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    क्या होगा हफ्ते में सिर्फ दो दिन बना लेंगे अपने स्मार्टफोन से दूरी, दिमाग पर कैसा होगा असर?

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 12:04 PM (IST)

    अगर आपसे कहा जाए कि आपको हफ्ते के दो दिन बिना स्मार्टफोन के बिताना है, तो आपका रिएक्शन कैसा होगा? बिना फोन के रहना काफी अजीब और मुश्किल लग सकता है, लेकिन ऐसा करने से आपके दिमाग पर क्या असर (Digital Detox Benefits) होगा, यह जानकर आप हैरान हो जाएंगे। आइए जानें इस बारे में।

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    सिर्फ 48 घंटों का स्मार्टफोन ब्रेक लेने से क्या होगा? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में स्मार्टफोन हमारे जीवन का अटूट हिस्सा बन चुका है। चाहे काम हो या एंटरटेनमेंट, अब सबकुछ स्मार्टफोन पर एक क्लिक में मिल जाता है। इसलिए हमारे दिन का एक बड़ा हिस्सा हमारे फोन की स्क्रीन पर देखते हुए बीतता है (Smart Addiction)। लेकिन क्या हो अगर आप हफ्ते में सिर्फ दो दिन अपने स्मार्टफोन से दूरी बना लें? 

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    जी हां, अगर आप जानबूझकर दो दिन फोन का इस्तेमाल न करें, तो इससे आपके दिमाग पर कैसा असर (Smartphone Break Advantages) होगा? आइए जानते हैं हफ्ते में दो दिन स्मार्टफोन से दूरी बनाने से आपके दिमाग पर क्या असर हो सकता है। 

    स्ट्रेस में कमी और मेंटल क्लैरिटी में बढ़ोतरी

    स्मार्टफोन पर हमें लगातार नई जानकारियां मिलती रहती हैं। नए नोटिफिकेशन्स का अलर्ट और सोशल मीडिया का प्रेशर हमारे दिमाग को हमेशा फाइट-ऑर-फ्लाइट मोड पर रखता है। लेकिन हफ्ते में सिर्फ दो दिन भी स्मार्टफोन से दूरी बनाने से कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल कम होता है। दिमाग को लगातार इन्फॉर्मेशन प्रोसेस करने से आराम मिलता है, जिससे फोकस करने की क्षमता बेहतर होती है, क्रिएटिविटी में इजाफा होता है और फैसले लेने की क्षमता में भी सुधार होता है। यानी आपका दिमाग शांत और क्लीयर रहता है। 

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    (Picture Courtesy: Freepik)

    गहरी नींद और कॉग्नीटिव रिकवरी

    ब्लू लाइट हमारे मेलाटोनिन हार्मोन को दबा देता है, जो स्लीप साइकिल को डिस्टर्ब करता है। फोन से दूरी रात की बेहतर, गहरी नींद को प्रोत्साहित करती है। नींद दिमाग के आराम का समय होता है, जब मेमोरी स्टोर होती हैं। इसलिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल न करने से याददाश्त, सीखने की क्षमता और कॉग्नीटिव फंक्शन में काफी सुधार होता है।

    सोशल रिलेशन और इमोशनल इंटेलिजेंस पर असर

    असल दुनिया की वर्जुअल दुनिया में समय बिताने से हमारे आमने-सामने की बातचीत करने की क्षमता प्रभावित होती है। फोन से ब्रेक आपको वास्तविक दुनिया से फिर से जुड़ने का मौका देता है। इससे आपके रिश्तों में सुधार होता है, बॉडी लैंग्वेज समझने की काबीलियत और इमोशनल कनेक्शन बेहतर होते हैं। 

    न्यूरल सर्किट रीसेट 

    स्मार्टफोन का लगातार इस्तेमाल डोपामाइन-ड्रिवेन रिवॉर्ड सर्किट को एक्टिव करता है, जिसके कारण स्मार्टफोन एडिक्शन हो सकता है। नियमित ब्रेक इन न्यूरल पाथवे को 'रीसेट' करने में मदद करता है। दिमाग उस इंस्टेंट ग्रेटिफिकेशन के साइकिल से बाहर निकलना सीखता है, जिससे सेल्फ कंट्रोल बढ़ता है।

    क्या परेशानियां हो सकती हैं?

    स्मार्टफोन से ब्रेक लेना शुरुआत में थोड़ा चैलेंजिंग हो सकता है, क्योंकि इसके कारण बोरियत, FOMO और चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है। लेकिन ये परेशानियां धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी और आपको बेहतर महसूस होना शुरू हो जाएगा। अपने दिमाग को व्यस्त रखने के लिए आप रीडिंग कर सकते हैं, धूप में वॉक कर सकते हैं या अपनी किसी हॉबी को समय दे सकते हैं।  

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    (Picture Courtesy: Freepik)

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    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।