क्यों पैदा होते ही बच्चे के रोने का इंतजार करते हैं डॉक्टर्स? मेडिकल साइंस में छिपा है इसका जवाब
हर महिला के लिए मां बनना एक खास अनुभव होता है। जन्म के बाद बच्चे का पहली बार रोना (Baby first cry after birth) यह दर्शाता है कि उसके फेफड़े ठीक से काम कर रहे हैं। डॉक्टर बच्चे के रोने की आवाज से उसकी सेहत का अंदाजा लगाते हैं। अगर बच्चा नहीं रोता तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता दी जाती है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Baby First Cry After Birth: मां बनने का सपना हर महिला का होता है। एक महिला 9 महीने तक अपने पेट में बच्चे को रखती है। जब बच्चे का जन्म होता है तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता है। जब भी कोई बच्चा पैदा होता है और पहली बार रोता है, तो ये पल हर मां के लिए बहुत खास होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चा रोता (importance of newborn cry) क्यों है? इससे डॉक्टर कैसे समझते हैं कि बच्चा ठीक है?
जन्म के बाद तो बच्चा खुद सांस लेने लगता है, लेकिन जन्म से पहले जब वह मां के पेट में होता है, तब वो कैसे जिंदा रहता है? वो न तो सांस (How babies breathe in the womb) लेता है, न ही बोलता है, फिर भी उसके शरीर को जो चाहिए, वह सब कैसे मिलता है? इन सवालों के जवाब हर मां-बाप को जानने चाहिए। जब बच्चा मां के पेट में होता है, तो उसका शरीर धीरे-धीरे बाहर की दुनिया के लिए तैयार होता है। लेकिन इस दौरान उसके जीने का तरीका थोड़ा अलग होता है। उसकी हर जरूरत का ख्याल मां का शरीर रखता है।
आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। इन सबके बारे में जानने के लिए हमने आकाश हेल्थकेयर के रेस्पिरेट्री और स्लीप मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट और हेड डॉ. अक्षय बुधराजा से बात की। उन्होंने इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी है। आइए जानते हैं विस्तार से -
गर्भ में अपने फेफड़ों का इस्तेमाल नहीं करता है बच्चा
डॉक्टर ने बताया कि गर्भ में बच्चा अपने फेफड़ों का इस्तेमाल नहीं करता है। उसे जो भी ऑक्सीजन चाहिए होती है, वो पूरी तरह प्लेसेंटा के जरिए ही मिलती है। मां के खून में जो ऑक्सीजन होती है, वो Placenta और गर्भनाल के जरिए ही बच्चे तक पहुंचती है। गर्भनाल यानी कि umbilical cord एक जरूरी कड़ी की तरह काम करती है। ये न सिर्फ ऑक्सीजन, बल्कि खाना और बीमारी से बचाने वाले एंटीबॉडी भी बच्चे को देती है।
ऑक्सीजन की कमी है खतरनाक
वहीं डॉ. अक्षय बुधराजा ने बताया कि अगर किसी वजह से umbilical cord में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाए तो इसे फिटल हाइपॉक्सिया कहते हैं। इससे बच्चे के दिमाग, दिल और शरीर के दूसरे हिस्सों पर बुरा असर पड़ सकता है। ऑक्सीजन की कमी से बच्चे का विकास रुक सकता है। डिलीवरी के समय परेशानी हो सकती है।
पहली सांस और रोना है जरूरी
डॉक्टर कहते हैं कि जन्म के कुछ ही सेकंड यानी कि 8 सेकंड बाद बच्चा पहली बार सांस (how do babies breathe after birth) लेता है। ये प्रक्रिया उसके फेफड़ों में हवा भरने के लिए बहुत जरूरी होती है। बच्चे का रोना (why do babies cry at birth) इस बात का संकेत होता है कि उसके फेफड़े काम करने लगे हैं। अगर बच्चा नहीं रोता है तो डॉक्टर तुरंत उसकी जांच करते हैं। डॉक्टर ने कहा कि हम मशीन से बच्चे का मुंह और नाक साफ करते हैं। उसे ऑक्सीजन देते हैं और जरूरत पड़ने पर CPR भी देते हैं।
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नॉर्मल डिलीवरी में होती है आसानी
नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा जब पैदा होता है, तो उसके सीने पर थोड़ा दबाव पड़ता है, जिससे उसके फेफड़ों में मौजूद पानी बाहर निकल जाता है। लेकिन सिजेरियन जिसे C-section डिलीवरी भी कहा जाता है, उसमें ऐसा नहीं होता है। इसलिए कुछ बच्चों को सांस लेने में थोड़ी परेशानी हो सकती है।
कई बार पड़ती है ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत
उन्होंने ये भी बताया कि अगर बच्चा समय से पहले पैदा हो जाता है, तो उसके फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं। इसलिए उसे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। ऐसे बच्चों को कई बार वेंटिलेटर या ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत पड़ती है। ये भी जानकारी दी कि अगर मां को अस्थमा या फेफड़ों से जुड़ी कोई बीमारी होती है, तो इसका असर बच्चे की सेहत पर पड़ सकता है।
जरूरी होती है बच्चे की पहली चीख
इसलिए जरूरी है कि मां की नियमित जांच होती रहे और उसके ऑक्सीजन का लेवल ठीक रहे। गर्भ में बच्चा भले ही खुद सांस न ले, लेकिन umbilical cord के जरिए मिलने वाली ऑक्सीजन ही उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत होती है। जन्म के बाद उसकी पहली सांस और पहली चीख ही इस दुनिया में उसके आने का सबसे बड़ा संकेत होती है।
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