30 की उम्र में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले? ICMR की रिपोर्ट ने बढ़ाई युवाओं की चिंता
ICMR के हालिया अध्ययन की मानें तो चार में से एक युवा विवाहित जोड़ा अधिक वजन और मोटापे का शिकार है। युवाओं को जिस तेजी से मोटापे के साथ डायबिटीज हाइपरटेंशन और फैटी लिवर जैसी बीमारियां गिरफ्त में ले रही हैं उससे सेहत को लेकर अब बचपन से ही प्रयास करने की सख्त जरूरत है...

ब्रह्मानंद मिश्र, नई दिल्ली। देर रात तक जागने, फूड एप्स और हाई कैलोरी वाले भोजन का बढ़ता चलन युवाओं को मोटापे दे रहा है, साथ ही हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कार्डियक, स्ट्रोक जैसी बीमारियां भी गिरफ्त में ले रही हैं। रात को देर से भोजन करने और सोने, व्यायाम से दूरी बनाने का परिणाम मोटापे के रूप में आ रहा है। पति-पत्नी दोनों ही कामकाजी हो गए हैं और लंबे समय तक आरामदेह मुद्रा में काम करते हैं। इन सभी कारणों से सही, स्वस्थ और संतुलित दिनचर्या का अभाव होता जा रहा है। मोटापा पहले उच्च आयवर्ग के लोगों की समस्या थी, लेकिन अब यह समाज के हर वर्ग की समस्या है।
30 की उम्र में कैसे हो बदलाव
डॉ. कपिल यादव (प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन, एम्स, नई दिल्ली) का कहना है कि आज के समय में स्क्रीन टाइम सबसे बड़ी चुनौती है। आपको यह महसूस ही नहीं होता कि दो-दो घंटे आप ब्राउजिंग और स्क्रॉलिंग करते रहते हैं। कुछ देशों में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए इंटरनेट मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए आवश्यक है। अगर आप 12 घंटे व्यस्त रहते हैं तो घर पर जाकर व्यायाम नहीं कर पाएंगे। आपको कार्यस्थल पर ही शारीरिक तौर पर सक्रिय होना होगा। आने-जाने के समय भी एक्टिव रह सकते हैं। जैसे मेट्रो से जा रहे हैं, तो 50-100 सीढ़ियां जरूर चढ़ें।
यह भी पढ़ें- डॉक्टर बोले- 'पेट भर खाओगे तो कैंसर का खतरा बढ़ाओगे', अनजाने में आप भी तो नहीं कर रहे गलती?
खराब खानपान की आदतों ने बढ़ाया जोखिम
भोजन की गुणवत्ता खराब हो रही है। प्रोसेस्ड, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के लोग आदी होते जा रहे हैं। ऐसे में अगर कोई नवविवाहित जोड़ा पहले से ही मोटापे का शिकार है, तो उनके लिए स्वस्थ जीवनशैली की चुनौती और भी कठिन हो जाती है। क्योंकि, उनका मोटापा खराब दिनचर्या ही परिणाम है। उनके बच्चे भी उसी परिवेश का हिस्सा होंगे। समझना होगा कि अगर कम उम्र में मोटापे का शिकार हो रहे हैं तो हार्ट, किडनी, हाइपरटेंशन, डायबिटीज का जोखिम भी 40-50 वर्ष की उम्र में ही आ जाएगा। आज कम उम्र में हार्टअटैक और स्ट्रोक जैसी समस्याएं इन्हीं सब कारणों से देखने में आ रही हैं।
मोटापा जनित बीमारियों का उपचार क्यों मुश्किल?
घनी बसावट वाले शहरी इलाकों में लगभग हर घर में हाइपरटेंशन की समस्या पैठ बना चुकी है। यहां तक कि स्ट्रोक या लकवा जैसी बीमारियां, जिनका इलाज और प्रबंधन दोनों कठिन होता है, उसकी चुनौती बढ़ रही है। बढ़ते मोटापे को देखते हुए हमें नई पीढ़ी को लेकर तुरंत सजग होने की जरूरत है। बाहर निकलकर किसी पार्क में व्यायाम करने की सुविधाएं खत्म हो रही हैं। आप चाहकर स्वस्थ भोजन सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं। सभी तरह के खानपान की गुणवत्ता पर बड़े सवालिया निशान हैं। अगर आपके आसपास लोगों की ऐसी ही जीवनशैली बन चुकी है, तो यह आपके भी व्यवहार में आ जाएगा। आज के दिन में 10 मिनट चलना व्यायाम हो गया है, जो पहले बहुत सामान्य बात थी । 10 मिनट चलना कोई व्यायाम नहीं होता, बल्कि यह आपकी दिनचर्या में होना ही चाहिए।
बचपन से ही बदलाव करने की जरूरत
स्वस्थ आहार और दिनचर्या के लिए स्कूल के स्तर पर ही प्रयास होना चाहिए, 25-30 की उम्र में बदलाव मुश्किल हो जाता है। स्कूलों के स्तर पर खानपान की चीजों को लेकर नियमन शुरू होने चाहिए। ज्यादातर कैंटीन में अस्वस्थ और पैकेट वाले खाद्य पदार्थ मिलते हैं। चिप्स, शीतलपेय आदि पर भी सिगरेट की तरह वार्निंग दर्ज होनी चाहिए, ताकि लोग स्वस्थ खानपान के लिए प्रेरित हो सकें। पैकेट के अंदर शुगर और नमक की मात्रा कितनी है, यह हमें जरूर पता होना चाहिए।
मेटाबोलिज्म सही रखने का प्रयास
सबसे पहले तो अपनी समस्या की स्वीकारना होगा । इसके लिए नियमित अंतराल पर वजन और बीएमआइ को जांचना आवश्यक है। वर्ष में कम से कम एक बार पूरे स्वास्थ्य की जांच अवश्य करानी चाहिए, ताकि सेहत का सही पता चल सके। मेटाबोलिज्म को दुरुस्त रखने के लिए डाइट और एक्टिविटी दोनों स्तरों पर काम करने की जरूरत है । अब घर में भोजन बनाने का चलन तेजी से खत्म हो रहा है। रसोई का आकार छोटा हो रहा है, इसे दोबारा चलन में लाना होगा। स्वस्थ आहार के लिए स्वयं ही प्रेरित होना है। छोटे बच्चों को सुबह स्वस्थ भोजन देने का प्रयास करना चाहिए। यह व्यवस्था निजी स्कूलों में भी होनी चाहिए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।