कहीं आपका बच्चा तो नहीं Type-2 Diabetes का अगला शिकार? 7 लक्षण दिखते ही तुरंत भागे डॉक्टर के पास
आजकल बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण खराब जीवनशैली है। अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना और थकान जैसे लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। मोटापे और पारिवारिक इतिहास वाले बच्चों में खतरा अधिक होता है। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, ताकि समय रहते उचित इलाज किया जा सके।

बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज के कारण और बचाव के उपाय (Picture Credit- AI Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं। इस बीमारी की चपेट में आने पर सिर्फ दवा और लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों की मदद से व्यक्ति इस बीमारी को कंट्रोल करता है। दुनियाभर में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। खासकर भारत में इसके मामले चिंताजनक हो चुके हैं।
इस बीमारी के बढ़ने की एक प्रमुख वजह इसे लेकर जागरूकता की कमी भी है। ऐसे में लोगों को हर साल डायबिटीज के बारे में जागरूक करने के मकसद से 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। पहले यह बीमारी आमतौर पर बड़े-बुजुर्गों में ज्यादा आम मानी जाती है, लेकिन अब बच्चे भी इसका शिकार होने लगे हैं। ऐसे में हमने मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग में बाल रोग विभाग के सीनियर डायरेक्टर और एचओडी डॉ. परविंदर सिंह नारंग से बात कर इसके बारे में विस्तार से जाना।
डॉक्टर बताते हैं कि डायबिटीज टाइप-2 अब कम उम्र में ही बच्चों में तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसके सबसे बड़े रिस्क फैक्टर्स में बच्चों का ज्यादा वजन, कम शारीरिक गतिविधि और चीनी व प्रोसेस्ड फूड्स का ज्यादा इनटेक शामिल है। इसके अलावा पारिवारिक इतिहास होने पर मोटापे के साथ-साथ डायबिटीज होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
किन बच्चों में ज्यादा आम है यह समस्या है?
डॉक्टर आगे बताते हैं कि यह समस्या गेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं से जन्मे बच्चों में यह ज्यादा आम है, खासकर कम वजन वाले बच्चों में, जो मोटापे का शिकार हो जाते हैं। दरअसल, बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज मेटाबोलिक सिंड्रोम और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम का ही एक हिस्सा है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मोटापा इंसुलिन रेजिस्टेंट का कारण बनता है, जिससे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ट्राइग्लिसराइड्स, कमर का आकार बढ़ना और सबसे जरूरी गर्दन और बगल के आसपास पिग्मेंटेशन का बढ़ना, जिसे एकेंथोसिस निग्रिकन्स कहा जाता है, का खतरा बढ़ जाता है। एकेंथोसिस निग्रिकन्स मोटापे के साथ विकसित होता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बनता है।
इन समस्याओं का भी होता है खतरा
अगर बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज होती है, तो कम उम्र में ही कई अन्य समस्याएं भी विकसित हो जाती हैं। इनमें हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट और ब्लड वेसल डिजीज, नर्व डैमेज, स्ट्रोक और क्रोनिक किडनी डिजीज साथ ही आंखों से जुड़ी बीमारियां, जैसे अंधापन भी शामिल है। इसलिए समय रहते इसे रोकना बहुत जरूरी है
बच्चों में डायबिटीज के लक्षण
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं। ऐसे में इन लक्षणों को इग्नोर बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, जैसे-
- थकान
- ब्लर विजन
- भूख का बढ़ना
- ज्यादा प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना
- त्वचा के कुछ हिस्सों का काला पड़ना
कैसे करें बच्चों का डायबिटीज से बचाव
- अगर बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज को रोकना चाहते हैं, तो नीचे बताई गई बातों का ध्यान जरूर रखें।
- उनके वजन पर ध्यान देते रहें। मोटापे को रोकना जरूरी है। इसलिए उन्हें ज्यादा एक्टिव बनाने की कोशिश करें।
- उनकी डाइट में सब्जियां, फल, मेवे और कम चीनी शामिल करें। उन्हें स्नैक्स और प्रोसेस्ड फूड से पूरी तरह परहेज करने के लिए प्रेरित करें।
- एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। लो फैट और कैलोरी वाला हेल्दी खाना खाएं। फलों, सब्जियों, साबुत अनाज पर ध्यान दें, स्क्रीन टाइम सीमित करें और शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं। इससे बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज को रोकने में मदद मिल सकती है।

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