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    'खराब AQI से फेफड़े की बीमारी का रिस्क नहीं...', बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच सरकार का अजीबोगरीब तर्क

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 07:08 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि AQI और फेफड़ों की बीमारियों के बीच सीधा संबंध साबित करने वाला कोई पक्का डेटा नहीं है। केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिं ...और पढ़ें

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    सरकार का दावा, AQI और फेफड़ों के रोगों में सीधा संबंध नहीं

    स्मार्ट व्यू- पूरी खबर, कम शब्दों में

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली में बढ़ते AQI को लेकर संसद में ऐसा तर्क दिया जिसे लेकर बहस छिड़ गई है। गुरुवार को सरकार ने संसद को बताया है कि अधिक एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लेवल और फेफड़ों की बीमारियों के बीच सीधा संबंध साबित करने वाला कोई पक्का डेटा नहीं है।

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    राज्यसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने हालांकि यह माना कि वायु प्रदूषण सांस की बीमारियों के लिए एक ट्रिगरिंग फैक्टर हो सकता है।

    AQI और फेफड़ों के रोगों में सीधा संबंध नहीं:सिंह 

    कीर्ति वर्धन सिंह ने बीजेपी सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी के एक सवाल के जवाब में ये तर्क दिया, जिन्होंने पूछा था कि क्या सरकार को पता है कि शोध और मेडिकल टेस्ट से यह कंफर्म हुआ है कि दिल्ली-NCR में खतरनाक AQI लेवल के लंबे समय तक संपर्क में रहने से लंग फाइब्रोसिस हो रहा है, जिससे फेफड़ों की क्षमता में कमी आ रही है?

    बाजपेयी ने यह भी जानना चाहा कि क्या दिल्ली-NCR के लोगों में फेफड़ों की इलास्टिसिटी उन शहरों में रहने वाले लोगों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो गई है, जहां AQI लेवल अच्छा है?

    कमजोर समूहों के लिए ट्रेनिंग और जागरूकता कार्यक्रम 

    बीजेपी सांसद ने आगे पूछा कि क्या सरकार के पास दिल्ली/NCR के लाखों लोगों को पल्मोनरी फाइब्रोसिस, COPD, एम्फीसेमा, फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी और लगातार कम हो रही फेफड़ों की इलास्टिसिटी जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कोई समाधान है?

    इस पर जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि प्रोग्राम मैनेजर, मेडिकल ऑफिसर, नर्स, नोडल ऑफिसर, सेंटिनल साइट्स, और आशा जैसी फ्रंटलाइन वर्कर्स, महिलाओं और बच्चों सहित कमजोर समूहों, ट्रैफिक पुलिस के साथ नगर निगम कर्मचारियों जैसे पेशेवर रूप से प्रभावित समूहों के लिए खास ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित किए गए हैं।

    उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों को टारगेट करते हुए सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) सामग्री अंग्रेजी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित की गई है।

    सिंह ने कहा, 'नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ (NPCCHH) ने भी विभिन्न कमजोर समूहों के लिए कस्टमाइज्ड IEC सामग्री विकसित की है।'

    वायु प्रदूषण के लिए शुरुआती अलर्ट

    उन्होंने आगे कहा, 'वायु प्रदूषण के लिए शुरुआती अलर्ट के साथ ही हवा की गुणवत्ता के पूर्वानुमान, मौसम विज्ञान विभाग द्वारा राज्यों और शहरों को भेजे जाते हैं ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र और समुदायों को तैयार होने में मदद मिल सके।

    मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का मकसद लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस के रूप में स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन प्रदान करके महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है।

    उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का स्वच्छ भारत मिशन शहरों, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, गलियों और बुनियादी ढांचे को साफ करने का प्रयास करता है।