Breast Cancer से बचाव के लिए समय पर पहचान है जरूरी, इन वजहों से बढ़ जाता है इसका खतरा
ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो ब्रेस्ट के सेल्स में शुरू होती है। समय पर पहचान न होने पर यह हेल्दी टिशूज पर हमला कर सकती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। ऐसे में इसके बारे में सही जानकारी और समय पर उपचार बेहद जरूरी हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। ब्रेस्ट के सेल्स या कोशिकाओं में विकसित होने वाला कैंसर ब्रेस्ट कैंसर होता है। अगर समय पर इसका नियंत्रण न किया जाए तो यह हेल्दी ब्रेस्ट टिशूज पर हमला करने लगता है और अंडरआर्म्स के लिम्फ नोड्स तक पहुंच जाता है।
यहां पहुंचते ही यह शरीर के किसी भी हिस्से में जा सकता है। ऐसा होने से पहले ही ब्रेस्ट कैंसर की पहचान सर्वाइवल की दर बढ़ा देता है। इस आर्टिकल में हम ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों, जोखिमों और बचाव के तरीकों के बारे में जानेंगे।
ये हो सकते हैं लक्षण
- ब्रेस्ट में गांठ या टिश्यू की मोटाई बढ़ना या असामान्य महसूस होना
- ब्रेस्ट में दर्द
- स्किन का रंग बदल जाना
- ब्रेस्ट मिल्क के अलावा भी निपल से डिस्चार्ज होना
- पूरे ब्रेस्ट में सूजन हो जाना
- निपल से खून आना
- ब्रेस्ट या निपल की स्किन का निकलना, छिलकेदार होना
- ब्रेस्ट के आकार में अचानक ही बदलाव हो जाना
- निपल का अंदर की ओर धंस जाना
- अंडरआर्म्स में गांठ या सूजन होना
इनसे बढ़ता है खतरा
कुछ ऐसी चीजें हैं जोकि ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इससे कैंसर होना तय है:
- शराब का सेवन: इससे ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
- हॉर्मोन थैरेपी: मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में मददगार पोस्टमेनोपॉजल एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रॉन से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है।
- पर्याप्त एक्सरसाइज न करना: फिजिकली एक्टिव ना रहने की स्थिति में कैंसर का खतरा बढ़ता है।
ब्रेस्ट कैंसर के इन जोखिमों को बदला नहीं जा सकता
- उम्र: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा भी बढ़ता जाता है। 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह ज्यादा घातक रूप में देखा गया है।
- ब्रेस्ट टिशूज का डेंस होना: अगर आपके ब्रेस्ट टिश्यूज ज्यादा घने हैं, तो उससे मेमोग्राम में मुश्किल आती है और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ता है।
- अनुवांशिक जोखिम: अगर किसी के परिवार में मां, बहन,दादी या नानी में से किसी को ब्रेस्ट कैंसर है तो इसके होने की आशंका बढ़ जाती है।
इस तरह तय किए जाते हैं स्टेज
ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज ट्यूमर के आकार और उसके फैलाव के आधार पर डॉक्टर तय करते हैं। बड़े आकार के ट्यूमर या आस-पास के टिश्यूज या अंगों तक पहुंच चुके कैंसर को सबसे लास्ट स्टेज में रखा जाता है, वहीं छोटे आकार के ट्यूमर या ब्रेस्ट तक सीमित कैंसर को पहले या दूसरे स्टेज में। इसके लिए डॉक्टर इन बातो का पता लगाते हैं:
- कैंसर घातक है या नहीं।
- ट्यूमर का आकार कितना बड़ा है।
- क्या कैंसर लिम्फ नोड्स तक पहुंच चुका है।
- क्या कैंसर आस-पास के टिश्यूज या अंगों तक पहुंच चुका है।
किस उम्र में कैसी हो स्क्रीनिंग
- 40-44 साल के बीच: साल में एक बार ऑप्शनल मेमोग्राम।
- 45-54 साल के बीच: हर साल मेमोग्राम।
- 55-या इससे अधिक उम्र में: हर साल या हर दो साल पर मेमोग्राम करा सकते हैं।
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Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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