महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है एस्ट्रोजन हार्मोन, इसकी कमी बनती है कई समस्याओं का कारण
हमारे शरीर में कई तरह के हार्मोन पाए जाते हैं जो शरीर की अलग-अलग फंक्शनिंग में मदद करते हैं। एस्ट्रोजन इन्हीं में से एक है जो एक सेक्स हार्मोन है और महिलाओं में पाया जाता है। ये हार्मोन कई तरह से महिलाओं के लिए जरूरी माना जाता है। ऐसे में शरीर में इसकी कमी कई समस्याओं की वजह बन सकती है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। एस्ट्रोजन हार्मोन एक सेक्स हार्मोन है, जो महिलाओं में पाया जाता है। पीरियड्स के दौरान एस्ट्रोजन एंब्रियो के फर्टिलाइजेशन, इंप्लांटेशन और न्यूट्रीशन के लिए वातावरण तैयार करता है। एस्ट्रोजन एग फॉलिकल के विकास को बढ़ावा देता है, ये वजाइना के विकास के साथ इसकी एसिडिटी बढ़ाता है और इसे लुब्रिकेट करता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि एस्ट्रोजन एक महिला के लिए कई मायनों में जरूरी है।
ऐसे में एस्ट्रोजन की कमी से कई समस्याओं की वजह बन सकती हैं। इनमें से मुख्य समस्या मूड स्विंग और डिप्रेशन होती है। एस्ट्रोजन फील गुड हार्मोन सेरोटोनिन और डोपामिन की फंक्शनिंग को बढ़ावा देता है। ये एंडोर्फिन के प्रोडक्शन को भी प्रभावित करता है। इसलिए मेनोपॉज में होने वाले मूड स्विंग और ब्रेन फॉग में एस्ट्रोजन भागीदार होता है।
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एस्ट्रोजन की कमी से होने वाली समस्याएं
पोस्टपार्टम यानी बच्चे के जन्म के बाद भी शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। इससे मूड हर समय खराब सा लगता है, हाेपलेस महसूस होता है और डिप्रेशन की कंडीशन भी आ सकती है, जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन भी कहते हैं। एस्ट्रोजन लेवल के असंतुलित होने से नींद की भी दिक्कत होती है और सोते समय बेचैनी-सी महसूस होती है।
इसके अलावा एस्ट्रोजन की कमी से वेट गेन, फाइब्रॉयड या सिस्ट का बढ़ना, ब्रेस्ट में दर्द, लो लिबिडो जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं। ऐसे में एस्ट्रोजन लेवल को संतुलित बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए।
इन बातों का ध्यान रखें
- इसके लिए सबसे पहले टेस्ट कराना जरूरी है। इस बात का पता लगाना जरूरी है कि शरीर में एस्ट्रोजन लेवल हाई या लो है या फिर प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन का लेवल असंतुलित है।
- थायराइड चेक अप कराएं क्योंकि ये भी हाई एस्ट्रोजन लेवल के लिए जिम्मेदार होता है।
- लक्षण के अनुसार अन्य चेक अप भी कराएं, जिससे सही निष्कर्ष पर पहुंचने में आसानी हो।
- एस्ट्रोजन बैलेंसिंग फूड्स को डाइट में शामिल करें जो एस्ट्रोजन लेवल को संतुलित करे जैसे अलसी के बीज, क्रूसीफेरस सब्जियां, स्प्राउट्स, अंजीर, पिस्ता, टोफू आदि।
- शुगर, रिफाइंड अनाज या तेल, प्रोसेस्ड फैटी फूड्स, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स और शराब से दूरी बनाएं।
- अपने स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए मेडिटेशन और नियमित रूप से एक्सरसाइज का सहारा लें।
- लिवर डिटॉक्स पर फोकस करें।
- हाई फाइबर डाइट लें, जिससे नियमित रूप से पेट साफ हो।
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