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    सावधान! Covid-19 और फ्लू से बढ़ सकता है Breast Cancer का खतरा, वैज्ञान‍िकों ने दी चेतावनी

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 12:31 PM (IST)

    एक हालिया शोध में पाया गया है कि कोविड-19 और फ्लू से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि कुछ सामान्य वायरस वाली सांस की बीमारियां कैंसर सेल्स को फिर से जगा सकती हैं जो पहले फेफड़ों में जाकर छिप गए थे। शोध में यह भी पाया गया कि वायरस के कारण शरीर में होने वाली सूजन कैंसर सेल्स को फिर से सक्रिय कर सकती है।

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    क्‍या वाकई कोरोना वायरस से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा (Image Credit- Freepik)

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। दुन‍ियाभर में ऐसी कई महामार‍ियां फैली हैं जि‍नसे हमारी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा है। कोव‍िड-19 भी उन्‍हीं महामारी में से एक है। जबसे Corona Virus की दस्‍तक हुई है तबसे कई लोगों ने अपनी जान गंवा द‍िया। वहीं कुछ लोग इस बीमारी से उबर भी पाए लेकि‍न बाद में उन्‍हें कई बीमारि‍यों का सामना करना पड़ा। हाल ही में एक र‍िसर्च हुई है, ज‍िसमें खुलासा हुआ है क‍ि कोव‍िड-19 और फ्लू से ब्रेस्‍ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

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    यून‍िवर्सिटी ऑफ कोलोराडो एंशुट्ज मेडिकल कैंपस, मोंटेफियोर आइंस्टीन कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर (MECCC) और यूट्रेक्ट यून‍िवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया क‍ि कुछ सामान्य वायरस वाली सांस की बीमारियां (जैसे कि कोरोना या फ्लू) उन कैंसर सेल्स को फिर से जगा सकती हैं, जो पहले ब्रेस्ट कैंसर के दौरान फेफड़ों में जाकर छिप गए थे।

    ये स्टडी साइंस जर्नल Nature में प्रकाश‍ित की गई है।

    चूहों पर की र‍िसर्च

    वैज्ञान‍िकों ने चूहों पर र‍िसर्च की। उनके लंग्‍स में पहले से ही ब्रेस्‍ट कैंसर के सेल्‍स छ‍िपे हुए थे। इन सेल्‍स को Dormant कैंसर सेल्‍स भी कहा जाता है। जब इन चूहों को कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) और फ्लू वायरस Infulenza से बीमार क‍िया गया तो सोए हुए कैंसर सेल्‍स दोबारा से एक्‍ट‍िव हो गए। वैज्ञान‍िकों ने देखा क‍ि कुछ ही द‍िनों में ये सेल्‍स धीरे-धीरे बढ़ने लगे। दो ही हफ्ते बीते थे क‍ि लंग्‍स में इसके लक्षण साफ नजर आने लगे।

    तुरंत करवाना चाह‍िए इलाज

    इस बारे में मोंटेफियोर आइंस्टीन कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर के वैज्ञान‍िक डॉ. जूल‍ियो ने बताया क‍ि ज‍िन लोगों को पहले से कैंसर हो चुका है, उन्‍हें सांस से जुड़ी बीमार‍ियों का तुंरत इलाज करवा लेना चह‍िए। उन्‍हें समय पर वैक्‍सीन लगवाना चाह‍िए। कहा क‍ि कोविड के समय, जब बहुत से लोगों को इन्‍फेक्‍शन हुआ था, तब कुछ कैंसर पेशेंट्स की हालत और खराब हो गई थी, जिससे ये समझ आया कि वायरस से शरीर में होने वाली सूजन यानी क‍ि inflammation कैंसर सेल्स को फिर से जगा सकती है।

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    ये प्रोटीन कैंसर सेल्‍स को कर देता है एक्‍ट‍िव

    ये कैंसर सेल्स वैसे ही हैं जैसे बुझी आग में अंगारे बचे हों। वायरस के जर‍िए ये और बढ़ जाते हैं। इस दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि जब कोई वायरस शरीर में आता है, तो Interleukin-6 (IL-6) नाम का एक प्रोटीन बनता है। यही IL-6 कैंसर के छिपे हुए सेल्स को फिर से जगा देता है। अगर IL-6 को कंट्रोल करने वाली दवाएं दी जाएं, तो वायरस की वजह से दोबारा फैलने वाले कैंसर को रोका जा सकता है।

    पांच लाख से ज्यादा लोगों पर की गई स्‍टडी

    आपको बता दें क‍ि इस रिसर्च को इंसानों पर भी टेस्‍ट क‍िया गया है। वैज्ञानिकों ने कोविड के दौरान मिले आंकड़ों का सर्वे किया। उन्‍होंने पांच लाख से ज्यादा लोगों पर स्टडी की और पाया कि जिन कैंसर सर्वाइवर्स को कोविड हुआ था, उनमें से 487 लोगों की कैंसर से मौत का खतरा उन लोगों के मुकाबले ज्‍यादा था जिन्हें कोविड नहीं हुआ था। सबसे ज्यादा खतरा कोविड के पहले साल में देखा गया।

    शरीर के बाकी हिस्‍सों में भी होता है ये असर

    ये भी मालूम चला क‍ि जिन महिलाओं को पहले ब्रेस्ट कैंसर था और बाद में कोविड हुआ, उनमें फेफड़ों में कैंसर फैलने (metastasis) का खतरा लगभग 50% ज्यादा था। इस पर वैज्ञान‍िकाें ने कहा है क‍ि यही असर बाकी कैंसर और शरीर के दूसरे हिस्सों में भी होता है।

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    Source-

    • https://www.nature.com/articles/s41586-025-09332-0