'रेबीज का इलाज करेगा साबुन', इस बयान को डॉक्टर ने बताया जानलेवा, जानें डॉग बाइट पर कैसे करें बचाव
बीजेपी सांसद मेनका गांधी की बहन अंबिका शुक्ला के रेबीज को लेकर दिए गए बयान पर पीडियाट्रिशन डॉ. शिवरंजनी संतोष ने प्रतिक्रिया दी है। अंबिका शुक्ला ने कहा था कि कुत्ते के काटने के बाद घाव को साबुन से धोने से रेबीज वायरस मर जाते हैं लेकिन डॉक्टर ने इसे जानलेवा बताया है। साथ ही उन्होंने बचाव का सही तरीका भी शेयर किया है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कभी-कभी कोई बयान या दावा ऐसा होता है, जो लोगों का ध्यान तुरंत खींच लेता है। खासकर जब बात किसी गंभीर बीमारी से जुड़ी हो, तो लोगों के मन में सवाल और भी बढ़ जाते हैं। हाल ही में दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजे जाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया। इस पर कई एनिमल लवर्स भड़क गए। वहीं बीजेपी सांसद मेनका गांधी की बहन अंबिका शुक्ला का एक ऐसा बयान आ गया जिस पर लोग भड़क गए।
दरअसल, अंबिका शुक्ला ने रेबीज वायरस को नाजुक बताकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि कुत्ते के काटने के बाद घाव को साबुन से धोने से रेबीज वायरस मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि रेबीज आसानी से नहीं फैलती। भारत में अरबों लोगों के बीच केवल 54 मामले हैं।
डॉक्टर ने दावे को बताया गलत
इस बयान के बाद पीडियाट्रिशन डॉ. शिवरंजनी संतोष ने दावे को गलत बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि रेबीज जानलेवा होता है। कहा कि रेबीज से बचने के लिए वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है। क्योंकि ये बीमारी जान भी ले सकती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि गलत और भ्रामक वीडियो से बचें, जिसमें टीके गलत जगह और जल्दी-जल्दी लगाए जाते हैं। टीका हमेशा सही सुई की लंबाई, सही जगह और धीरे-धीरे लगना चाहिए।
काटने या खरोंचने पर क्या करें?
डॉक्टर ने कहा कि अगर बच्चे को कुत्ते, बिल्ली, बंदर या किसी भी जानवर ने काटा है या फिर खरोंचा ही क्यों न हो, तो तुरंत साबुन और पानी से कम से कम 15 मिनट तक घाव को धुलना चाहिए। इसके बाद टीका लगवाना चाहिए। टीका बच्चे की उम्र के हिसाब से जांघ या कंधे में ही लगना चाहिए, हिप्स में नहीं। क्योंकि हिप्स में लगाया गया टीका असरदार नहीं होता और उसे दोबारा लगाना पड़ सकता है।
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साबुन से धोने की हकीकत
उन्होंने कहा कि घाव को साबुन से धोना जरूरी है, क्योंकि इससे वायरस की मात्रा कम हो जाती है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वायरस पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं। टीका लगवाना जरूरी होता है।
एंटीबॉडी भी जरूरी
डॉक्टर ने अपने वीडियो में WHO के नियम बताते हुए कहा कि काटने वाली जगह पर एंटीबॉडी का इंजेक्शन भी लगना चाहिए। और ये पहले टीके के सात दिन के अंदर ही होना चाहिए। अगर कई जगह पर काटा है, तो डॉक्टर एंटीबॉडी की खुराक नॉर्मल सलाइन में मिलाकर हर घाव पर लगाते हैं। अगर बच्चे को पहले ही एंटीरेबीज टीका लग चुका है, तो तीन महीने तक दोबारा टीका लगाने की जरूरत नहीं होती। तीन महीने बाद अगर फिर से काटा या खरोंचा जाए, तो सिर्फ दो डोज टीके के लगाने होते हैं, एंटीबॉडी नहीं।
क्या है रेबीज?
आपको बता दें कि रेबीज एक जानलेवा वायरल बीमारी है जो नर्वस सिस्टम पर बुरा असर डालती है। इसके लक्षण सामने आने के बाद ये हमेशा मौत का कारण बनती है। ये वायरस ज्यादातर इन्फेक्टेड जानव जैसे कुत्ते के काटने से फैलता है। जब वायरस शरीर में जाता है, तो ये नसों के रास्ते धीरे-धीरे दिमाग और रीढ़ की हड्डी तक पहुंच जाता है। वहां पहुंचने पर ये दिमाग को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मरीज या तो कोमा में चला जाता है या तो मौत हो सकती है।
कब बढ़ जाता है खतरा?
अगर घाव को सही तरीके से साफ न किया जाए और पूरा वैक्सीन कोर्स न लिया जाए तो ये खतरा औार भी ज्यादा बढ़ जाता है। लक्षण आने के बाद ये लगभग हमेशा जानलेवा ही है, लेकिन अगर समय पर PEP (Post Exposure Prophylaxis) दिया जाए तो पूरी तरह बचाव संभव है।
रेबीज की जांच कैसे होती है?
- लार की जांच (Saliva test)- टेस्ट ट्यूब में लार देना
- स्किन बायोप्सी- गर्दन के पीछे से स्किन का छोटा हिस्सा लेकर जांच किया जाता है
- CSF टेस्ट- कमर में सुई से फ्लूड निकालकर जांच
- खून की जांच
- एमआरआई
Source-
- https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/13848-rabies
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