स्मार्टफोन की लत अगले 25 सालों में ऐसा बना देगी आपका शरीर, AI मॉडल 'सैम' ने दी डरावनी चेतावनी
आजकल जिसे देखो वहीं अपने फोन में बिजी मिलता है। काम हो या एनटरटेंमेंट अब सबकुछ स्मार्टफोन की स्क्रीन पर ही हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिनभर फोन चलाने की यह आदत आपके शरीर पर कैसे प्रभाव डालती है? दरअसल, एक एआई मॉडल ने बताया कि अगले 25 सालों में स्मार्टफोन की लत (Smartphone Addiction) के कारण इंसान कैसा दिखेगा।
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स्मार्टफोन की लत बिगाड़ देगी शरीर का हुलिया (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज स्मार्टफोन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। काम हो या एंटरट, हर चीज इसके बिना अधूरी लगती है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि अगर यही लत (Smartphone Addiction ) ऐसे ही जारी रही, तो हमारे शरीर पर क्या असर पड़ेगा?
हाल ही में एक स्टेप-ट्रैकिंग ऐप ने एक मॉडल बनाया, जिसका नाम सैम रखा गया है। यह मॉडल दिखाता है कि अगर इंसान अपनी मौजूदा जीवनशैली नहीं बदलता, तो साल 2050 तक हमारा शरीर कैसा दिख सकता है और नतीजे (Smartphone Addiction Health Risks) वाकई डराने वाले हैं।
2050 में “फोन एडिक्ट” इंसान कैसा दिखेगा?
साल 2050 तक स्मार्टफोन की लत हमारे शरीर को पूरी तरह बदल सकती है। सबसे पहले हमारा पोश्चर प्रभावित होगा- गर्दन आगे झुक जाएगी, पीठ गोल हो जाएगी और कंधे झुक जाएंगे। इस स्थिति को “टेक नेक” कहा जाता है, जो लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप देखने से होता है। इससे लगातार गर्दन और पीठ में दर्द बना रहता है।
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(Picture Courtesy: Instagram)
इसके अलावा, सैम की लाल और थकी हुई आंखें, काले घेरे, पीली त्वचा, और झड़ते बाल यह दिखाते हैं कि स्क्रीन की रोशनी और नींद की कमी से हमारे चेहरे पर कितना असर पड़ सकता है। लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में ड्राईनेस और जलन आम बात बन जाएगी।
एआई मॉडल में सैम के सूजे हुए पैर और टखने भी दिखाए गए हैं। यह लंबे समय तक बैठे रहने और कम फिजिकल एक्टिविटी का नतीजा है। इससे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन गड़बड़ा सकता है, वैरिकोज वेन्स और खून के थक्के जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। वहीं पेट का बढ़ना, मोटापा और मांसपेशियों की कमजोरी भी आम हो जाएगी।
सिर्फ शरीर नहीं, मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर
स्मार्टफोन की लत केवल शरीर नहीं, मन को भी प्रभावित करती है। घंटों तक सोशल मीडिया स्क्रॉल करना हमें धीरे-धीरे दूसरों से अलग-थलग कर देता है। इससे तनाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यह एक साइलेंट साइकिल है- जितना हम फोन में खोते हैं, उतना ही हम असली दुनिया से दूर होते जाते हैं, और यह दूरी हमें और ज्यादा उदास और इनएक्टिव बना देती है।
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क्या है समाधान?
हमारे पास अभी भी समय है। छोटे-छोटे बदलाव हमें इस भविष्य से बचा सकते हैं। जैसे- रोजाना कुछ समय के लिए फोन से दूरी बनाएं, एक्सरसाइज, योग या वॉकिंग को अपने रूटीन में शामिल करें और सबसे जरूरी, लोगों से जुड़ने की कोशिश करें, न कि केवल वर्चुअल दुनिया से।

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