कम पानी पीने के बावजूद सर्दी में क्यों बार-बार लगाने पड़ते हैं टॉयलेट के चक्कर? यहां समझें पूरा साइंस
क्या आपको भी सर्दी के मौसम में बार-बार टॉयलेट भागना पड़ता है? अगर हां, तो आप अकेले नहीं है। ठंड में बार-बार टॉयलेट जाने की समस्या काफी आम है। लेकिन क् ...और पढ़ें

ठंड में क्यों बढ़ जाती है यूरिन की फ्रीक्वेंसी? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सर्दी का मौसम में एक समस्या आपने भी महसूस की होगी कि इस मौसम में बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है (Frequent Peeing in Winter)। रजाई-कंबल में पैर जैसे ही गर्म होते हैं कि तभी यूरिन आ जाता है।
इससे काफी खींझ आती है कि इस मौसम में तो हम पानी भी कम पीते हैं, लेकिन फिर भी बार-बार टॉयलेट क्यों भागना पड़ता है (Why Pee More in Winter)। अगर आप भी इस सवाल के बारे में सोचते हैं, तो आइए जानें क्यों सर्दी के मौसम में बार-बार यूरिन आता है।
शरीर का तापमान नियंत्रण और पसीना
इंसान का शरीर एक स्थिर इंटरनल टेंपरेचर (लगभग 37°C) बनाए रखने की कोशिश करता है। गर्म मौसम में, शरीर पसीने के जरिए खुद को ठंडा रखता है। पसीना त्वचा पर इवापोरेट होता है, जिससे शरीर से गर्मी निकलती है और तापमान नियंत्रित रहता है। इस प्रक्रिया में शरीर का काफी फ्लूएड और पानी निकल जाता है, जिससे यूरिन का उत्पादन कम हो जाता है।
सर्दियों में क्या बदलाव आता है?
ठंड के मौसम में वातावरण का तापमान कम होने के कारण शरीर को पसीने के माध्यम से ठंडा करने की जरूरत नहीं होती। इसके कारण शरीर में पानी और एक्स्ट्रा फ्लूएड जमा होने लगता है, जो गर्मियों में पसीने के रूप में निकलता था, अब केवल यूरिन के माध्यम से बाहर निकलता है। इसलिए सर्दियों में यूरिन की मात्रा और फ्रिक्वेंसी दोनों ही बढ़ जाती हैं।
-1765712644579.jpg)
(Picture Courtesy: Freepik)
ब्लड वेसल्स का सिकुड़ना
ठंड के संपर्क में आने पर हाथ-पैरों की नसें सिकुड़ जाती हैं। इस प्रक्रिया को वैसोकॉन्सट्रिक्शन कहते हैं। इसका मकसद शरीर की गर्मी बनाए रखना है। जब ब्लड वेसल्स सिकुड़ती हैं, तो ब्लड प्रेशर थोड़ा बढ़ जाता है। इस बढ़े हुए प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए किडनी यूरिन के जरिए फ्लूएड बाहर निकालता है। यह भी सर्दियों में यूरिन बढ़ने का एक अहम कारण है।
कम प्यास लगना और कम पानी पीना
दिलचस्प बात यह है कि सर्दियों में हमें कम प्यास लगती है, लेकिन फिर भी यूरिन ज्यादा बनता है। इसका कारण यह है कि हम गर्मियों की तुलना में कम पानी पीते हैं, लेकिन पसीना भी कम निकलता है। शरीर में मौजूद फ्लूएड का बैलेंस बनाए रखने के लिए किडनी उसी अनुपात में यूरिन बनाते हैं।
डाइयूरेटिक्स ज्यादा पीना
सर्दियों में हम अक्सर गर्म चाय, कॉफी या सूप जैसी चीजें ज्यादा पीते हैं। चाय और कॉफी में डाइयूरेटिक गुण होते हैं, यानी ये शरीर में यूरिन ज्यादा बनाते हैं। इससे भी बार-बार पेशाब आने की समस्या बढ़ सकती है।
क्या यह चिंता की बात है?
आमतौर पर सर्दियों में यूरिन की मात्रा और फ्रिक्वेंसी बढ़ना एक नेचुरल बॉडी रिएक्शन है, जो कई लोगों के साथ होता है और चिंता का कारण नहीं है। हालांकि, अगर इसमें जलन, दर्द, रंग में बदलाव या बहुत बार पेशाब आने जैसे लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह यूटीआई या अन्य समस्या का संकेत हो सकता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।