चलते समय पैरों में महसूस होता है दर्द और भारीपन? Venous Disease के हो सकते हैं लक्षण, न करें इग्नोर
नसें शरीर में ब्लड फ्लो को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे शरीर के विभिन्न हिस्सों से ऑक्सीजन से भरपूर खून को वापस दिल तक पहुंचाती हैं। नसों में कमजोरी या रुकावट आने से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है जिसे Venous Disease यानी कि नसों की बीमारी कहा जाता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जिस तरह दिल, आंखें, फेफड़े और किडनी हमारे शरीर के जरूरी अंग हैं, वैसे ही नसें (veins) भी शरीर में ब्लड फ्लो को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। ये नसें शरीर के अलग-अलग हिस्सों से ऑक्सीजन से भरपूर ब्लड को वापस दिल तक पहुंचाती हैं। ताकि वही खून दोबारा साफ होकर पूरे शरीर में जा सके। लेकिन जब इन नसों में कोई कमजोरी या रुकावट आ जाती है, तो ब्लड सर्कुलेशन पर बुरा असर पड़ता है।
आपको बता दें कि इसे ही Venous Disease यानी कि नसों की बीमारी कहा जाता है। ये समस्या पैरों में सूजन, भारीपन, जलन, दर्द और उभरी हुई नसों जैसे लक्षणों के रूप में नजर आती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो ये और भी गंभीर रूप भी ले सकती है। लेकिन अच्छी बात तो ये है कि इसे सही जानकारी, इलाज और सावधानियों से काबू में रखा जा सकता है। आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। हम आपको बताएंगे कि Veins या Venous Disease क्या होते हैं? साथ ही इनके लक्षणों और कारणों के बारे में भी जानेंगे। आइए जानते हैं विस्तार से -
Veins Disease क्या होती है?
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, नसें शरीर में खून को दिल तक वापस पहुंचाने का काम करती हैं। ये शरीर की सर्कुलेटरी सिस्टम का हिस्सा होती हैं। जब किसी वजह से नसें कमजोर या खराब हो जाती हैं, तो वो ठीक से काम नहीं कर पातीं हैं। इससे खून का फ्लो बिगड़ने लग जाता है और कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। हालांकि, इसका इलाज संभव है और कुछ घरेलू उपायों से भी राहत मिल सकती है।
शरीर में नसें कैसे काम करती हैं?
आपको बता दें कि नसों के अंदर छोटे-छोटे वॉल्व (flaps/valves) होते हैं। जब मशल्स सिकुड़ती हैं, तो ये वाल्व खुलते हैं और खून को आगे बढ़ता है। वहीं जब मसल्स ढीली होती हैं, तो वॉल्व बंद हो जाते हैं ताकि खून पीछे न लौटे। लेकिन अगर ये वॉल्व खराब हो जाएं, तो खून दूसरी तरफ बहने लगता है या फिर इकट्ठा हो जाता है।
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कितनी तरह की होती है ये बीमारी?
- ब्लड क्लॉट- पैरों, हाथों, आंतों, फेफड़ों, दिमाग या किडनी की नसों में बन सकते हैं।
- डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT)- ये तब होता है जब नस में खून का थक्का बनना है, ये जानलेवा हो सकता है अगर वो फेफड़ों तक पहुंच जाए। इसे pulmonary embolism कहते हैं।
- सुपरफिशियल थ्रॉम्बोफ्लेबाइटिस- स्किन के पास की नसों में ब्लड क्लॉट होने लगता है। ये आमतौर पर जानलेवा नहीं होता लेकिन दर्द देता है।
- क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी (CVI)- जब नसों में खून इकट्ठा हो जाता है तो पैरों में सूजन, दर्द, स्किन का रंग बदलना और अल्सर जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
- वेरिकोज और स्पाइडर Veins- इसमें नसें फूल जाती हैं और दिखने लगती हैं, जो कमजोरी की वजह से होता है।
- वेनस अल्सर- ये ज्यादातर टखनों के पास होते हैं।
- आर्टिरियो-वेनस फिस्टुला- ये तब होता है जब Arteries और नसें सीधे जुड़ जाती हैं, ये नॉर्मल नहीं है।
क्या हैं नसों की बीमारी के लक्षण
- दर्द या ऐंठन
- शरीर में गर्माहट
- रेडनेस
- भारीपन महसूस होना
- खुजली या जलन
- सूजन
- नसों का उभरकर दिखना
इसके कारण भी जानें
- जन्म से ही नसों में गड़बड़ी
- चोट लगना
- पहले से कोई नसों की बीमारी
- उम्र, प्रेग्नेंसी, सिस्ट या ट्यूमर से नसें कमजोर होना
- हाई ब्लड प्रेशर
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खतरा बढ़ाने वाले कारण
- परिवार में किसी को ये बीमारी होना
- प्रेग्नेंसी
- मोटापा
- लंबे समय तक बैठना या खड़े रहना
- हार्मोन थेरेपी या गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन
- स्मोक करना
Source-
- https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/16754-venous-disease
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