सिर्फ स्मोकिंग करने वालों की बीमारी नहीं है लंग कैंसर, ये 5 कारण भी हैं जानलेवा, डॉक्टर से जानें
लंग कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग कैंसर डे (World Lung Cancer Day 2025) मनाया जाता है। स्मोकिंग के अलावा और भी जोखिम इस बीमारी का खतरा बढ़ाते हैं। खराब लाइफस्टाइल और फेफड़ों की बीमारियों से भी लंग कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जागरूकता और नियमित जांच जरूरी है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लंग कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो दुनियाभर में कई लोगों की मौत का कारण बनती है। यही वजह है कि इस बीमारी के प्रति के जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 1 अगस्त को वर्ल्ड लंग कैंसर डे (World Lung Cancer Day 2025) मनाया जाता है। बीते कुछ समय से भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं।
आमतौर पर कैंसर के इस प्रकार को स्मोकिंग से जोड़कर देखा जाता है। ज्यादातर लोगों का ऐसा माना है, लेकिन धूम्रपान के अलावा और भी कई कारण हैं, जो इस कैंसर के विकास में मदद करते हैं। ऐसे में आज लंग डे के मौके पर मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल फरीदाबाद में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के क्लिनिकल डायरेक्टर और एचओडी डॉ. मोहित शर्मा से जाना कि स्मोकिंग के अलावा और किन चीजों से बढ़ जाता है लंग कैंसर का खतरा।
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वायु प्रदूषण
डॉक्टर बताते हैं कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से, खासकर शहरी इलाकों में, फेफड़े हानिकारक पार्टिकल्स और केमिकल्स के संपर्क में आते हैं, जो समय के साथ फेफड़ों के टिश्यूज को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
पैसिव स्मोकिंग
यह लंग कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से एक है। अगर आपके आसपास कोई स्मोकिंग करता है, तो उसका धुआं सांस के जरिए अंदर लेने से नुकसान हो सकता है। इसमें हजारों जहरीले केमिकल होते हैं, जिनमें से कई कैंसरकारी माने जाते हैं।
जेनेटिक फैक्टर
कुछ लोगों को जेनेटिक म्यूटेशन विरासत में मिलते हैं, जो उन्हें धूम्रपान न करने पर भी व्यक्ति को फेफड़ों के कैंसर के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाते हैं। इस बीमारी में पारिवारिक इतिहास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
काम से जुड़े जोखिम
कुछ वर्कप्लेस लोगों को एस्बेस्टस, रेडॉन और डीजल के धुएं जैसे कैंसरकारी पदार्थों के संपर्क में लाते हैं। लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
खराब लाइफस्टाइल और हेल्थ कंडीशन
खराब खान-पान, एक्सरसाइज की कमी या टीबी और अस्थमा जैसी पुरानी फेफड़ों की बीमारियां लंग्स के स्वास्थ्य को कमजोर कर सकती हैं, जिससे धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
यह ध्यान रखें
डॉक्टर ने बताया कि ये कारण बताते हैं कि फेफड़ों का कैंसर सिर्फ धूम्रपान करने वालों की बीमारी नहीं है। इसलिए इसकी रोकथाम के लिए जागरूकता, नियमित हेल्थ चेकअप्स और खतरे को कम करना जरूरी है।
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