छींकने पर निकल जाता है यूरिन? Uterine Prolapse का हो सकता है संकेत; साधारण समझने की न करें गलती
बढ़ती उम्र में महिलाओं को यूट्राइन प्रोलैप्स की समस्या हो सकती है जिसे बच्चेदानी का खिसकना कहते हैं। यह समस्या तब होती है जब यूट्रस को सहारा देने वाली मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। मेनोपॉज गर्भावस्था और मोटापा इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं। लापरवाही करने पर यूट्रस वजाइना से बाहर आ सकता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बढ़ती उम्र में सेहत से जुड़ी कई परेशानियां हो जाती हैं। महिलाओं के शरीर में तो मेनोपॉज के बाद कई बदलाव देखने को मिलते हैं। उन्हीं में से एक होता है Uterine Prolapse। इसे बच्चेदानी का खिसकना कहते हैं। बच्चेदानी को यूट्रस कहा जाता है। ये उम्र के साथ-साथ आगे बढ़ने लगती है। आमतौर पर ये समस्या तब देखी जाती है जब लिगामेंट्स कमजोर हो जाते हैं।
ये समस्या कई कारणों से होती हैं। आमतौर पर इसके लक्षण सामान्य नजर आते हैं जिसे महिलाएं नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन ये आपके लिए बड़ी दिक्कतें पैदा सकता है। कहते हैं कि अगर जरा भी लापरवाही की जाए तो इससे Uterus वजाइना से बाहर आ सकता है। आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। हम आपको बताएंगे कि Uterine Prolapse क्या होता है। इसके लक्षण क्या हैं और ये किन कारणों से हो सकता है। आइए जानते हैं विस्तार से -
Uterine Prolapse क्या है?
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है, उनके शरीर में कुछ बदलाव आ सकते हैं। यूट्राइन प्रोलैप्स (Uterine Prolapse) एक ऐसी ही सामान्य बीमारी है, जो आमतौर पर उम्र ज्यादा होने पर या कई बार नॉर्मल डिलीवरी होने के बाद देखने को मिलती है। ऐसा तब होता है जब Uterus को सहारा देने वाली मसल्स और लिगामेंट कमजोर हो जाते हैं। जब ये कमजोर हो जाते हैं, तो Uterus अपनी जगह से नीचे की तरफ खिसकने लगता है। कभी-कभी तो ये vagina से बाहर भी आ जाता है।
प्रोलैप्स के स्टेज क्या होते हैं?
- स्टेज 1: Uterus हल्का सा वजाइना के ऊपरी हिस्से में खिसकता है।
- स्टेज 2: इस स्थिति में Uterus वजाइना के नीचे हिस्से तक आ जाता है।
- स्टेज 3: गर्भाशय का कुछ हिस्सा वजाइना से बाहर दिखने लगता है।
- स्टेज 4: पूरा का पूरा यूट्रेस ही योनि से बाहर आ जाता है।
किन महिलाओं को होता है यूट्राइन प्रोलैप्स?
- जिनकी एक या एक से ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी हो चुकी हो।
- जो मेनोपॉज की अवस्था में हों।
- परिवार में किसी को ये बीमारी रही हो।
- जिनकी पेल्विक सर्जरी हो चुकी हो।
क्यों बढ़ जाता है इस बीमारी का खतरा?
आपको बता दें कि मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन नाम के हार्मोन की कमी हो जाती है। इस कारण मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। यही कारण है कि यूट्राइन प्रोलैप्स का खतरा बढ़ जाता है।
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लक्षण भी जानें
- पेट के निचले हिस्से या वजाइना में भारीपन या दबाव महसूस होना।
- कमर या पेट में दर्द रहना।
- शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होना।
- वजाइना से मांस का टुकड़ा बाहर आना।
- टैम्पॉन को वजाइना में डालने में परेशानी होना।
- कब्ज की समस्या।
- बार-बार या जल्दी-जल्दी पेशाब लगना।
- पेशाब रोकने में परेशानी होना।
- खांसते या छींकते समय पेशाब का निकलना।
- ये लक्षण लंबे समय तक खड़े रहने, चलने, खांसने या छींकने पर और ज्यादा बढ़ सकते हैं।
क्या हैं कारण?
- मेनोपॉज के बाद मसल्स का कमजोर होना।
- बार-बार गर्भवती होना।
- मोटापा।
- लगातार खांसी रहना।
- बार-बार भारी सामान उठाना।
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Source-
- https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/16030-uterine-prolapse
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