Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जलवायु परिवर्तन पहुंचा रहा है बच्चों की सेहत को नुकसान, बढ़ा सकता है दस्त का खतरा

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 08:57 AM (IST)

    जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रहा है। जलवायु में हो रहे इस असमान्य बदलाव का असर हम सभी के जीवन पर देखने को मिल रहा है। हाल ही में एक स्टडी में पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चों में दस्त का खतरा भी बढ़ जाता है।

    Hero Image
    जलवायु परिवर्तन का बच्चों की सेहत पर असर (Picture Courtesy: Freepik)

    प्रेट्र, नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त के खतरे को बढ़ा सकता है। यह जानकारी आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं की ओर से किए गए एक अध्ययन के बाद सामने आई है।

    शोधकर्ताओं ने इस दौरान बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे आठ एशियाई देशों के राष्ट्रीय सर्वेक्षणों से तीन मिलियन से अधिक बच्चों के डाटा का विश्लेषण किया जिसमें भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त की प्रचलन दर लगभग 8 प्रतिशत पाई गई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पर्यावरण अनुसंधान पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों में तापमान की चरम सीमाओं और वर्षा में कमी को बच्चों में दस्त के उच्च जोखिम के दो मुख्य जलवायु संबंधित कारकों के रूप में उजागर किया गया है। अधिक तापमान (30 से 40 डिग्री सेल्सियस) के दौरान बच्चों में दस्त के जोखिम में 39 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई जबकि सामान्य से कम वर्षा (600 मिलीमीटर से कम) ने जोखिम को लगभग 30 प्रतिशत बढ़ा दिया।

    यह भी पढ़ें- मानसून का जल्दी आना सचमुच राहत है या प्रकृति दे रही है बड़े बदलावों का संकेत?

    इसके अलावा, जिन माताओं की शिक्षा आठ वर्ष से कम थी, उनके बच्चों को दस्त का 18 प्रतिशत अधिक जोखिम था। प्रमुख शोधकर्ता सैयदा हीरा फातिमा ने कहा कि शिक्षा माताओं को अपने बच्चों के बीमार होने पर जल्दी कार्रवाई करने के लिए सशक्त बनाती है जो जीवन बचा सकती है।

    वहीं सह-लेखक कोरी ब्रैडश ने बताया कि दस्त के कारण होने वाली 88 प्रतिशत मौतें अस्वच्छ परिस्थितियों जुड़ी हैं जिसमें असुरक्षित पेयजल भी शामिल है। आगे जोड़ा कि पेयजल तक बेहतर पहुंच दस्त के जोखिम को 52 प्रतिशत तक कम कर सकती है जबकि बेहतर स्वच्छता सुविधाएं जोखिम को 24 प्रतिशत तक घटा सकती हैं।

    लेखकों ने यह भी कहा कि गरीबी दस्त के जोखिम को बढ़ाती है क्योंकि यह पोषण, स्वच्छ पानी और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच को सीमित करती है जबकि ऐसे वातावरण को भी बढ़ावा देती है जहां दस्त के रोगाणु पनपते हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन खाद्य आपूर्ति को भी प्रभावित कर सकता है जिससे कुपोषण और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली हो सकती है। लिहाजा बच्चे दस्त जैसी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं और सही होने में समय लगता है।

    यह भी पढ़ें- अब माउंट एवरेस्ट के करीब मिला किंग कोबरा, चिंता में क्यों पड़ गए विशेषज्ञ?