खाने के पहले पानी पीने वाला योगी, साथ पीने वाला भोगी और बाद में पीने वाला रोगी क्यों कहलाता है?
बड़े-बूढ़ों की बातों में अक्सर कई सारी कहवातों का इस्तेमाल किया जाता है। इन कहावतों का न सिर्फ कोई खास मतलब होता था बल्कि यह कई सारी सीख भी देती थी। इन्हीं कहावत में से एक खाने के पहले पानी पीने वाला योगी खाने के साथ पीने वाला भोगी और खाने के बाद पानी पीने (Water Drinking Timing) वाला रोगी है आयुर्वेद से जुड़ी है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कई सारी कहावतों और मुहावरों का इस्तेमाल करते हैं। बड़े-बूढ़ों की ये कहावतें यूं ही नहीं होती, इनकी कोई न कोई वजह और मतलब जरूर होता है। ऐसी ही एक कहावत है “खाने के पहले पानी पीने वाला योगी, खाने के साथ पीने वाला भोगी और खाने के बाद पानी पीने वाला रोगी।”
हम में से कई लोगों ने इस कहावत को सुना होगा और कई लोगों को इसे पढ़कर यह समझ आ गया होगा कि यह कहावत सेहत से जुड़ी कोई जरूरी जानकारी दे रही है। लेकिन ये जरूरी जानकारी क्या है, इस बारे में बेहद कम लोग ही जानते हैं। ऐसे में इस कहावत का असल मतलब और सेहत से इसके कनेक्शन के बारे में जानने के लिए हमने शारदा हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ श्रेय श्रीवास्तव से बातचीत की। आइए जानते हैं क्या कहते हैं डॉक्टर-
डॉक्टर ने हमें बताया कि यह कहावत "खाने के पहले पानी पीने वाला योगी, खाने के साथ पीने वाला भोगी और खाने के बाद पानी पीने वाला रोगी", आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय जीवनशैली की गहराई से जुड़ी हुई है। इसका मकसद खाना खाते समय पानी पीने के प्रभाव को समझाना है।
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खाने के पहले पानी पीने वाला योगी
इस लाइन का मतलब है कि खाने के पहले पानी पीना सेहत के लिए अच्छा होता है। इससे पाचन अग्नि को सक्रिय होती है, जिससे भोजन अच्छे से पचता है। ऐसे व्यक्ति को "योगी" कहा गया है क्योंकि वह संयमित और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होता है।
खाने के साथ पीने वाला भोगी
खाने के साथ पानी पीना पाचन रसों को पतला कर देता है, जिससे भोजन का पाचन धीमा होता है। यह व्यक्ति जीवन का ज्यादा भोग करने वाला होता है, जो स्वाद के पीछे भागता है और इसलिए उसे "भोगी" कहा गया है।
खाने के बाद पानी पीने वाला रोगी
खाने के बाद पानी पीना पेट में एसिड और पित्त के संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे अपचन, गैस और मोटापा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे व्यक्ति को "रोगी" कहा गया है, क्योंकि उसका यह अभ्यास बीमारियों को जन्म देता है। इसलिए यह कहावत हमें भोजन के समय और पानी पीने के बीच संतुलन बनाने की सीख देती है, जिससे हम स्वस्थ जीवन जी सकें।
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