हार्ट अटैक के बाद पहले 60 मिनट क्यों हैं अहम? डॉक्टर ने बताए दिल को हेल्दी रखने का गोल्डन रूल
वर्ल्ड हार्ट डे (World Heart Day 2025) पर डॉक्टरों ने हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षणों और बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला। डॉ. अजय कौल ने बताया कि हार्ट अटैक में पहला घंटा बहुत महत्वपूर्ण होता है इसलिए मरीज को बिना देरी किए अस्पताल पहुंचाना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों को विशेष ध्यान रखने की सलाह दी गई है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल हो हेल्दी और खुशहाल बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। यह हमारे ब्लड सर्कुलेशन और ब्लड फ्लो को बनाए रखकर हमें सेहतमंद बनाता है। यह खून को पंप कर आक्सीजन सप्लाई में भी मदद करता है। ऐसे में यह हमारे जीवन का आधार है। इसलिए हर साल हार्ट हेल्थ के बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे (World Heart Day 2025) मनाया जाता है।
इस मौके पर नोएडा-62 के फोर्टिस हॉस्पिटल में कार्डियक साइंसेज के चेयरमैन डॉ अजय कौल ने बताया कि कैसे हार्ट अटैक की स्थिति में शुरुआती 60 मिनट जरूरी होते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-
डॉक्टर अजय कौल बताते हैं कि आज लोग आराम को काफी महत्व देने लगे हैं जो कि सेहत के लिए किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। इसके अलावा प्रदूषण से बचाव भी काफी जरूरी है। घर के वातावरण को लेकर भी सचेत रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक की स्थिति में शुरुआती एक घंटे तो जोखिम से बचाव के लिए जरूरी हैं ही, लेकिन एक हार्ट पेशेंट के लिए उसका हर एक मिनट महत्वपूर्ण होता है।
हार्ट अटैक की स्थिति में इन बातों का रखें ध्यान
ऐसे में दिल का मरीज जितनी जल्दी हॉस्पिटल पहुंचेगा, उसका इलाज उतनी जल्दी शुरू कर सकते हैं और वह जल्दी ही ठीक होकर घर भी जा सकता है। हार्ट अटैक की स्थिति में बिना वक्त गंवाए, सबसे पास के हॉस्पिटल में पहुंचकर इलाज कराना जरूरी होता है। फर्स्ट एड लेने के बाद एक बार स्टेबल हो जाते हैं, तो फिर मरीज चाहें तो अपने भरोसेमंद अस्पताल या डॉक्टर को दिखा सकता है। वहीं व्यायाम या जिम करने वालों को बाहर से अतिरिक्त कुछ लेने से बेहतर है कि रूटीन फूड पर फोकस करें।
बचपन से ही ध्यान दें पेरेंट्स
दाल, दलिया, सोयाबीन आदि पौष्टिक फूड्स को डाइट में शामिल करें। डॉक्टर ने बताया कि तीन से चार साल की उम्र में ही बच्चों में लगातार खांसी, जुकाम, बुखार, थकान या ग्रोथ में रुकावट की परेशानी देखने को मिल रही हो, तो पेरेंट्स को सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे बच्चों का ईसीजी और टूडी ईको-कार्डियोग्राफी जरूर कराएं। एक बात और, कोरोनरी धमनियों में रक्त का प्रवाह अगर प्रभावित होता है, तो इसे ब्लाकेज कहते हैं। ये हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकते हैं। इसमें हार्ट की पंपिग कमजोर हो जाती है।
इन लक्षणों पर नजर बनाएं रखें
दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए 25 साल के बाद दिल से संबंधित जरूरी जांच कराते रहना चाहिए। खून के प्रवाह को बनाए रखना चाहिए। कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) हार्ट अटैक का कारण बन जाता है। ऐसे में थकान, बहुत ज्यादा पसीना आना, सांस फूलना व घबराहट जैसे लक्षण दिखे, तो तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए। हर उम्र वर्ग के लोगों को अपना कोलेस्ट्राल ठीक रखना चाहिए। हाथ या छाती में दर्द महसूस हो या फिर जबड़े से लेकर नाभि तक पेन महसूस हो तो सतर्क हो जाना चाहिए।
डायबिटीज के मरीज रखें खास ख्याल
यह संभव है कि डायबिटीज के मरीज ऐसे दर्द के लक्षण महसूस नहीं कर पाएं। ऐसे में शुगर के मरीज अपने दिल को लेकर ज्यादा सतर्क रहें और डॉक्टर की सलाह पर जरूरी टेस्ट कराते रहें। काम और आराम में तालमेल बैठाएं। गहरी नींद लें। फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं। काम करते रहें। योग व व्यायाम जरूर करें। तनाव से दूरी बनाएं। मोटापा दिल के लिए सबसे घातक लक्षण है, फैट को जमने न दें और वजन को कंट्रोल में रखें।
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