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    World Immunization Day 2025: बच्चों को किस उम्र में कौन-सी वैक्सीन लगवाना है जरूरी? देखें पूरी लिस्ट

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 09:50 AM (IST)

    हर साल 10 नवंबर को मनाया जाने वाला विश्व टीकाकरण दिवस (World Immunization Day 2025) हमें याद दिलाता है कि टीके हमारे बच्चों को एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य देने की सबसे बड़ी कुंजी हैं। पोलियो से लेकर खसरा तक, टीकाकरण ने कई जानलेवा बीमारियों को लगभग खत्म कर दिया है। ऐसे में, हर माता-पिता को यह जानना बहुत जरूरी है कि बच्चे को किस उम्र में कौन-सा टीका लगवाना होता है।

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    World Immunization Day 2025: बच्चों को कब, क्यों और कौन-सी वैक्सीन लगवाना है जरूरी (Image Source: AI-Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 10 नवंबर को World Immunization Day मनाया जाता है, ताकि लोगों को टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके। जी हां, वैक्सीन न सिर्फ बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाती हैं, बल्कि पूरे समाज को सुरक्षित भी बनाती हैं। एक छोटे से टीके की वजह से जीवनभर चलने वाली बीमारियों से बचाव संभव है।

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    भारत में सरकार ने बच्चों के लिए एक तय राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme) बनाया है, जिसमें जन्म से लेकर किशोरावस्था तक जरूरी वैक्सीन दी जाती हैं। आइए विश्व टीकाकरण दिवस पर जानते हैं, बच्चे को किस उम्र में कौन-कौन से टीके लगवाना जरूरी होता है।

    World Immunization Day

    (Image Source: Freepik)

    नवजात शिशुओं के लिए जरूरी वैक्सीन

    बीसीजी (BCG):

    यह टीका बच्चे को जन्म के समय या एक साल की उम्र तक कभी भी दिया जा सकता है। यह टीबी (Tuberculosis) से बचाव करता है।

    हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B):

    बच्चे को यह टीका जन्म के 24 घंटे के भीतर लगवाना जरूरी होता है, ताकि उसे लिवर इन्फेक्शन और आगे चलकर होने वाली बीमारियों से सुरक्षा मिल सके।

    ओपीवी-0 (OPV-0):

    पोलियो से बचाने वाला यह टीका जन्म के समय या पहले 15 दिनों के अंदर लगाया जाता है।

    ओपीवी 1, 2 और 3:

    बच्चे को यह खुराकें क्रमशः 6 हफ्ते, 10 हफ्ते और 14 हफ्ते की उम्र में दी जाती हैं। यह टीका पांच साल की उम्र तक दिया जा सकता है।

    पेंटावैलेंट वैक्सीन (Pentavalent 1, 2, 3):

    यह एक संयुक्त टीका है जो डिफ्थीरिया, टिटनेस, पर्टुसिस, हेपेटाइटिस बी और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) से बचाता है। यह भी 6, 10 और 14 हफ्ते पर दिया जाता है।

    रोटावायरस वैक्सीन:

    यह टीका बच्चे को दस्त और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं से बचाता है। इसे भी 6, 10 और 14 हफ्तों में दिया जाता है।

    आईपीवी (IPV – पोलियो का इन्जेक्शन):

    दो खुराकें दी जाती हैं - 6 हफ्ते और 14 हफ्ते पर।

    मीजल्स/एमआर (Measles/MR) पहला टीका:

    यह टीका 9 से 12 महीने के बीच दिया जाता है। यह खसरा और रूबेला से बचाता है।

    जेई (JE-1):

    यह टीका जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाता है और इसे 9 से 12 महीने के बीच लगाया जाता है।

    विटामिन A की पहली खुराक:

    यह 9 महीने की उम्र में एमआर टीके के साथ दी जाती है, जिससे बच्चे की दृष्टि और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।

    बड़े बच्चों के लिए वैक्सीन (16 महीने से 16 साल तक)

    डीपीटी बूस्टर-1 (DPT Booster-1):

    यह टीका 16 से 24 महीने की उम्र में दिया जाता है, ताकि डिफ्थीरिया, टिटनेस और पर्टुसिस से बनी सुरक्षा बनी रहे।

    मीजल्स/एमआर दूसरा टीका:

    16 से 24 महीने में लगाया जाता है।

    ओपीवी बूस्टर (Polio Booster):

    16 से 24 महीने पर दिया जाता है, ताकि पोलियो से सुरक्षा बरकरार रहे।

    जेई-2 (JE-2):

    दूसरा जापानी इंसेफेलाइटिस टीका भी इसी अवधि में दिया जाता है।

    विटामिन A (2वीं से 9वीं खुराक):

    16 से 18 महीने की उम्र में दूसरी खुराक दी जाती है, फिर हर 6 महीने में एक खुराक जब तक बच्चा 5 साल का न हो जाए।

    डीपीटी बूस्टर-2:

    5 से 6 साल की उम्र में दिया जाता है।

    टीटी (TT) टीका:

    किशोरों के लिए यह बेहद जरूरी है- पहली खुराक 10 साल में और दूसरी 16 साल में दी जाती है।

    टीकाकरण क्यों है जरूरी?

    टीकाकरण सिर्फ एक व्यक्तिगत सुरक्षा नहीं, बल्कि सामूहिक सुरक्षा कवच है। जब समाज के ज्यादातर लोग टीके लगवाते हैं, तो बीमारियां फैलने की संभावना बहुत कम हो जाती है। यही कारण है कि पोलियो जैसी बीमारी आज भारत से लगभग समाप्त हो चुकी है।

    माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चे के टीकाकरण कार्ड को संभालकर रखें और डॉक्टर द्वारा बताए गए समय पर सभी टीके जरूर लगवाएं।
    थोड़ी-सी सावधानी, सही समय पर दी गई वैक्सीन, और रेगुलर हेल्थ चेकअप- यही है एक स्वस्थ और सुरक्षित बचपन की असली कुंजी।

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    Source: mohfw.gov.in