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    सिर्फ फेफड़े ही नहीं, आंखों को भी निगल रही जहरीली हवा; आई स्पेशलिस्ट से जानें बचाव के सटीक तरीके

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 02:57 PM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार खराब है और ठंड के कारण कोहरे ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। जहरीली हवा का सेहत के साथ-साथ आंखों पर भी बुरा अ ...और पढ़ें

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    दिल्ली में जहरीली हवा का आंखों पर असर, एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय (Picture Credit- AI Generated)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार खराब स्तर पर बना हुआ है। साथ ही बढ़ती ठंड की वजह से होने वाले कोहरे ने लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी है। ऐसे में प्रदूषण की वजह से होने वाली समस्याओं में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जहरीली हवा का सेहत के साथ-साथ आंखों पर भी बुरा असर हो रहा है।

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    इस बारे में जब हमने डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट ऑप्थैल्मोलॉजिस्ट डॉ. प्रभजोत कौर से बात की, तो उन्होंने बताया कि शहर में स्मॉग के कारण प्रदूषण से जुड़ी आंखों की समस्याओं में बढ़ोतरी हो रही है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे कई सारे कारक इसकी मुख्य वजह है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार में-

    आंखों के लिए हानिकारक प्रदूषण

    डॉक्टर बताते हैं कि हवा में मौजूद सूक्ष्म कण, वाहनों से निकलने वाला धुआं, धूल और केमिकल तत्व सिर्फ फेफड़ों और दिल को ही प्रभावित नहीं करते, बल्कि आंख की नाज़ुक सतह को भी नुकसान पहुंचाते हैं। 

    इसके परिणामस्वरूप कई लोगों को आंखों में जलन, सूखापन, लालिमा, पानी आना और ब्लर विजन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे काम, पढ़ाई और रोजमर्रा के कामकाज भी प्रभावित होते हैं। अच्छी बात यह है कि कुछ सरल और नियमित उपाय अपनाकर जोखिम को कम किया जा सकता है और लक्षणों से राहत पाई जा सकती है।

    प्रदूषण से होने वाली समस्याएं 

    • खराब वायु गुणवत्ता से जुड़ी सबसे आम समस्या ड्राई आई डिजीज है। प्रदूषक आंसू की परत (टियर फिल्म) को अस्थिर कर देते हैं। यह वह पतली परत होती है, जो आंख को चिकना और सुरक्षित रखती है। जब यह परत जल्दी टूट जाती है, तो आंख की सतह खुली रह जाती है, जिससे किरकिरापन, जलन और विजन में परेशानी होती है, खासकर लंबे समय तक स्क्रीन देखने पर। 
    • एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस भी एक आम समस्या है, जिसमें खुजली और लालिमा होती है, जो हवा में मौजूद एलर्जन्स और उत्तेजक तत्वों से बढ़ जाती है। कई मरीज बाहर रहने या लंबी यात्रा के बाद आंखों में चुभन, बहुत ज्यादा पानी आना और रोशनी के प्रति संवेदनशीलता की शिकायत भी करते हैं। 
    • कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोग विशेष रूप से ज्यादा प्रभावित होते हैं, क्योंकि प्रदूषित हवा में लेंस पर जमाव तेजी से होता है और दोपहर तक लेंस असहज महसूस होने लगते हैं। जिन लोगों को पहले से आंखों की बीमारी, डायबिटीज, ऑटोइम्यून डिजीज है या जो हाल ही में आंखों की सर्जरी से गुजरे हैं, उनमें लक्षण ज्यादा गंभीर हो सकते हैं और उन्हें ज्यादा प्रदूषण वाले दिनों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
    • हालांकि, प्रदूषण से जुड़ी ज्यादातर आंखों की समस्याएं अस्थायी होती हैं, लेकिन बार-बार होने वाली सूजन क्रॉनिक समस्याओं जैसे ब्लेफेराइटिस और मेइबोमियन ग्लैंड डिसफंक्शन को बढ़ा सकती है।


    ऐसे करें आंखों की सुरक्षा

    • प्रदूषण के संपर्क को कम करना और आंख की सतह की सुरक्षा करना, अल्पकालिक और दीर्घकालिक, दोनों तरह की आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद है।
    • अपने क्षेत्र का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) चेक करें और बाहरी गतिविधियां उस समय करें, जब स्तर बेहतर हों। 
    • अगर खराब हवा वाले दिनों में बाहर जाना जरूरी हो, तो हवा और कणों के सीधे संपर्क को कम करने के लिए रैपअराउंड सनग्लासेस पहनें। 
    • आंसू की परत को स्थिर रखने के लिए दिन में दो से चार बार प्रिजरवेटिव-फ्री लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें, और शाम को पलकों पर गर्म सेंक (वॉर्म कंप्रेस) करें ताकि नेचुरल ऑयल का प्रवाह बेहतर हो। 
    • घर के अंदर, स्मॉग के पीक समय में खिड़कियां बंद रखें, जहां संभव हो एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और पंखे की हवा को सीधे चेहरे पर पड़ने से बचाएं। 
    • पर्याप्त पानी पिएं, नियमित अंतराल पर स्क्रीन से ब्रेक लें, ताकि पलकें झपकती रहें, और आंखों को रगड़ने से बचें। खुजली होने पर ठंडी सिकाई करें। 
    • कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों को खराब हवा वाले दिनों में लेंस पहनने का समय कम करना चाहिए या अस्थायी रूप से चश्मा पहनना चाहिए और लेंस की स्वच्छता का खास ध्यान रखना चाहिए।
    • अगर तेज दर्द, अचानक विजन में बदलाव, बहुत ज्यादा रोशनी से परेशानी या आंखों से गाढ़ा डिस्चार्च हो, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। 

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