मौसम में बदलाव के साथ ही बिगड़ सकता है Asthma, डॉक्टर से जानें कारण कैसे करें इससे बचाव
मौसम में बदलाव के साथ अस्थमा बढ़ सकता है! डॉक्टर हेमंत कालरा से जानिए क्या हैं इसके कारण और कैसे करें बचाव। पराग प्रदूषण और गर्मी अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। जानें सीजनल अस्थमा को कंट्रोल करने के आसान उपाय और कब डॉक्टर से सलाह लेना है ज़रूरी। अस्थमा से रहें सुरक्षित।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जिसे लेकर आज भी लोगों के बीच जागरूकता भी कमी है। इसलिए हर साल इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 6 मई को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है। यह फेफड़ों की एक बीमारी है, जिसके कारण आपके वायुमार्ग यानी एयरवेज सिकुड़ जाते हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यह वायुमार्ग में सूजन और जलन, बलगम जमने और वायुमार्ग में मांसपेशियों में ऐंठन के कारण होता है।
अस्थमा के सामान्य लक्षणों में कफ के साथ खांसी, सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट (छाती से आने वाली सीटी जैसी आवाज) आदि शामिल हैं। हालांकि, मौसम में बदलाव के साथ ही कुछ लोगों में इसके लक्षण बढ़ जाते हैं। मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग में पल्मोनोलॉजी और रेस्पिरेटरी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ. हेमंत कालरा से जानते हैं इसके कारण।
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क्या है सीजनल अस्थमा?
डॉक्टर बताते हैं कि कुछ लोगों में तापमान और ह्यूमिटी में मौसम में बदलाव के साथ अस्थमा के लक्षण विकसित होते हैं। इसे सीजनल अस्थमा के रूप में जाना जाता है और यह पराग जैसे विशिष्ट एलर्जेंस से भी शुरू हो सकता है। पेड़ों, घासों या खरपतवारों से निकलने वाले पराग (Pollen)- खास तौर पर वसंत और गर्मियों में- एक आम ट्रिगर है। गर्मियों और शुरुआती वसंत में अस्थमा के लक्षण निम्न कारणों से और भी बदतर हो जाते हैं-
एलर्जेंस
- पराग, फफूंद और धूल के कण आम एलर्जेंस हैं, जो अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर या खराब कर सकते हैं, खासकर वसंत और गर्मियों में निम्नलिखित वजहों से:-
- शुरुआती वसंत और गर्मियों के दौरान पराग का स्तर बढ़ जाता है। साथ ही, हवा का मौसम पराग को सभी जगह फैला सकता है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।
- बढ़ी हुई नमी फफूंद के विकास को बढ़ावा देती है और सांस लेने पर फफूंद के कीटाणु अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं।
- इसके अलावा सीजनल एलर्जी वाले लोगों में अस्थमा के लक्षण खराब हो जाते हैं, जिससे सही इलाज के बिना कंडीशन को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है।
वायु गुणवत्ता और प्रदूषण
- वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर और ग्राउंड लेवल ओजोन और पार्टिकुलेट मैटर में बढ़ोतरी भी फेफड़ों को परेशान कर सकती है और अस्थमा के लक्षणों को खराब कर सकती है, खासकर गर्मियों में।
- ज्यादा तापमान जमीन के पास प्रदूषकों को फंसा सकता है, जिससे वायु की गुणवत्ता खराब हो सकती है और अस्थमा को ट्रिगर कर सकता है।
गर्मी और ह्यूमिटी
गर्म और ह्यूमिड परिस्थितियों में वायुमार्ग में कसाव और सूजन हो सकती है, जिससे सांस लेना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
क्लाइमेट चेंज
- जलवायु यानी क्लाइमेट में परिवर्तन, जैसे कि वसंत का जल्दी आना, पराग के मौसम को लंबा कर सकता है, जिससे जोखिम और बढ़ सकता है।
- गरज के साथ बारिश, खासकर वसंत के अंत और गर्मियों की शुरुआत में, पराग को छोटे कणों में तोड़ सकती है, जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश करते हैं, जिससे अस्थमा के दौरे शुरू होते हैं।
कैसे करें सीजनल अस्थमा को कंट्रोल
- पीक ऑवर्स में बाहर जाने से बचें
- AQI की निगरानी करें
- एलर्जी वाले तत्वों से दूर रहें, जो अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं
- घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें
- पराग से बचने के लिए घर दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें
- निर्धारित दवाएं समय पर लें
- अगर लक्षण बिगड़ते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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