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    बारिश के मौसम में बढ़ जाता है यूटीआई का रिस्क, डॉक्टर से जानें इससे बचने के लिए क्या करें

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 09:03 AM (IST)

    बारिश का मौसम पर्यावरण के लिए ताजगी तो लाता है पर हमारी सेहत के लिए चुनौतियां बढ़ा देता है। आर्द्रता के बढ़ने व निजी तौर पर स्वच्छता की कमी के चलते इन ...और पढ़ें

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    कैसे करें यूटीआई से बचाव? (Picture Courtesy: Freepik)

    सुमन अग्रवाल, नई दिल्ली। यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) एक आम तरह का संक्रमण है, जो यूरिनरी सिस्टम को प्रभावित करता है, जिसमें किडनी, ब्लैडर, मूत्रमार्ग और महिलाओं में गर्भाशय का संक्रमण शामिल है। आर्द्रता के चलते बारिश के मौसम में यह समस्या अधिक देखने में आती है।

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    आइए डॉ. राजीव सूद (पूर्व विभागाध्यक्ष यूरोलाजी, आरएमएल अस्पताल, नई दिल्ली) से जानते हैं कि यूटीआई क्यों होता है, इसके लक्षण (Symptoms of UTI) कैसे होते हैं और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।

    निजी स्वच्छता (पर्सनल हाइजीन ), सार्वजनिक टायलेट के बार-बार प्रयोग करने, कमजोर इम्युनिटी और पर्याप्त पानी नहीं पीने जैसे कारणों से यह समस्या होने की प्रबल आशंका रहती है। खासकर महिलाओं को यूटीआई से सबसे अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है।

    कैसे होता है यूटीआई?

    यूटीआई में आंतों से बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में प्रवेश करते हैं। ये बैक्टीरिया कई रास्तों से यूरिनरी सिस्टम में प्रवेश करते हैं। आसपास के दूसरे अंगों से ब्लैडर में चले जाते हैं। पेरेनियम की लेयरिंग की वजह से भी बैक्टीरिया के अंदर जाने की आशंका रहती है।

    • आर्द्रता है एक बड़ा कारण- अधिक आर्द्रता और कपड़ों के जरिए होने वाली नमी बैक्टीरिया पनपने के लिए अनुकूल स्थिति तैयार करती है। बारिश में भीगने के कारण अगर शरीर में नमी लंबे समय तक बरकरार रहती है तो इससे भी बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जो यूरिनरी सिस्टम के लिए हानिकारक साबित होते हैं।
    • साफ-सफाई की कमी- रेस्टरूम या पब्लिक टायलेट के बार-बार प्रयोग करने के कारण संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। खासकर बारिश के मौसम में महिलाओं को पब्लिक टायलेट के प्रयोग में सतर्कता बरतनी चाहिए।
    • कमजोर प्रतिरक्षा- बारिश के मौसम में तापमान में बार- बार उतार-चढ़ाव और रोगाणुओं के चलते कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए यह मौसम जोखिम भरा होता है। ऐसे लोगों को यूटीआई संक्रमण से बचने के लिए विशेष तौर पर सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

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    यूटीआई के लक्षण

    यूटीआई के सामान्य लक्षणों की बात करें तो इससे बार-बार यूरिन आने, दर्द या जलन होने, रक्त आने, यूरिन का रंग गहरा या धुंधला होने, पेट के निचले हिस्से में दर्द, बुखार, ठंड लगने, ब्लैडर में परेशानी जैसी समस्याएं होती हैं। यूरिन नहीं आने पर भी बार- बार महसूस होती है। यदि बार-बार यूटीआई हो रहा है तो इसे क्रोनिक यूटीआई कहते हैं, जिसका तुरंत

    इलाज कराने की जरूरत होती है।

    महिलाओं में संक्रमण का अधिक जोखिम

    यूटीआई आमतौर पर एस्चेरिचिया कोलाई (ई. कोलाई) नाम के बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया पाचन तंत्र में मौजूद रहता है और फिर मूत्रमार्ग के अंदर प्रवेश कर जाता है। महिलाओं का यूरिनरी सिस्टम पुरुषों की तुलना में छोटा होता है, इसलिए इन्हें यूटीआई का जोखिम अधिक रहता है। अन्य कारणों, जैसे असुरक्षित यौन गतिविधि, खराब स्वच्छता, खराब मेटाबालिज्म, सिंथेटिक अंडर गार्मेंट्स या कैथेटर के प्रयोग से भी यूटीआई का खतरा बढ़ सकता है।

