आप भी तो नहीं कर रहे सालों पुराने प्रेशर कुकर का यूज? इस शख्स के साथ जो हुआ, जानकर उड़ जाएंगे होश
क्या आपके किचन में भी कोई ऐसा प्रेशर कुकर है जिसे आप सालों से इस्तेमाल कर रहे हैं? अगर हां तो यह खबर आपको चौंका सकती है और सावधान भी कर सकती है। हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक 50 साल का व्यक्ति पुराने प्रेशर कुकर के इस्तेमाल के कारण Lead Poisoning का शिकार हो गया।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। यह व्यक्ति कई सालों से एक ही प्रेशर कुकर का इस्तेमाल कर रहा था, जो कि काफी पुराना और अंदर से घिसा हुआ था। उसे पिछले कुछ समय से लगातार पेट दर्द, थकान और मांसपेशियों में कमजोरी जैसी शिकायतें हो रही थीं। शुरुआती जांच में डॉक्टरों को कोई खास वजह समझ नहीं आई, लेकिन जब डिटेल टेस्टिंग की गई तो पता चला कि उसके शरीर में सीसे (Lead) की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ गई थी।
डॉक्टरों ने जब उसके लाइफस्टाइल और खान-पान के बारे में विस्तार से पूछा, तो प्रेशर कुकर का मामला (Lead Poisoning From Pressure Cooker) सामने आया। बता दें, एक्सपर्ट्स का मानना है कि पुराने प्रेशर कुकर की भीतरी सतह पर लगी निकेल कोटिंग (Nickel Coating), जो भोजन को चिपकने से रोकने के लिए होती है, समय के साथ घिसने लगती है। इस घिसी हुई सतह से सीसा या अन्य हैवी मेटल्स खाने में मिल सकती हैं, खासकर जब खाना हाई टेम्प्रेचर पर पकाया जाता है।
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20 साल पुराना कुकर बना बीमारी की जड़
इस केस की जानकारी शेयर करते हुए डॉक्टर विशाल गाबले ने बताया कि मरीज की पत्नी 20 साल से वही एल्यूमीनियम प्रेशर कुकर इस्तेमाल कर रही थीं। इस दौरान खट्टे या Acidic फूड्स उस पुराने कुकर के मेटल के साथ रिएक्शन करके खाना जहरीला बना रहे थे।
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क्या है लीड प्वॉइजनिंग?
लीड प्वॉइजनिंग तब होती है जब शरीर में सीसे की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है। यह जहर सांस के जरिए, त्वचा से संपर्क या खाने-पीने के जरिए शरीर में पहुंच सकता है। यह जहर धीरे-धीरे दिमाग, नसों, किडनी, रिप्रोडक्टिव सिस्टम और डाइजेशन को प्रभावित करता है। कई बार इसके शुरुआती लक्षण बेहद हल्के होते हैं और लोग इसे आम कमजोरी या थकान समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
लीड प्वॉइजनिंग के लक्षण
- लगातार थकान या कमजोरी
- पेट में दर्द या मरोड़
- सिरदर्द
- उल्टी या जी मिचलाना
- पैरों और हाथों में झनझनाहट
- फोकस में कमी और याददाश्त कमजोर होना
- व्यवहार में बदलाव
- सेक्स ड्राइव में कमी या बांझपन
- एनीमिया
- बच्चों में सीखने की समस्या और चिड़चिड़ापन
क्या इसका इलाज संभव है?
अगर समय रहते बीमारी का पता चल जाए, तो इलाज संभव है। इस मरीज का इलाज Chelation Therapy से किया गया, जिसमें दवाएं दी जाती हैं जो खून में मौजूद सीसे को बांधकर शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं। बता दें, बहुत ज्यादा टॉक्सिसिटी की स्थिति में डॉक्टर्स 'बॉवेल इरिगेशन' जैसे उपाय भी अपनाते हैं, जिसमें पेट और आंतों को पूरी तरह से साफ किया जाता है।
कैसे करें इस खतरे से बचाव?
- पुराने एल्यूमीनियम या नॉन-फूड ग्रेड बर्तनों का इस्तेमाल तुरंत बंद करें।
- खट्टी चीजें (जैसे टमाटर, इमली, दही आदि) पुराने बर्तनों में पकाने से बचें।
- बर्तनों की परत उतरने लगे तो उसे बदल दें।
- पेंट, प्लास्टिक और लोहे के पुराने सामानों में भी सीसा हो सकता है, इसलिए बच्चों को इनसे दूर रखें।
- हर साल नॉर्मल हेल्थ टेस्ट्स करवाएं, खासकर अगर किसी कारण से थकावट या न्यूरोलॉजिकल लक्षण महसूस हो रहे हों।
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