World Health Day 2025: महिलाओं में नजर आते हैं Postpartum Depression के 7 लक्षण, मां और बच्चे के लिए है खतरनाक
World Health Day 2025 अगर आप या आपके आसपास कोई महिला डिलीवरी के बाद खुद को अकेला उदास या परेशान महसूस कर रही हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि समय पर सही इलाज से इससे बाहर निकला जा सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप लोगों से बात करें। खुद को अकेला न समझें।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज पूरी दुनिया में World Health Day मनाया जा रहा है। इस साल की थीम Healthy Beginnings, Hopeful Futures तय की गई है। इस थीम के जरिए माताओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा पर फोकस किया गया है। आज हम विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में बात करेंगे। पोस्टपार्टम डिप्रेशन (पीपीडी) एक गंभीर बीमारी है, जो प्रसव के बाद महिलाओं को प्रभावित कर सकती है।
यह "बेबी ब्लूज" से अलग है, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित करता है, हालांकि यह आमतौर पर महिलाओं से ज्यादा (Mental health after delivery) जुड़ा होता है। अगर समय रहते पीपीडी का इलाज न किया जाए तो यह हफ्तों, महीनों या वर्षों तक बना रह सकता है। डॉ. अंकिता चांदना (मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, शालीमारबाग के स्त्री रोग एवं प्रसुति विभाग की डायरेक्टर) ने पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों और उनसे बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी दी है। आइए जानते हैं विस्तार से-
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के 7 लक्षण (Symptoms of postpartum depression)
- लगातार उदासी महसूस होना: डिलीवरी के हफ्तों बाद भी अगर रोने का मन करता है या हमेशा मायूसी छायी रहती है तो ये पोस्टपार्टम डिप्रेशन के आम लक्षणों में से एक है।
- बहुत ज्यादा थकान होना: मां बनने से महिलाओं का शरीर थक जाता है। लेकिन अगर आराम के बाद भी कमजोरी महसूस हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है।
- किसी चीज में दिलचस्पी न होना: जिन कामों में पहले मजा आता था, अब वो भी बोझ लगने लगे तो समझ जाइए कि ये भी Postpartum Depression का लक्षण है।
- बच्चे से जुड़ाव में मुश्किल- अगर अपने बच्चे के लिए प्यार या भावनाएं न महसूस हो रही हों तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।
- घबराहट या डर: बिना किसी वजह के अगर आपको किसी बात का डर सता रहा है तो ये भी PD के लक्षण हैं। इसके अलावा बेचैनी होना या घबराहट महसूस होना भी इस ओर इशारा करता है।
- चिड़चिड़ापन या गुस्सा: अगर आपको छोटी-छोटी बातों पर भी झल्लाहट महसूस होने लगे या गुस्सा आने लगे तो भी ये PD का संकेत हो सकता है।
- खुद को या बच्चे को नुकसान पहुंचाने की सोचना: Postpartum Depression का ये सबसे खतरनाक लक्षण होता है। इस स्थिति में मां को होश नहीं रहता है। वो किसी भी हद तक जा सकती है। यहां तक कि खुद को और अपने बच्चे (Mother and child health risk) को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन से ऐसे करें बचाव
- महिलाओं को परिवार, दोस्त या किसी नई मां के ग्रुप से जुड़ना चाहिए। किसी से बात करना आपकी बहुत मदद कर सकता है।
- डिलीवरी से पहले या बाद में अगर मन परेशान हो तो किसी Psychologist एक्सपर्ट से बात करना चाहिए। ये आपकी हर तरह से मदद कर सकता है।
- भरपूर नींद लेना भी जरूरी है। पौष्टिक खाना खाएं और हल्की फुल्की वॉक या योग जरूर करें।
- घर के काम या बच्चे की देखभाल में किसी से मदद मांगना गलत नहीं है। इससे आपका इंटरैक्शन बढ़ेगा।
- जो भी मन में है, चाहे वो अच्छा है या बुरा, उसे अपने पार्टनर या परिवार वालों से खुलकर कहें। साथ मिलकर समाधान निकालें। इससे भी आपका मन हल्का हो सकता है।
- मां बनना आसान नहीं होता है। इसलिए खुद पर ज्यादा दबाव न डालें। गलती हो जाए तो खुद को माफ करें। इससे आप आगे सही से काम कर पाएंगी।
- अगर डिलीवरी के बाद मन बार-बार उदास हो रहा है तो इसे नजरअंदाज करना आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है। आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
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