    बचाव के महत्वपूर्ण तरीके

    • पर्याप्त पानी पीना जरूरी- यूटीआई से बचने के लिए दिनभर में पर्याप्त पानी पीना जरूरी है। शरीर में पानी की कमी होने से किडनी पर भी प्रभाव पड़ता है और संक्रमण की आशंका बढ़ती है। पानी के जरिए बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं। बहुत देर तक यूरिन रोकने के कारण यूरिनरी ट्रैक्ट में बैक्टीरिया पनपने शुरू हो जाते हैं, इसलिए दिनभर में कम से कम 7-8 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए, ताकि यूरिन साफ हो और बैक्टीरिया पनपने की आशंका कम।
    • अंत:वस्त्रों को रखें साफ- अंत:वस्त्रों को साफ और नमी से मुक्त रखना चाहिए। बेहतर होगा सिंथेटिक कपड़ों के बजाय काटन के कपड़ों का प्रयोग करें। टाइट और सिंथेटिक कपड़ों से पसीना अधिक आता है और खुजली या जलन शुरू हो जाती है। इससे बैक्टीरिया बढ़ने शुरू हो सकते हैं, जो यूटीआई की वजह बन सकते हैं।
    • टॉयलेट में सावधानी- पब्लिक टायलेट में बार-बार जाने से बचना चाहिए | टायलेट जाने से पहले फ्लश जरूर करें और सीट साफ करके ही बैठें। बैक्टीरिया से बचने के लिए हैंड सैनिटाइजर का उपयोग जरूर करें।
    • इम्यून सिस्टम करें मजबूत- अगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो आसानी से संक्रमित हो सकते हैं। अपना इम्यून सिस्टम मजबूत बनाएं, ताकि यूटीआई जैसी समस्याओं से बच सकें। देर तक यूरिन न रोकें- अगर यूरिन महसूस हो तो उसे रोकने का प्रयास न करें, इससे आपके ब्लैडर और गुर्दे पर बुरा असर पड़ता है। बैक्टीरिया से बचने के लिए ब्लैडर हमेशा खाली रहना चाहिए।

    बुजुर्गों में यूटीआई को लेकर बढ़े सतर्कता

    डॉ. संजय के अग्रवाल (पूर्व विभागाध्यक्ष नेफ्रोलाजी, एम्स, दिल्ली) बताते हैं कि यूटीआई एक आम तरह काही संक्रमण है। यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है। यूरिनरी ट्रैक्ट (मूत्रमार्ग की लंबाई कम होने, यौन गतिविधियों के कारण महिलाओं में बार-बार यूटीआई होने की आशंका रहती है।

    यह समस्या वृद्ध महिलाओं में अधिक देखी जाती है, क्योंकि वे यूरिन कंट्रोल नहीं कर पातीं। साथ ही उनकी शारीरिक गतिविधियां भी कम हो जाती हैं। इससे यूटीआई होने पर उपचार कठिन हो जाता है। महिलाओं में अक्सर देखा जाता है कि बार-बार यूटीआई होने से कोई शारीरिक असामान्यता नहीं होती। ऐसे मामलों में एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से उपचार किया जाता है। यूटीआई के संक्रमण के उपचार मैं अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।

    यूटीआई में पीएच की भूमिका

    बार बार यूटीआई होने से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर यूरिन से खून या पस निकलें, तो तुरंत जांच और उपचार कराना चाहिए। जिन्हें यूटीआई है, वे अपना पीएच लेवल बदलकर भी उपचार करा सकते हैं, जैसे अगर उनका पीएच एसिटिक है तो उसे एल्क्लाइन करें और एल्कलाइन है तो खट्टे फल खाकर उसे एसिटिक करें। यूटीआई में पीएच की भूमिका अहम होती है।

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