कहीं आपको भी तो नहीं क्रॉनिक इनसोम्निया? ऐसे करें पहचान और मैनेज करने के लिए क्या करना चाहिए?
क्या आप भी अक्सर रातभर करवटें बदलते रहते हैं, लेकिन नींद का कोई अता-पता नहीं होता? अगर हां, तो आपको थोड़ा सावधान हो जाना चाहिए। यह क्रॉनिक इनसोम्निया (Chronic Insomnia) के कारण हो सकता है। इसके कारण आपकी की सेहत के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

कैसे कर सकते हैं क्रॉनिक इनसोम्निया की पहचान? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हमारा शरीर भी एक मशीन की तरह ही है, जिसे ठीक तरीके से काम करने के लिए ब्रेक की जरूरत होती है। हमारे शरीर को यह आराम नींद से मिलता है। लेकिन कई कारणों से रात को ठीक से नींद नहीं आती और कई बार यह समस्या लगातार बनी रहती है। इसे क्रॉनिक इनसोम्निया (Chronic Insomnia) कहा जाता है।
कभी-कभार नींद न आना सामान्य बात है। स्ट्रेस या दिन में सो जाने की वजह से कभी-कभी रात को जल्दी नींद नहीं आती है। लेकिन लगातार नींद न आना एक गंभीर समस्या है और इससे व्यक्ति की सेहत और जीवन की गुणवत्ता दोनों पर प्रभाव पड़ता है। आइए जानें क्रॉनिक इनसोम्निया के लक्षण (Chronic Insomnia Symptoms) कैसे होते हैं और इसे कैसे मैनेज (Tips to Manage Chronic Insomnia) कर सकते हैं।
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क्रॉनिक इनसोम्निया क्या है?
क्रॉनिक इनसोम्निया केवल रात भर करवटें बदलने का नाम नहीं है। इसे तब क्रॉनिक माना जाता है जब कोई व्यक्ति सप्ताह में कम से कम तीन रातों को पूरी नींद लेने में असमर्थ रहता है और यह स्थिति तीन महीने या उससे ज्यादा समय तक बनी रहती है। इसके लक्षण ऐसे होते हैं-
- सोने में परेशानी
- बीच-बीच में नींद टूटना और दोबारा सो न पाना
- बहुत सुबह उठ जाना
- दिन में थकान, चिड़चिड़ापन और फोकस करने में कठिनाई
क्रॉनिक इनसोम्निया के कारण क्या हैं?
- साइकोलॉजिकल कारण- स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं क्रॉनिक इनसोम्निया की सबसे बड़ी वजहों में से एक हैं।
- मेडिकल कंडीशन- दर्द, अस्थमा, थायरॉइड की समस्या, एसिड रिफ्लक्स जैसी बीमारियां नींद में खलल डाल सकती हैं।
- लाइफस्टाइल फैक्टर्स- अनियमित सोने का समय, दिन में देर तक सोना, सोने से पहले मोबाइल फोन या लैपटॉप का इस्तेमाल, कैफीन या अल्कोहल।
- एंवायरनमेंटल फैक्टर्स- शोरगुल, ज्यादा रोशनी या असहज बिस्तर भी नींद को प्रभावित कर सकते हैं।
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क्रॉनिक इनसोम्निया को कैसे मैनेज करें?
स्लीप हाइजीन में सुधार
- नियमित दिनचर्या- हर रोज एक ही समय पर सोएं और सुबह एक ही समय पर उठें, चाहे छुट्टी का दिन ही क्यों न हो।
- बेडरूम का माहौल- अपने बेडरूम को शांत, अंधेरा और ठंडा रखें। गद्दे और तकिए आरामदायक हों।
- स्क्रीन से दूरी- सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप का इस्तेमाल बंद कर दें। इनकी ब्लू लाइट नींद के हार्मोन मेलाटोनिन को कम कर देती है।
- स्लीप रूटीन- सोने से पहले गुनगुने पानी से नहाएं, कोई किताब पढ़ें, मेडिटेशन करें या शांत म्युजिक सुनें। इससे दिमाग रिलैक्स होता है।
डाइट और एक्सरासइज
- रात में हल्का खाना खाएं। सोने से ठीक पहले हैवी खाना या ज्यादा पानी पीने से बचें।
- शाम के बाद चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक और अल्कोहल से परहेज करें।
- दिन में नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, लेकिन सोने से ठीक पहले जोरदार एक्सरसाइज न करें।
स्ट्रेस मैनेजमेंट
तनाव को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग बहुत कारगर साबित होते हैं।
प्रोफेशनल मदद लें
अगर स्थिति में सुधार न हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
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