    प्रोसेस्ड फूड्स में ज्यादा कैलोरी होती है, जिस वजह एनर्जी ज्यादा मिलती है, लेकिन इनमें पोषक तत्वों की मात्रा न के बराबर होती है। इसके अलावा, फास्ट फूड आसानी से मिल जाता है और इन्हें काम करते हुए या चलते-फिरते हुए भी आसानी से खाया जा सकता है। इसलिए लोग इन्हें खाना ज्यादा पसंद करते हैं।

    प्रोसेस्ड फूड्स खाने से शरीर में अप्राकृतिक तरीके से AGEs बनते हैं, जिस वजह से इस प्रकार के खाने की क्रेविंग बढ़ने लगती है। इनमें शुगर और सोडियम की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इन कारणों से यह शरीर में फैट को इकट्ठा करने लगता है और कई बीमारियों को आमंत्रण भी देता है।

    सेडेंटरी लाइफस्टाइल

    वक्त से साथ ज्यादातर नौकरियां अब शारीरिक मेहनत कम होती है और मानसिक मेहनत ज्यादा होती है। इसलिए लोगों को घंटो अपनी कुर्सी पर बैठे रहना पड़ता है, जिस वजह से फिजिकल एक्टिविटी बिल्कुल कम हो जाती है। इसके अलावा, तकनीक के विकास की वजह के भी अब लोग ज्यादातर आने-जाने के लिए सीढ़ियों का कम से कम इस्तेमाल करते हैं। जिस वजह से फिजिकल एक्टिविटी कम होती है।

    वे ज्यादातर एस्कलेटर या लिफ्ट का प्रयोग करना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, थोड़ी दूरी का रास्ता तय करने के लिए भी वे गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं। इन वजहों से कैलोरी काफी कम बर्न होती है और फैट के रूप में इकट्ठा होने लगती हैं। इसलिए सेडेंटरी लाइफस्टाइल मोटापे का बहुत बड़ा कारण है। 

    अनहेल्दी खाने की आदतें

    कई लोग अनजाने में ही काफी अनहेल्दी खाने की आदतों को फॉलो करते हैं। खाना खाते वक्त खाने का समय, पोषक तत्व, मात्रा इन सभी को ध्यान में रखना होता है। अक्सर लोग सुबह का नाश्ता स्किप कर देते हैं, देर रात को खाना खाते हैं, जिसमें काफी ज्यादा कैलोरी होती है, मिड नाइट मंचिंग, बिंज ईटिंग, टीवी या फोन चलाते हुए खाना खाते हैं और भी ऐसी कई आदतें हैं, जिसकी वजह से, लोग माइंडफुल ईटिंग नहीं करते हैं और यह मोटापे की एक बहुत बड़ी वजह है।

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    पोषक तत्वों की कमी

    कई बार जानकारी के अभाव में या पैसों की कमी की वजह से ऐसे फूड आइटम्स को अपनी डाइट का हिस्सा बनाते हैं, जिनसे काफी कम मात्रा में पोषण मिलता है और कैलोरी ज्यादा मिलती है। इस कारण से भी मोटापे के मामले बढ़ रहे हैं। इसमें आर्थिक तंगी एक बहुत बड़ा फैक्टर है।

    वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, दुनियाभर में मोटापे के कुल मामलों में से 75 प्रतिशत लो या मिडल इंकम वाले देशों में हैं। इससे यह समझ सकते हैं कि आर्थिक स्थिति का खान-पान पर काफी प्रभाव पड़ता है, जो आगे चलकर मोटापे के खतरे को भी बढ़ाती है। इस तरह से खाने से शरीर भीतर से खोखला होने लगता है।

    उनमें पोषक तत्वों की कमी होती है और फैट की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसी ही समस्या जानकारी की कमी की वजह से भी होता है। इस वजह से लोगों की डाइट और लाइफस्टाइल दोनों काफी प्रभावित होते हैं।

    जेनेटिक्स

    कई बार जेनेटिक की वजहों से भी मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए कई बार माता-पिता या कोई करीबी रिश्तेदार, जो मोटापे की समस्या से गुजर रहे हों, उनके जीन्स बच्चों में आ जाते हैं, जिसकी वजह से मोटापे का जोखिम बढ़ जाता है।

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    Picture Courtesy: Freepik