World Health Day 2025: गर्भवती महिला की सेहत का बच्चे पर पड़ता है सीधा असर, डॉक्टर से जानें जरूरी बातें
हर साल 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। इस दिन का मकसद लोगों को सेहत के प्रति जागरूक करना होता है। बता दें कि इस बार की थीम Healthy Beginnings Hopeful Futures रखी गई है। हमने एक्सपर्ट से प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को बरतने वाली सावधानी को लेकर खास बातचीत की। उन्होंने कुछ सुझाव दिए हैं। आइए जानते हैं विस्तार से-

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाने वाला World Health Day सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ाने का मौका होता है। इस साल की थीम Healthy Beginnings, Hopeful Futures तय की गई है। इस थीम के जरिए माताओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा पर फोकस किया गया है। दरअसल, प्रेग्नेंसी के दौरान मां की शारीरिक और मानसिक सेहत का सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ता है।
ऐसे में यह जरूरी है कि मां को सही पोषण, मेंटल पीस और डॉक्टरों का परामर्श मिले। डायबिटीज, हाई बीपी, तनाव और पोषण की कमी जैसी स्थितियां न केवल मां की सेहत पर गहरा असर डालती हैं बल्कि बच्चे के विकास, इम्यूनिटी और मानसिक विकास पर भी असर डालती हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने, संतुलित आहार लेने और नियमित जांच करवाने की सलाह दी जाती है ताकि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। इन्हीं सब बातों का ध्यान रखते हुए हमने डॉ. श्वेता मेंदीरत्ता (मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, फरीदाबाद के स्त्री रोग एवं प्रसुति विभाग की एसोशिएट डायरेक्टर) से खास बातचीत की। आइए जानते हैं विस्तार से-
मां की सेहत का बच्चे के विकास पर क्या असर पड़ता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान मां की सेहत का सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ता है। अगर मां का खानपान सही नहीं है या वह बीमारी से जूझ रही है, तो इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। मां की सेहत सही होने से बच्चे का वजन और विकास बेहतर होता है। उसकी इम्युनिटी भी मजबूत होती है।
डायबिटीज या हाइपरटेंशन का असर बच्चे पर क्या पड़ता है?
अगर मां को डायबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी बीमारी है तो इसका लंबा असर बच्चे पर हो सकता है। इन बीमारियों से बच्चे को समय से पहले जन्म, कम वजन या शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। मां की स्थिति का इलाज करवाना जरूरी है ताकि बच्चे की सेहत पर नकारात्मक असर न पड़े।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन या तनाव का असर बच्चे के दिमागी विकास पर कैसे दिखता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान मां का तनाव या पोस्टपार्टम डिप्रेशन बच्चे के दिमागी विकास को प्रभावित कर सकता है। इस तरह के मानसिक दबाव से बच्चे में मानसिक विकार, सीखने में कठिनाई और व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। मां की मानसिक सेहत का ध्यान रखना बच्चे के मानसिक विकास के लिए जरूरी है।
मां के गलत खानपान का असर बच्चे पर कैसे पड़ता है?
अगर गर्भवती महिला गलत खानपान अपनाती है तो इसका बच्चे पर नकारात्मक असर हो सकता है। पोषक तत्वों की कमी से बच्चे का विकास धीमा हो सकता है। इससे शारीरिक और मानसिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। संतुलित आहार से बच्चे का विकास सही तरीके से होता है। इसके साथ ही मां को भी ताकत मिलती है।
Lifestyle Changes के लिए महिलाओं के लिए कोई सुझाव?
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम और मानसिक शांति बनाए रखना चाहिए। संतुलित आहार में फल, हरी सब्जियां, प्रोटीन और आयरन से भरपूर चीजें शामिल करें। तनाव से बचने के लिए ध्यान और योग करें। पर्याप्त नींद लें और नियमित डॉक्टर से जांच करवाएं। इस प्रकार की जीवनशैली से मां और बच्चे दोनों की सेहत बेहतर रहेगी।
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