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    बच्चों में Pulmonary Hypertension की समस्या, जानें इसके कारण, लक्षण व जरूरी उपचार

    नवजात बच्चों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक गंभीर समस्या है जिसमें डिलीवरी के बाद फेफड़ों की धमनियां सिकुड़ी हुई (संकुचित) रहती हैं जिससे फेफड़ों में सही तरह से ब्लड सर्कुलेशन नहीं होता और साथ ही पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन भी नहीं मिलती। आखिर किन किन वजहों से यह समस्या होती है किस तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं कैसे इसका पता लगाया जा सकता है। जान लें यहां।

    By Priyanka Singh Edited By: Priyanka Singh Updated: Thu, 29 Aug 2024 10:39 AM (IST)
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    पल्मोनरी हाइपरटेंशन के कारण लक्षण और उपचार (Pic credit- freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक गंभीर स्थिति है जिसकी विशेषता पल्मोनरी धमनियों में उच्च रक्तचाप है, जो वे वाहिकाएं हैं जो हृदय से फेफड़ों तक रक्त ले जाती हैं। यह स्थिति गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है, जिसमें सही दिल की विफलता भी शामिल है। इसे लेकर हमने फरीदाबाद में सर्वोदय हॉस्पिटल के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. वेद प्रकाश से बात की, जिन्होंने इस बीमारी से जुड़ी कई जरूरी बातें बताईं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

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    कारण और प्रकार

    बच्चों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन को कई प्रकारों में बांटा जा सकता है, जो आमतौर पर इसके कारणों पर निर्भर करता है।

    1. ईडीओपैथिक पल्मोनरी आर्टेरिअल हाइपरटेंशन (IPAH)

    यह एक दुर्लभ स्थिति है और वयस्कों की तुलना में बच्चों में ज्यादा देखन को मिलती है।

    2. हेरिटबले पल्मोनरी आर्टेरिअल हाइपरटेंशन (HPAH)

    यह प्रकार आनुवंशिक है और परिवारों के माध्यम से बच्चों में ट्रांसफर होता है।

    3. जन्मजात हृदय रोग से जुड़ा पल्मोनरी उच्च रक्तचाप

    जन्मजात हृदय दोषों से फेफड़ों में रक्त प्रवाह या दबाव बढ़ सकता है, जो पल्मोनरी हाइपरटेंशन की वजह बन सकता है।

    4. पल्मोनरी उच्च रक्तचाप फेफड़े की बीमारी या हाइपोक्सिया के कारण

    पुरानी फेफड़ों की बीमारियां, जैसे ब्रोंकोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया या स्लीप एपनिया जैसी स्थिति पल्मोनरी हाइपरटेंशन का कारण बन सकती हैं।

    5. बाएं हृदय रोग के कारण पल्मोनरी हाइपरटेंशन

    ये वयस्कों में आम है, लेकिन कुछ बच्चों में भी ये विकसित हो सकता है।

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    पल्मोनरी हाइपरटेंशन के लक्षण

    बच्चों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन के लक्षण सूक्ष्म हो सकते हैं और धीरे-धीरे विकसित हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में शामिल हैंः

    - सांस की तकलीफ खासकर फिजिकल एक्टिविटी के दौरान

    - थकान महसूस होना

    - सीने में दर्द-बेहोशी 

    - दिल की धड़कन तेज होना

    - होंठों या त्वचा पर नीला रंग 

    - टखनों, पैरों या पेट में सूजन

    पल्मोनरी हाइपरटेंशन का निदान

    बच्चों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन का पता लगाने के लिए कुछ जरूरी जांच की जाती है, जैसे-

    इकोकार्डियोग्राम

    हृदय का एक अल्ट्रासाउंड, जो पल्मोनरी धमनियों में दबाव का अनुमान लगा सकता है।

    कार्डियक कैथीटेराइजेशन

    एक थोड़ा मुश्किल प्रोसेस है, जो सीधे पल्मोनरी वेसेल्स में रक्तचाप को मापती है और हार्ट के फंक्शन का आंकलन करती है।

    चेस्ट एक्स-रे या सीटी स्कैन

    फेफड़ों और हृदय में हो रहे बदलावों को देखने के लिए।

    इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)

    हार्ट रिदम की समस्याओं की जांच करने के लिए।

    ब्लड टेस्ट

    अन्य कारणों का पता लगाने या अन्य अंगों के कार्य का आंकलन करने के लिए।

    पल्मोनरी हाइपरटेंशन का उपचार

    बच्चों में पल्मोनरी हाइपरटेंशन के उपचार में शामिल हैंः-

    दवाएं

    कुछ खास तरह की दवाओं के जरिए पल्मोनरी आर्टरी के दबाव को कम करना और हृदय के कार्य में सुधार करना है।

    ऑक्सीजन थेरेपी

    कम ऑक्सीजन वाले बच्चों के लिए।

    सर्जिकल प्रक्रियाएं

    कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है, खासकर अगर पल्मोनरी हाइपरटेंशन जन्मजात हृदय दोषों से संबंधित है।

    पल्मोनरी उच्च रक्तचाप वाले बच्चों में परिणामों में सुधार के लिए प्रारंभिक निदान और प्रबंधन महत्वपूर्ण है। 

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